बिहार : कम्बाईन हार्वेस्टर से जा सकेगी धान की कटनी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 19 नवंबर 2021

बिहार : कम्बाईन हार्वेस्टर से जा सकेगी धान की कटनी

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गया। जिला पदाधिकारी, गया श्री अभिषेक सिंह ने समाहरणालय स्थित सभागार में कम्बाईन हार्वेस्टर के मालिकों के साथ जिला पदाधिकारी, गया श्री अभिषेक सिंह ने पराली प्रबंधन से संबंधित बैठक की। जिला पदाधिकारी ने कहा कि कम्बाईन हार्वेस्टर के मालिकों को कम्बाईन हार्वेस्टर के साथ पराली प्रबंधन प्रणाली (एस०एम०एस०) रखना अनिवार्य होगा। कम्बाईन हार्वेस्टर से धान की कटनी के पूर्व संबंधित किसानों से इस आशय का प्रमाण लेना अनिवार्य होगा कि वे धान कटनी के बाद अपने फसल अवशेष (पराली) को नहीं जलायेंगे। गया में बाहर के जिलों विशेषकर रोहतास, कैमुर आदि से बड़े पैमाने पर कम्बाईन हार्वेस्टर धान की कटनी के लिये आते है।  जिला पदाधिकारी ने स्पष्ट किया कि बाहर से आने वाले कम्बाईन हार्वेस्टररों को भी गया जिले में संचालित करने के लिये गया जिला प्रशासन से अनुमति लेनी होगी। जिला पदाधिकारी ने स्पष्ट शब्दों में कड़ी चेतावनी देते हुये कहा कि बिना प्रशासनिक अनुमति के गया जिले में संचालित होने वाली कम्बाईन हार्वेस्टरों को जब्त कर लिया जायेगा। इसके लिये जिले के सभी अनुमंडल पदाधिकारियों को अलग से निर्देशित किया जा रहा है। जिन कम्बाईन हार्वेस्टरों को धान कटनी हेतु पास निर्गत किया गया है, उन्हें सभी किसान के धान की कटनी प्रारम्भ करने के पूर्व उस किसान से पराली नही जलाने का शपथ लेना होगा। पराली जलाने के मामले में आरोपित किसान का पंजीकरण संख्या अवरुद्ध कर दिया जायेगा। इसके फलस्वरूप PM किसान, कृषि इनपुट अनुदान, बीज अनुदान आदि सभी प्रकार के अनुदान से वंचित हो जायेंगे। पंजीकरण संख्या अवरुद्ध हो जाने के कारण किसान धान अधिप्राप्ति के लिये भी आवेदन करने में असफल हो जायेंगे। इससे वे अपने धान की बिक्री भी नहीं कर पायेंगे। पराली जलाने वाले किसानों के विरुद्ध प्राथमिकी भी दर्ज की जायेगी। जिस कम्बाईन हार्वेस्टर से उस किसान के धान की कटाई की गयी है यदि उसके मालिक/चालक ने किसान से शपथ पत्र प्राप्त नहीं किया होगा तो प्राथमिकी में उस कम्बाईन हार्वेस्टर के मालिक को भी सह अभियुक्त बनाया जायेगा। जिला पदाधिकारी ने कहा कि यदि किसानों को पराली प्रबंधन में कोई समस्या आती है तो कृषि विज्ञान केन्द्र मो० नं० 9431204379 से सम्पर्क कर लें। कृषि विज्ञान केन्द्र के द्वारा कटाई के बाद उपलब्ध फसल अवशेष (पराली) को बंडल बना दिया जायेगा। इसके अलावा वेस्ट डी कम्पोजर से फसल अवशेष को कम्पोस्ट में बदल दिया जायेगा। इस बैठक में उपस्थित मानपुर के प्रगतिशील किसान श्री विरेन्द्र सिंह जो एक कम्बाईन हार्वेस्टर के मालिक भी है, ने बताया कि वे काफी दिनों से विभिन्न फसल अवशेषों पर वेस्ट डी-कम्पोजर का उपयोग कर रहे है। वेस्ट- डी-कम्पोजर पुआल को गलाकर बहुत ही अच्छा जैविक खाद तैयार करता है। *गुरारु के किसान श्री अरुण जी ने बताया कि वे वेस्ट डी-कम्पोजर की सहायता से काफी जैविक खाद तैयार करते है। किसान अरुण कुमार ने बताया कि उनके पास कंबाइन हार्वेस्टर भी है तथा वे फसल अवशेष को जलाते नहीं हैं बल्कि वे डी कम्पोजर को पराली स्प्रे कर देते हैं, जिससे 10-15 दिनों में पराली गलकर जैविक खाद बन जाता है, जो मिट्टी के लिए उत्तम खाद है। उन्होने बताया कि 01 लीटर डी कम्पोजर से लगभग 100 लीटर से अधिक डी कम्पोजर बनाया जा सकता है। यह दही में जोडन की तरह काम करता है। जिस किसान को डी कम्जोज़र की जरूरत हो, वे इसे मोवाईल नंबर 9661185658 पर संपर्क कर सकते हैं अथवा इन से 1 लीटर डी कंपोजर प्राप्त कर सॉलिटर से अधिक डी कंपोजर बना सकते हैं डी कंपोजर बनाने हेतु इन से संपर्क कर सहयोग प्राप्त कर सकते हैं।* कृषि विज्ञान केन्द्र मानपुर के प्रधान वैज्ञानिक डा० राजीव सिंह ने बताया कि उनके पास आज ही बेलन पहुँचाया जायेगा। उन्होंने कम्बाईन हार्वेस्टर के मालिकों से कहा कि जहाँ भी किसानों को कम्बाईन हार्वेस्टर से धान कटनी के बाद पराली हटाने मे कठिनाई आ रही है, उसकी सूचना उन्हें दी जाय। वे अपने बेलन (कृषि यंत्र) से अपने व्यय पर पराली का बंडल बना देंगे। बंडल बनाने पर लगभग 2 रुपये प्रति किलों का व्यय होगा, इसी दर पर वे इस बंडल को स्थानीय दुग्ध समितियों को उपलब्ध करा देंगे। यदि संबंधित किसान जिनका पराली है वे इस बंडल को लेना चाहते है तो उन्हें भी बंडल बनाने पर आया व्यय अनुमानतः 2 रुपये प्रति किला की दर से भुगतान करना होगा। जिला पदाधिकारी ने कम्बाईन हार्वेस्टर संचालकों से किसानों को स्पष्ट करने को कहा कि सरकार द्वारा उपलब्ध करा रही सुविधाओं एवं वेस्ट डी-कम्पोजर का उपयोग कर अपने पराली (फसल अवशेष) का प्रबंधन करें। किसी भी परिस्थिति में पराली नही जलायी जाय।  बैठक में जिले के अपर समाहर्त्ता, ज़िला जन सम्पर्क पदाधिकारी, ज़िला कृषि पदाधिकारी, सभी कम्बाईन हार्वेस्टरों के मालिक के अलावा अन्य संबंधित पदाधिकारी उपस्थित थे।

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