मुज़फ्फरपुर बॉयलर विस्फोट के लिए सरकार की लापरवाही जिम्मेवार : माले - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

सोमवार, 27 दिसंबर 2021

मुज़फ्फरपुर बॉयलर विस्फोट के लिए सरकार की लापरवाही जिम्मेवार : माले

  • *इस तरह की दुखद घटनाओं का रहा है लम्बा सिलिसला, लेकिन सरकार ने नहीं सीखा कोई सबक*
  • *भाकपा-माले जांच दल ने किया मुज़फ्फरपुर का दौरा, मृतक परिजनों को 50 लाख और घायलों को 25 लाख रुपये का मुआवजा दे सरकार*

government-responsible-for-blast-cpi-ml
पटना 27 दिसम्बर, भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि मुज़फ्फपुर के बियाडा के बेला औद्योगिक इलाके फेज 2 में बॉयलर विस्फोट की हुई दर्दनाक घटना के लिए नीतीश सरकार की लापरवाह और गलत औद्योगिक नीतियां जिम्मेवार है. यह कोई पहली घटना नहीं है जब मजदूरों को बड़ी संख्या में अपनी जिंदगी से हाथ धोना पड़ा है, बल्कि कुछ दिन पहले बरौनी और सुगौली में भी ठीक इसी प्रकार की घटना घटी थी, जिसमें कई लोगों की मौतें हुई थीं. लेकिन इन घटनाओं के वावजूद सरकार ने कोई सबक नहीं सीखा. कहा कि बिहार में नीतीश राज में एक तो वैसे ही उद्योगों का पतन हो चुका है, जो कुछ निजी उद्योग चल रहे हैं, उसके प्रति भी सरकार लापरवाह बनी हुई है. उद्योग चलाने के लिए तय न्यूनतम मानकों और सुरक्षा की घोर उपेक्षा होती है, और सरकार आंखें बंद किये रहती है. यह सरकार की लापरवाही नहीं तो और क्या है? मृतक परिजनों को 4 लाख का मुआवजा जले पर नमक छिड़कना नहीं तो और क्या है? हमारी मांग है कि मृतक परिजनों को 50 लाख और घायलों के समुचित इलाज के लिए 25 लाख रुपया सरकार तत्काल उपलब्ध कराए.


*भाकपा-माले जांच दल की रिपोर्ट*

बाॅयलर फटने की ख़बर मिलते ही माले के जांच दल ने पार्टी की केन्द्रीय कमेटी सदस्य व फुलवारीशरीफ से विधायक काॅमरेड गोपाल रविदास के नेतृत्व में घटनास्थल व एसकेएमसीएच हाॅस्पीटल का दौरा किया। जांच दल ने कुरकुरे-नूडल्स फैक्ट्री का जायजा लिया साथ ही आस पास के फैक्ट्रियों का भी मुआयना किया। नूडल्स फैक्ट्री के बॉयलर ब्लास्ट के पीछे मैनेजमेंट की भारी लापरवाही सामने आई है। मृतक मुशहरी छपरा के संदीप कुमार (35) के चचेरे भाई पिंटू ने बताया कि पिछले 6 माह से बॉयलर में लीकेज था। इसकी शिकायत वर्करों ने मैनेजर उदय शंकर समेत और प्रबंधन विकास मोदी से की थी। लेकिन, इसे अनसुना कर दिया गया। खराब स्थिति में ही बॉयलर से काम करवाया जाता रहा। इसका नतीजा यह हुआ कि रविवार को बॉयलर में ब्लास्ट हो गया और बड़ी संख्या में मजदूरों की जान चली गई। बड़ी संख्या में बुरी तरह से घायल हैं. जिला प्रशासन सिर्फ 7 मजदूरों के मरने और 7  के घायल होने की बात कर रहा है लेकिन स्थानीय लोग और मजदूर  दर्जनों की संख्या में मौत और घायल होने का दावा कर रहें हैं। उच्चस्तरीय जांच से ही इसका खुलासा हो सकता है। अगर समय रहते मजदूरों की शिकायत पर संज्ञान लेकर काम बंद कर दिया जाता या बॉयलर को ठीक करवा लिया जाता तो इतना बड़ा हादसा नहीं होता। इससे स्पष्ट होता है मैनेजमेंट  और प्रशासनिक अधिकारी की लापरवाही के कारण इतना बड़ा हादसा हुआ है। पिंटू ने बताया कि संदीप काम नहीं करना चाहता था। क्योंकि बॉयलर पर ही उसकी ड्यूटी थी। वह नहीं जाता तो मशीन चालू नहीं होती। आज भी( 26 दिसंबर)को उसे जबरन कॉल कर सुबह काम पर बुलाया गया था। इसके बाद 9:40 में तेज धमाका हुआ। पिंटू के अनुसार, वह वहां पहुंचा तो अंदर में कई लाशें पड़ी हुई थी। फैक्ट्री प्रबंधन से जुड़े कुछ लोग आननफानन में सबको निकालकर गाड़ी में लोड कर अस्पताल भेज रहे थे। वह भी SKMCH पहुंच गया। वहां पर एक शव के पैर को देखकर उसने संदीप की पहचान की। संदीप शादीशुदा था। उसके तीन बच्चे भी हैं। सकरा थाना के मथुरापुर के रहने वाले पंकज ने बताया कि आज सुबह काम करने आया था।अचानक से बॉयलर फटा और जोरदार धमाका हुआ। कई वर्करों के चिथड़े उड़ गए। फैक्ट्री की छत उड़ गई। हम लोगों ने बाहर भागकर अपनी जान बचाई।


*छह महीने से खराब था बाॅयलर*

बेला फेज-02 में मोदी कुरकुरे-नूडल्स प्रा.लि.की दो यूनिट है। दूसरी यूनिट में बाॅयलर ब्लास्ट हुआ। इस संबंध में छह महीने पहले ही कामगारों ने खतरे की आशंका जताई थी। बॉयलर का सेफ्टी बालब भी खराब था। इसके विरोध में दो दिन तक काम भी बंद रखा था। छपरा के रसूलपुर थाने के खजुहान निवासी ललन यादव विस्फोट बाॅयलर के हेड ऑपरेटर थे। हादसे में उनकी भी मौत हो गई है। ललन के पुत्र विकास यादव भी इसी फैक्ट्री में मिक्सिंग हेल्पर के रूप में काम करते हैं।विकास ने बताया की पिता की बाॅयलर बदलने की बात फैक्ट्री मालिक मान लेते तो हादसा नही होता।


*चश्मदीद*

बेला के धिरनपट्टी के मोहम्मद शाहिद ने बताया कि ठंड की वजह से हम लोग घर में बैठे थे सुबह 9:40 बजे थे इसी दौरान जोरदार धमाका सुनाई पड़ा।बड़े बड़े लोहे के टूकरे आसान से गिरने लगे। भगदड़ मच गई। बाहर खड़े लोग अपने अपने घरों में घुस गए। अजीब सा खौफ था।भीषण धमाके से पांच किमी तक हिल गए मकान,लगा कि भूकंप आगया।


*स्थानीय लोगों ने मृतकों की संख्या छुपाने का लगाया आरोप*

प्रशासन द्वारा जारी मृतकों की संख्या पर मजदूरों के परिजनों तथा स्थानुय लोगों को भरोसा नही है। उनका कहना है कि रविवार 150 से ज्यादा की संख्या में मजदूर फैक्ट्री में मौजूद थे। उनमें से अक्सर मज़दूरों का कोई पता नही है कि कहां है। प्रशासन द्वारा जारी मृतकों की संख्या सात है।वहीं घायल मज़दूरों की संख्या भी सात है। प्रशासन द्वारा यह भी नहीं बताया गया है कि ब्लास्ट के समय कितने मजदूर काम पर रहे थे। कार्यरत मजदूरों की सूची भी उपलब्ध नहीं है। बेला औद्योगिक क्षेत्र में 250 से ज्यादा फैक्ट्री है जिसमें 40हजार से ज्यादा मजदूर काय करते हैं। लेकिन प्रायः फैक्ट्री में सुरक्षा मानक और सुरक्षा संसाधनों का घोर अभाव है। यहां तक कि जिस मोदी नूडल्स फैक्ट्री में ब्लास्ट हुआ है उसका एनओसी भी नहीं लिया गया था। किसी भी फैक्ट्री में श्रम कानूनों का पालन नहीं किया जाता है। ठेका पर ज्यादा काम करवाया जाता है। मजदूरों से 10-10 घंटे काम करवाया जाता है और मजदूरी के रूप में प्रतिमाह महज 4-5 हजार दिया जाता है। पूरे औद्योगिक क्षेत्र में एक भी फायर ब्रिगेड नहीं है और न अस्पताल है। और यह सब फैक्ट्री मालिक और प्रशासनिक अधिकारियों की सांठगांठ से जारी है। इसके नीतीश सरकार और उद्योग मंत्री जिम्मेवार हैं। इसलिए जरूरी है कि बॉयलर ब्लास्ट और बेला औद्योगिक क्षेत्र में स्थित सभी सभी फैक्ट्री की विशेषज्ञों की उच्च स्तरीय टीम से जांच कराई जाए। फैक्ट्री मालिक विकास मोदी उसकी पत्नी शवेता मोदी,फैक्ट्री मैनेजर उदय शंकर, सुपरवाइजर दिग्विजय कुमार, बाॅयलर अपरेटर और टेकनिशियन समेत अन्य अज्ञात कर्मियों को आरोपित बनाया गया है। लेकिन सारे मामले की लीपापोती भी जारी है।


*माले जांच दल की मांग*

फैक्ट्री संचालक के सामने बौना साबित हो रहा है प्रशासन,फैक्ट्री में लापरवाही, सुरक्षा के अभाव में मज़दूरों की भारी संख्या में जाने गई है, लेकिन स्थानीय प्रशासन मृतकों की संख्या छूपा रही है। सरकार से हमारी मांग है कि  मृतकों को 50-50 लाख, घायलों को 25-25-लाख रूपए मुआवजा व मृतक के परिवार के एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी के साथ साथ पूरे घटनाक्रम की उच्चस्तरीय जांच कराने के साथ फैक्ट्री प्रबंधक को अविलंब गिरफ्तार कर हत्या का मुकदमा चलाया जाए। माले विधायक गोपाल रविदास ने कहा कि फैक्ट्री प्रबंधक विकास मोदी को सरकार और भाजपा का संरक्षण प्राप्त है। घटना की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए। जांच दल में माले जिला सचिव कृष्णमोहन,माले जिला कमिटि सदस्य शत्रुघ्न साहनी, इंक़लाबी नौजवान सभा(आरवाईए) बिहार के राज्य अध्यक्ष सह माले जिला कमिटी सदस्य आफताब आलम, फहद जमां,असलम रहमानी,ऐक्टू मुजफ्फरपुर के जिला संयोजक मनोज यादव ,मोहम्मद एजाज,अकबरे आजम सिद्दीकी,नौशाद आलम,अमोद पासवान आदि शामिल थे।


*विरोध मार्च की घोषणा*

मुजफ्फरपुर जिला के बोचहां में भी तीन साल पूर्व एक फैक्ट्री में आग लगने से 11 मजदूरों की जान गई थी। उस हादसे से भी प्रशासन और सरकार ने सबक नहीं लिया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समाज सुधार यात्रा  के दौरान 29दिसंबर को मुजफ्फरपुर आ रहें हैं।उनकी यात्रा की पूर्व संध्या पर 28दिसंबर को  सरकार की आपराधिक लापरवाही के खिलाफ के मुख्यमंत्री और उद्योग मंत्री से जवाब तलब करते हुए भाकपा-माले और ऐक्टू की ओर से मुजफ्फरपुर शहर में प्रतिवाद मार्च निकाला जायेगा।

कोई टिप्पणी नहीं: