बिहार : मांझी ने शराबबंदी कानून की समीक्षा की मांग दुहराई - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

गुरुवार, 9 दिसंबर 2021

बिहार : मांझी ने शराबबंदी कानून की समीक्षा की मांग दुहराई

manjhi-demand-alcohal-ban-law-revision
पटना : शराबबंदी को लेकर एनडीए में एक नीति नहीं बन पा रही है। बीते महीने जहरीली शराब से मौत के बाद भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल ने नीतीश कुमार से कहा था कि जल्द से जल्द शराबबंदी कानून की समीक्षा होनी चाहिए। इसके बाद अब नीतीश कुमार के अहम सहयोगी और उनके मित्र बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री सह हम सुप्रीमो जीतन राम मांझी ने भी शराब बंदी कानून की समीक्षा की बात कही है। जीतनराम मांझी ने कहा कि शराब को अगर दवा के तौर पर लोग ले रहे हैं या लेना चाहते हैं तो इसमें बुरी बात नहीं है। यह हानिकारक नहीं है बल्कि फायदेमंद है। मांझी ने आगे कहा कि आज शराबबंदी कानून के नाम पर पुलिस जिन लोगों को पकड़ रही है, वे काफी गरीब और छोटे लोग हैं। शराब तस्करी को लेकर बड़े डील करने वाले शराब तस्कर अभी भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं। जीतन राम मांझी ने शराबबंदी कानून को प्राथमिकता देने को लेकर कहा कि बिहार में शराबबंदी कानून को प्राथमिकता देना पुलिस के लिए ठीक नहीं है। इसके अलावा अन्य कई मुद्दे हैं, जिस पर काम करने की आवश्यकता है। अगर आप शराबबंदी पर लगे रहेंगे तो अन्य मुद्दे छूट जाएंगे। मांझी ने कहा कि जो लोग यह सोच कर बैठे हैं कि हमें शराब पीनी है, वे शराब पिएंगे ही, उन्हें आप नहीं रोक सकते हैं। इसलिए बेहतर यही है कि आपको कानून की समीक्षा करनी चाहिए। ऐसा नहीं करने से बिहार को काफी नुकसान हो रहा है। एनडीए में जारी गतिरोध को लेकर मांझी ने कहा कि हां यह बात सही है कि एनडीए में चार दल हैं और चारों के अलग-अलग विचारधारा है। इसलिए इन दलों के बीच मतभेद हैं मनभेद नहीं। मतभेद होना स्वभाविक है। कभी-कभी इन दलों के बीच में मतभेद सामने आते हैं लेकिन मनभेद कहीं भी नहीं है। मालूम हो कि बीते मंगलवार को मांझी ने अपने क्षेत्र के विकास के लिए नीतीश कुमार से 1000 करोड़ की मांग करते हुए कहा कि अगर वे ऐसा नहीं करते हैं, तो हम सत्ता से बाहर भी हो सकते हैं। सत्ता में रहकर भी अगर क्षेत्र का विकास नहीं हुआ तो फिर इसका सत्ता में रहने का क्या मतलब?

कोई टिप्पणी नहीं: