मसीह समाज अपने आप को ठगा हुआ सा महसूस कर रहे है - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 25 जनवरी 2022

मसीह समाज अपने आप को ठगा हुआ सा महसूस कर रहे है

उत्तराखंड. चुनाव आयोग पांच राज्यों में सात चरणों में चुनाव पूरा करेगा. यूपी के चुनाव सात चरणों में होंगे. वहीं, गोवा, उत्तराखंड और पंजाब में चुनाव दूसरे चरण यानी 14 फरवरी को ही पूरे होंगे. 14 फरवरी को ही इन राज्यों की सभी सीटों पर मतदान होगा. उत्तराखंड विधानसभा में रहने वाले मसीही समाज ने अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी के हाईकमान से ईसाई समुदाय को दो सीट देने की मांग की है.बताया जाता कि एक अलग राज्य के रूप में उत्तराखंड 9 नवम्बर 2000 को अस्तित्व में आया था. इससे पूर्व यह उत्तर प्रदेश राज्य का एक भाग था. अलग राज्य उत्तराखंड की मांग 25 अगस्त, 2000 को उत्तर प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2000 के पारित होने के साथ पूर्ण हुई.गठन के समय इसका नाम उत्तरांचल रखा गया.जो 21 दिसम्बर, 2006 को उत्तरांचल (नाम परिवर्तन) अधिनियम, 2006 के पारित होने पर परिवर्तित होकर उत्तराखंड हो गया तथा भारत सरकार की अधिसूचना दिनांक 29 दिसम्बर, 2006 के अनुसार 1 जनवरी, 2007 से प्रभावी हो गया. सर्वविदित है कि ईसाई समुदाय एक ऐसा समुदाय है जो कांग्रेस को हमेशा वोट देता रहा है.परंतु कांग्रेस पार्टी ने कभी भी 70 में से 1 सीट के लिए भी समुदाय को टिकट नही दिया है जबकि कांग्रेस का यह नारा है हम हर समाज सर्व धर्म को साथ लेकर चलते है वा इससे कांग्रेस की मानसिकता सामने आती है ,कि 2002 से 2007 तक किसी एक व्यक्ति को भी ईसाई समुदाय से या ईसाई समुदाय के समर्थन से विधानसभा या लोकसभा का आज तक कोई भी टिकट नही दिया गया. सभी धर्म सभी जाति के व्यक्तियों को कांग्रेस पार्टी टिकट देती है पर एक इतनी बड़ी संख्या में उत्तराखंड में ईसाई समुदाय निवास करता है और 70 के 70 विधानसभाओं में ईसाई समाज का वोट बैंक है चाहे वह कम है चाहे वह ज्यादा है पर है जरूर और जहां पर उत्तराखंड में थोड़ा ही मामूनी अंतर से सीटें जीती व हारी जाती है. कहा गया कि ऐसी स्थिति में कांग्रेस पार्टी ने पिछले चुनाव में जब ईसाई समुदाय की सहमति से राजपुर सीट पर अर्जुन कुमार को प्रत्याशी ना बनाकर बहुत बड़ी भूल की थी. जिसकी हानि कांग्रेस  को उठानी पड़ी थी, क्योकि ईसाई समाज ने अपने आप को बहुत ठगा महसूस किया था. क्योंकि कांग्रेस ने एक भी सीट पर ईसाई समाज के समर्थित या ईसाई समाज के व्यक्ति को टिकट नही देकर जिसकी नाराजगी के चलते ईसाई समाज ने अपना वोट कांग्रेस को ना देकर अलग हट गए थे और कुछ सीटों पर खुद चुनाव में उतरे थे.जिस कारण कांग्रेस पार्टी केवल 11 ही सीट पर सफलता प्राप्त कर पाई और 59 सीटों पर हार का मुंह देखना पडा और यह केवल इस कारण हुआ क्योकि जो वोट बैंक 100% कांग्रेस को जाता था उनके अंदर भारी नाराजगी थी क्योंकि उनकी सहमति से 70 विधानसभा सीटों में से एक भी टिकट ईसाई समुदाय की सहमति से नही दिया था.आप लोगो के माध्यम से हम एक बार फिर से कांग्रेस पार्टी से यह अनुरोध करते है कि शीघ्र अति शीघ्र हमारी सहमति से भाई अर्जुन कुमार झाझरा , देहरादून के रहने वाले है उन्हें कांग्रेस अपना प्रत्याशी सहसपुर विधानसभा न0 17 अथवा राजपुर विधानसभा न0 20 से अपना प्रत्याशी घोषित करें क्योंकि इनकी पत्नी खुद ईसाई समाज से है और अर्जुन कुमार खुद एक दलित अनुसुचित जाति है इसलिए कि अर्जुन कुमार को कांग्रेंस पार्टी अपना प्रत्याशी घोषित करें अन्यथा ईसाई समाज कांग्रेस  से बहुत दूर चला जाएगा .


मसीह शांति सेना नामक एक संगठन के अध्यक्ष रमेश कुमार मैक्स ने यहां संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि अभी तक हमारी कोई भी बात कांग्रेस पार्टी के अंदर नही सुनी जा रही है.प्रेस के माध्यम से यह बताना चाहते है कि उत्तराखंड के अंदर लगभग 20 सीटों पर हम अपना पार्टी का प्रत्याक्षी चुनाव लड़ने के लिए उतरेंगे. क्योंकि कांग्रेस पार्टी लगातार ईसाई समाज से खिलवाड़  करती चली आ रही है. सन 2002 से अब तक किसी भी तरह से कांग्रेस पार्टी  ने हमे कोई भी प्रतिनिधित्व करने वाला व्यक्ति नहीं दिया है जो हमारा विधानसभा में प्रतिनिधित्व करके हमारी आवाज को उठा सकें और केवल टिकट वितरण से पहले हमे यह आश्वासन दिया जाता रहा है कि तुम्हे सरकार बनने पर सरकार में राज्य मंत्री का दर्जा दे देंगे.तथा संगठन में ले लेंगे जोकि हम ईसाई समाज को कतई भी मान्य नही है क्योंकि जब और अन्य समाज को विधानसभा में प्रतिनिधत्व करने का मौका देकर टिकट वितरण करती है तो ईसाई समाज को विधनसभा से क्यो वंचित रखा जाता है.पिछले विधान सभा चुनाव 2017 में कुमाउ मंडल के खटिमा विधानसभा क्षेत्र में भाई रमेश कुमार मैक्स स्वतंत्र प्रत्याक्षी के रूप में चुनाव लड़ रहे थे उस समय भी रमेश कुमार मैक्स को पूर्व प्रदेश अध्यक्ष श्री किशोर उपाध्याय जी व कुमारी शैल्जा जी के कहने पर वह अपना चुनाव छोड़कर किशोर उपाध्याय जी के क्षेत्र सहसपुर में चुनाव मे मदद करने पहुंच गया और अपना चुनाव सरेन्डर कर दिया. परंतु उसके बावजूद भी हमारे समाज को कांग्रेस पार्टी द्वारा केवल आश्वासन ही मिला इसके अलावा कुछ नही मिला. आप लोगों के माध्यम से पुनः एक बार फिर से कांग्रेस पार्टी से अपील करता है कि यदि ईसाई समाज की अनदेखी की गई तो यह नारा होगा टिकट नहीं तो वोट समाज का वोट भी नहीं. उत्तराखंड विधान सभा की 70 सीटों  के लिए प्रथम आम चुनाव फरवरी 2002 में हुआ तथा एक सदस्य एंग्लो इंडियन समुदाय से नामित किया गया.इस प्रकार विधान सभा की कुल सदस्य संख्या 71 हो गयी.मसीह शांति सेना नामक एक संगठन के अध्यक्ष रमेश कुमार मैक्स ने कहा कि सरकार ने एंग्लो इंडियन विधायक का पद समाप्त कर ईसाई समुदाय को उपेक्षित करने का काम किया है.उन्होंने कहा कि प्रदेश में बढ़ी संख्या में ईसाई निवास करते हैं.बताया कि समुदाय ने कांग्रेस पार्टी से टिकट की मांग की है. इसके लिए कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की गई है.इस अवसर पर बीके दास, नरेन्द्र सिरोला, मनोज कुमार, विकास राय, ललित निगम आदि मौजूद रहे. दुनिया की सबसे बड़ी डेमोक्रेसी भारत में ज़्यादा नहीं बस चार सौ हमले हुए है मसीहियों पर 2021 में, लेकिन अभी भी हमारी कौम जाग नहीं रही, अब तो जागो, अब तो एक हो जाओ, वेस्ट में बैठे किसी गोरे का इंतजार कर रहे हो कि वो तुम्हे आकर बचाएगा, कम से कम उन सेवको और मिनिस्ट्रीज का ही साथ दे दो जो ऐसे वक्त में दिलेरी दिखाकर मसीह जी का झंडा बुलंद कर रहे है, अपनी जान की बगैर परवाह किए हुए। इस संदर्भ में अल्पा फिलिप कहते हैं कि मुसलमानों में एकता है, हिंदुओं में एकता है, लेकिन सबसे बड़ी त्रासदी यह है कि ईसाइयों में एकता नहीं है.वहीं लवली जोनसन अंशु ने कहा कि कर ले सही कोई कुछ नहीं बोलता है कोई कुछ भी बोले कुछ भी करे हमारे इस समाज के लोग मुझे डरपोक लगते हैं क्योंकि उनसे किसी से कोई मतलब ही नहीं है बस सिर्फ यही कहेंगे हम सब प्यार से मिलकर  रहना है कुछ नहीं कहेंगे बस बहुत हुआ अब कैथोलिक प्रोटेस्टेंट अब सब को एक होना चाहिए तभी हमारे लोग बचेंगे का उपयोग करें. प्रभु प्रकाश अलबेला कहते हैं कि ईसाई समुदाय को भी अलग से राजनैतिक पार्टी बनाना चाहिए. जैसे बिहार में मुकेश सहनी ने  अलग से वीआईपी पार्टी बना कर बिहार सरकार में मंत्री बन गये हैं. ब्रदर आपकी इमोशन हमारी इमोशन है.मगर इसमे पार्टी की कोई गलती नहीं क्योंकि वो उन्हीं लोगों को टिकट देते हैं जो बहुमत में हैं. फिर जिन्होंने उनके पार्टी के लिए काम किया है. बेवजह किसी और को टिकट देकर बर्बाद सीट नहीं करना नहीं चाहते हैं. 

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