बिहार : टिकट का पेमेंट सरकार ने किया या भाजपा ने? नहीं बता पाये वित्‍त मंत्री !! - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 28 मार्च 2022

बिहार : टिकट का पेमेंट सरकार ने किया या भाजपा ने? नहीं बता पाये वित्‍त मंत्री !!

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पटना के सिनेमा एक हॉल में सोमवार को विधायकों और विधान पार्षदों ने ‘क‍श्‍मीर फाइल’ नामक सिनेमा देखा। सिनेमा देखने वालों में विधान सभा अध्‍यक्ष विजय कुमार सिन्‍हा और परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह भी शामिल थे। विधायकों के लिए 6.30 बजे के शो में देखने का इंतजाम किया गया था। सोमवार की सुबह जब विधानसभा की कार्यवाही में शामिल होने के लिए विधायक विधान सभा के अंदर प्रवेश कर रहे थे तो उन्‍हें ‘कश्‍मीर फाइल’ नामक सिनेमा का टिकट लिफाफा में भर कर दिया जा रहा है। एक लिफाफे में एक टिकट था। सदन की कार्यवाही शुरू होने के बाद वामपंथी सदस्‍यों ने विधान सभा के काउंटर से सिनेमा हॉल का टिकट वितरण पर आपत्ति जताते हुए हंगामा किया। स्‍पीकर के आश्‍वासन के बाद वे शांत हो गये। स्‍पीकर ने कहा कि 12 बजे के बाद इस मुद्दे पर चर्चा करेंगे। लेकिन चर्चा नहीं होने से नाराज विपक्षी सदस्‍यों ने सदन में टिकट फाड़कर अपना विरोध जताया। लेकिन सवाल यह था कि विधानमंडल सदस्‍यों के लिए खरीदी गयी टिकट का भुगतान किसने किया था? सरकार ने किया था, भाजपा ने किया था या सिनेमा हॉल का मालिक ने फ्री में टिकट मुहैया कराया था। इन सवालों के उत्‍तर की तलाश में हम मोना सिनेमा हॉल पहुंचे, जहां इसका प्रदर्शन किया जाना था। हमने सिनेमा देखने जा रहे कई विधायकों और विधान पार्षदों से जानना चाहा कि टिकट का खर्चा कौन उठाया है, लेकिन किसी ने कोई जवाब नहीं दिया। शाम करीब सवा 6 बजे उपमुख्‍यमंत्री सह वित्‍त मंत्री तारकिशोर प्रसाद पहुंचे। इनके ही कार्यालय से टिकट का वितरण करवाया गया था। विधान सभा में जब कांग्रेस की प्रतिमा कुमारी ने एक के बदले दो टिकट देने की मांग की तो वित्‍त मंत्री ने सदन में घोषणा की कि महिला सदस्‍यों को दो टिकट दिया जाएगा।

सदन में उपमुख्‍यमंत्री की घोषणा से स्‍पष्‍ट हो गया था कि टिकट के संबंध में कुछ स्‍पष्‍ट जानकारी यही दे सकते हैं। सिनेमा हॉल के अंदर वाले गेट से पहले हमने वित्‍त मंत्री से बातचीत की और पूछा कि इन टिकटों का खर्चा सरकार ने उठाया है या भाजपा मुख्‍यालय ने। हमारे सवाल का जवाब टालते हुए उन्‍होंने कहा कि लौट कर आते हैं। इतना कह कर वे हॉल में प्रवेश कर गये। वैसे टिकट की कीमत के संबंध में हमने सिनेमा हॉल के एक कर्मचारी से पूछा तो उन्‍होंने बताया कि जो टिकट विधायक लेकर आ रहे हैं, उसकी कीमत 200 रुपये है। कश्‍मीर फाइल एक सिनेमा है। जिनकी रुचि हो, जरूर देखना चाहिए। लेकिन विधानमंडल सदस्‍यों और पत्रकारों को विधानसभा के काउंटर से टिकट उपलबध कराना कई तरह का सवाल छोड़ जाता है।  यदि सिनेमा हॉल का टिकट वित्‍त विभाग की ओर से विधायकों के मनोरंजन के लिए उपलब्‍ध कराया गया था तो टिकट फाड़ने वाले विधायकों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। जैसे पिछले साल पुलिस बिल फाड़ने वाले विधायकों के खिलाफ की गयी थी। यदि भाजपा मुख्‍यालय की ओर से टिकट खरीदकर वित्‍तमंत्री के कार्यालय के माध्‍यम से विधायकों को उपलब्‍ध कराया गया तो टिकट वितरण की अनुमति किसने दी? किसी पार्टी के सरोकार को पूरा करने के लिए विधानसभा के मंच का इस्‍तेमाल किया जा सकता है। तीसरा सवाल यह है कि सिनेमा हॉल के मालिक ने यदि विधायकों के मनोरंजन के लिए मु्फ्त में टिकट उपलब्‍ध कराया था तो क्‍या विधान सभा काउंटर टिकट वितरण केंद्र है और वित्‍त विभाग आपूर्तिकर्ता? टिकट बांटना, खरीदना और सिनेमा देखना हर व्‍यक्ति का मौलिक अधिकार है। लेकिन किसी सिनेमा हॉल का टिकट विधानसभा के काउंटर से बांटना, विधान सभा में एक के बदले दो टिकट देने की उपमुख्‍यमंत्री द्वारा घोषणा और वामपंथी दलों के विरोध को  नजरअंदाज कर देना। यह कितना उचित है, यह पाठकों को तय करना चाहिए। वित्‍त मंत्री हमारे सवाल का जवाब सिनेमा हॉल में नहीं दे पाये थे, लेकिन टिकट वितरण करने वाली जगह विधान सभा में यह जरूर बताना चाहिए कि इन टिकटों की कीमत का भुगतान किसने किया था? 




--- वीरेंद्र यादव, वरिष्‍ठ संसदीय पत्रकार, पटना ---

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