पटना : राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के एक निर्णय के कारण बिहार एवं कर्नाटक में नगर निकाय का चुनाव को लंबे समय तक टालने की नौबत आ गई है। मोदी ने कहा कि वर्षों से अधिकांश राज्यों में पिछड़े वर्गों की सूची है, जिसके आधार पर सेवा, शिक्षा एवं स्थानीय निकायों में आरक्षण दिया जा रहा है। परंतु सर्वोच्च न्यायालय का कहना है कि सेवा और शिक्षा में आरक्षण राजनैतिक आरक्षण से अलग है, अतः दोनों की सूची अलग-अलग होगी। सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार जहां पंचायत एवं स्थानीय निकायों में पहले से आरक्षण है वहां भी एक अलग आयोग गठित कर ट्रिपल टेस्ट के आधार पर नई सूची तैयार की जाए जो सेवा और शिक्षा में आरक्षण सूची से अलग हो। हर निकाय में जातियों की सूची और प्रतिशत भी भिन्न-भिन्न हो सकता है। इस आधार पर सर्वोच्च न्यायालय ने मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र की सूची रद्द कर दी और चुनाव स्थगित करना पड़ा। मोदी ने कहा कि राज्यों के पास कोई आंकड़ा नहीं है और नया आयोग बनाने का अर्थ है कि लंबे समय तक चुनाव टालने पड़ेंगे और ऐसी सूची बनाना भी अत्यंत कठिन है। जिस प्रकार अनुसूचित जाति /जनजाति की एक ही सूची के आधार पर सेवा, शिक्षा और राजनैतिक आरक्षण दिया जाता है उसी प्रकार ऐसा प्रावधान किया जाए कि राज्य भी अपनी एक सूची के आधार पर सेवा, शिक्षा के साथ-साथ स्थानीय निकाय में भी आरक्षण दे सकें।
मंगलवार, 29 मार्च 2022
सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के कारण टल सकता है बिहार नगर निकाय चुनाव
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