विजय सिंह ,लाइव आर्यावर्त , जमशेदपुर 21 अप्रैल, यात्रा के लिए रेलवे आम आदमी की पहली पसंद होने के साथ साथ सुगम और किफायती माना जाता रहा है लेकिन अब वही रेलवे आम जनों की जेब में अतिरिक्त बोझ डाल रहा है। आरक्षण नहीं होने की स्थिति में लोग टिकट काउंटर से जनरल टिकट लेकर साधारण डिब्बों में सफर करते रहे हैं। 2020 में कोरोना संक्रमण के दौरान देश में पहली बार तालाबंदी और यात्री रेल आवागमन की बंदी के कुछ महीनों बाद विशेष ट्रेनों के रूप में शुरू हुए पुनः परिचालन के समय से ही सिर्फ आरक्षित टिकट पर यात्रा की अनुमति थी और रेलवे स्टेशनों पर भौतिक टिकट अनुपलब्ध हैं। टाटानगर रेलवे स्टेशन पर टिकट काउंटर से जनरल टिकट उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है लेकिन जुर्माने के साथ गंतव्य तक किराये के पैसे टीटीई को चुकाने के बाद आप यात्रा के लिए पात्र हो जाते हैं। हालाँकि इसके बावजूद आपको कोई सीट नहीं मिलेगी ,आप साधारण डिब्बे में सफर कर सकते हैं। यदि सीट चाहिए तो फिर संबंधित ट्रेन के टीटीई पर निर्भर होना होगा ,जाहिर है सुविधा शुल्क यहाँ भी देना होगा। उच्च या वातानुकूलित श्रेणी के लिए टीटीई को अतिरिक्त भुगतान करना होगा। यानि एक सफर में यात्रियों को तीन प्रकार के शुल्क चुकाने पड़ रहे हैं । जब रेलवे गंतव्य तक के टिकट के पैसे यात्रियों से ले ही रही है तो जुर्माना किस बात का ,गुनाह क्या है यात्रियों का ? टाटानगर से झारसुगुड़ा तक सफर कर रहे एस .के.प्रसाद ने बताया कि टाटा से झारसुगुड़ा के लिए उत्कल एक्सप्रेस में द्वितीय श्रेणी टिकट ( टिकट की कीमत 120 रुपये ) के अलावा 250 रुपये जुर्माना के रूप में भुगतान किया और फिर किसी तरह खचाखच भरी बोगी में लगभग छह घंटे का सफर तय कर पाए। वापसी में झारसुगुड़ा से टाटानगर तक साउथ बिहार एक्सप्रेस में भी वैसी ही स्थिति रही। ' लाइव आर्यावर्त ' ने इस संदर्भ में दक्षिण पूर्व रेलवे की महाप्रबंधक , चक्रधरपुर डिविजनल रेलवे मैनेजर सहित रेल मंत्रालय से जानकारी लेनी चाही परन्तु समाचार लिखे जाने तक उनका पक्ष नहीं मिल पाया।
गुरुवार, 21 अप्रैल 2022
जमशेदपुर : रेलवे किस गुनाह की सजा दे रहा यात्रियों को
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