बताया गया कि नवादा रजौली अनुमंडल क्षेत्र का कचहरिया डीह एक ऐसा गांव है. जहां लोग फ्लोराइड युक्त पानी पीने को विवश थे. जिसके कारण यहां के 75 प्रतिशत लोग दिव्यांग हैं. आज यहां के लोगों को वाटर ट्रीटमेंट प्लांट्स से शुद्ध जल मुहैया कराया जा रहा.इस प्लांट से प्रत्येक घर तक नल का जल पहुंचाया गया है. जब से लोग फ्लोराइड मुक्त जल पी रहे तब से दिव्यांगता की समस्या थोड़ी दूर हुई है. यहां के ग्रामीण बताते हैं कि वर्षों से कचहरिया डीह गांव के लोग एक कुआं से पानी लाकर पीते थे. इसमें काफी मात्रा में फ्लोराइड था. फ्लोराइड युक्त जल पीने से लोग दिव्यांग होते चले गए. ग्रामीणों ने बताया कि जब किसी बच्चे का जन्म होता था तो वह जन्म के समय बिल्कुल ठीक रहता था, जब वह चार-पांच साल का होता तब उसका हाथ, पैर एवं कमर में ऐठन सी हो जाती थी और वह दिव्यांग बन जाता. इतना ही नहीं इन समस्याओं के कारण कोई भी लोग यहां शादी ब्याह करना नहीं चाहता था. जिसके कारण यहां के लोगों को शादी ब्याह में काफी परेशानी होती थी. यही वजह रही कि कुछ लोग इस गांव से दूसरे गांव में विस्थापित हो गए.इस प्रकार कर सकते हैं कि यहां के लोगों को फ्लोराइड युक्त जल अभिशाप बन गया था.लेकिन जब यह मामला जिला प्रशासन के संज्ञान में आया तब हरदिया डैम वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाई गई, जहां से शुद्ध जल कचहरीयाडीह के साथ अन्य गांवों को भी उपलब्ध कराया जा रहा है. आप लोग पिछले 2 वर्षों से शुद्ध जल का सेवन कर रहे हैं जिससे यह समस्या अब दूर हो गई है और पूरा गांव खुशहाल हो गया है. वही पंप ऑपरेटर राजेश कुमार बताते हैं कि प्लांट से जल शुद्धीकरण कर पानी टंकी तक पहुंचाया जाता है जिसके बाद यहां भी प्रत्येक दिन जल का पीएच मान और क्लोरीन टेस्ट के बाद ही ग्रामीणों को जल सप्लाई दिया जाता है. जिससे अब ग्रामीणों को शुद्ध जल मिल रहा है और दिव्यांगता जैसी अभिशाप से यहां के लोग मुक्त हो गये है.
नवादा. इस जिले में है रजौली प्रखंड के कचहरिया डीह गांव.बिहार के सत्ताधारी दलों के द्वारा शुद्ध पेयजल उपलब्ध नहीं कराने के कारण गांव के लोग एक कुआं से पानी लाकर पीते थे.इसमें काफी मात्रा में फ्लोराइड था.जल ही जीवन समझकर साधनहीन लोग फ्लोराइड युक्त पानी पीकर दिव्यांगता के शिकार होते चले जाते थे. एक समय ऐसा हो गया कि यहां के 75 प्रतिशत लोग विकलांगता की चपेट में पड़ गये.ये सब लोकतंत्र के प्रहरी थे पर विकलांगता के कारण मतदान केन्द्र में जाकर वोट नहीं दे सक रहे थे. इस बात की जानकारी जिले के जिलाधिकारी को मिली.तब दलबल के साथ जिलाधिकारी कौशल कुमार गांव में जा पहुंचे. इस जिले के 2,4 9 4 वर्ग किलोमीटर (963 वर्ग मील) का क्षेत्रफल है और 24.88 एन 85.53 ई में स्थित है. 1845 में, यह गया जिला के उपविभाग के रूप में स्थापित किया गया था. 26 जनवरी 1973 को, नवादा को एक अलग जिले के रूप में बनाया गया था.नवादा जिले बनने के 49 साल हो गया है.अशुद्ध पानी पीने वाले लोगों के कचहरिया डीह गांव में डीएम पहुंचे.यहां पर सुगम इलेक्शन का थीम समझाने लगे और कचहरिया डीह गांव वालों से जानना चाहा कि आखिरकार आप लोग मतदान करने क्यों नहीं जाते हैं. इस बीच गांव का भ्रमण भी किया और लोगों के साथ बैठक भी की. यहां के लोगों ने आपबीती बयान में कहा कि यहां के अधिकांश ग्रामीण विकलांगता के शिकार हो रहे हैं. बिहार के नवादा जिले के रजौली प्रखंड के कचहरिया डीह गांव के अधिकांश ग्रामीण विकलांगता के शिकार है. उस समय भारत निर्वाचन आयोग ने सुगम इलेक्शन का थीम रखा था. जिसके तहत किसी को भी वोटिंग में परेशानी नहीं हो. नवादा के जिला निर्वाचन पदाधिकारी सह जिलाधिकारी कौशल कुमार ने पहल किया. कचहरिया डीह के ग्रामीणों को वोट के अधिकार से अवगत कराया.उसे हर संभव मदद का आश्वासन भी दिया.
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