विशेष : अग्निपथ की आग में झुलसा भारत "अर्थी दो या भर्ती दो" - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 17 जून 2022

विशेष : अग्निपथ की आग में झुलसा भारत "अर्थी दो या भर्ती दो"

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अग्निपथ की आग में झुलसा भारत "अर्थी दो या भर्ती दो" के नारे ने पीएम मोदी का विजयपथ रोक दिया। केंद्र की मोदी नीत सरकार की महत्वपूर्ण योजना अग्निपथ के खिलाफ बिहार से शुरू हुआ विरोध-प्रदर्शन अब तक दिल्ली समेत हरियाणा,हिमाचल प्रदेश,उत्तर प्रदेश,राजस्थान,मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और केरल जैसे सात राज्यों में पहुंच गया है। बिहार के अलावा यूपी, हरियाणा, उत्तराखंड और राजस्थान से भी सेना में भर्ती की वर्षों से तैयारी कर रहे युवाओं के उग्र प्रदर्शन की खबरें सामने आ रही है। मोटे तौर पर सेना में केवल चार सालों की भर्ती योजना को लेकर छात्रों में खासा आक्रोश है। ये अग्निपथ योजना के विरोध में प्रदर्शन कई शहरों में फैल गया और मुख्य तौर पर रेलवे की संपत्ति को निशाना बनाया जा रहा है। प्रदर्शन की वजह से रेलवे ने 22 ट्रेनें कैंसिल कर दी हैं और यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बिहार में बीजेपी नेताओं और उनके ऑफिस को भी निशाना बनाया जा रहा है। बिहार समेत अन्य राज्यों में भाजपा के नेता मुँह छुपाए घूम रहे हैं। दिल्ली के आईटीओ में युवाओं ने अग्निपथ योजना के खिलाफ युवाओं ने जमकर प्रदर्शन किया। इस दौरान करीब 25 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया है।


पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र में युवा सडकों पर उतर कर इस योजना ने विरोध में जमकर प्रदर्शन कर रहे हैं। अग्निपथ योजना के विरोध में वाराणसी में शहरी क्षेत्र से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक प्रदर्शन लगातार हो रहा है। कल कैंट स्टेशन के बाहर युवकों ने सवारी वाहनों के शीशे तोड़े और प्रदर्शन शुरू किया। साथ ही इंग्लिशिया लाइन, कैंट स्टेशन के सामने मुख्य मार्ग पर भी प्रदर्शन किया। कैंट स्टेशन परिसर में प्रवेश से रोकने पर भड़के युवाओं ने प्रदर्शन किया। रोडवेज के पास भी युवकों ने पत्थरबाजी की। पथराव कर कई बसों के शीशे तोड़ दिए। कैंट स्टेशन के आसपास की दुकानें बंद हो गई हैं। इंग्लिशिया लाइन पर पथराव भी किया गया है। पुलिस प्रशासन ने अतिरिक्त पुलिस बल किसी भी स्थिति से निबटने के लिए तैनात कर दिया है।  अग्निपथ योजना के विरोध में हरियाणा में भी युवाओं का विरोध प्रदर्शन जारी है। नारनौल में सड़कों पर हो रहे प्रदर्शन को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। इस दौरान दो छात्र नेता समेत 9 प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया। वहीँ,हरियाणा के ही  जींद में युवाओं ने विरोध प्रदर्शन करते वक्त जींद-दिल्ली-भटिंडा रेलवे ट्रैक को जाम कर दिया। बड़ी संख्या में युवा ट्रैक पर बैठ गए हैं। हरियाणा और रेलवे पुलिस बल हरियाणा में  हिंसक प्रदर्शन को देखते हुए हाई अलर्ट मोड में है। उधर, मध्य प्रदेश के ग्वालियर में बिरला नगर रेलवे स्टेशन पर जमकर हंगामा हुआ। युवाओं ने स्टेशन पर तोड़ फोड़ की उसके बाद रेलवे ट्रेक पर कुर्सियां फैंक दी, टायरों में आग लगा दी और रेल परिवाहन बाधित कर दिया। इसके अलावा राजस्थान के सीकर और जयपुर से भी छात्रों के विरोध प्रदर्शन की हो रहे हैं।


गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने सेना भर्ती के लिए नई नीति अग्निपथ का ऐलान किया है। इसकी जानकारी रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तीनों सेना के प्रमुखों के साथ एक प्रेस कांफ्रेंस में दी।राजनाथ सिंह ने बताया की थल सेना वायु सेना और जल सेना ने फैसला किया है कि अब नॉन कमीशन रैंक की भर्तियां अग्निपथ योजना के तहत की जाएंगे यानी सिपाही सेलर या एयर मैन बनने के लिए अग्नि पथ पर चलकर अग्निवीर बनना होगा। आपको बता दें कि इस योजना के तहत सैनिकों की भर्ती 4 वर्षों के लिए की जाएगी। चार साल की नौकरी के बाद ही वे परमानेंट सेटलमेंट के लिए आगे बढ़ पाएंगे। भर्ती अग्निवीरों के 25 फीसदी ही सैनिकों को स्थाई सेवा देने का मौका मिलेगा। बाकी अग्निवीर नौकरी से बाहर हो जाएंगे, उनके पुनर्वास के लिए भी सरकार ने एक रोडमैप बना रही हैं, ऐसा सरकार का दावा है। अग्निपथ योजना के तहत भर्ती के एलान के बाद छात्रों को कई आशंकाओं से भर दिया है। इससे पहले भर्ती को लेकर सामान्य नियम था। पहले एक विज्ञापन के जरिए इसकी जानकारी दी जाती थी और खुली भर्ती की तरह इस प्रक्रिया को पूरा किया जाता था। इसके बाद एक फिजिकल, मेडिकल और रिटर्न टेस्ट के बाद डॉक्यूमेंट वेरिफिवेशन के बाद भर्ती पूरी कर ली जाती थी। इस भर्ती के जरिए सेना में सेवाएं देने के लिए 17 सालों का समय मिलता था। इसके साथ ही रिटायरमेंट के बाद पेंशन भी दी जाती थी। इसके अलावा नौकरी के दौरान सस्ते समान के लिए कैंटीन और सस्ते इलाज के लिए हेल्थ स्क्रीम भी दी जाती थी। इस योजना की घोषणा के साथ केंद्र सरकार देश के युवाओं को इस योजना के फायदे और रोजगार के अवसर के रूप में भविष्य संवारने को लेकर कुछ भी स्पष्ट समझाने में नाकाम दिखाई देती है। क्योंकि इस योजना की घोषणा के साथ नियमित नौकरी के अवसर स्वतः समाप्त हो गये जिसको लेकर युवाओं में खासा रोष देशभर में देखने को मिला रहा है। 





अशोक कुमार निर्भय 

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं। )

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