बिहार : तीसरे अविश्‍वास प्रस्‍ताव पर होगी स्‍पीकर की पहली विदाई - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 19 अगस्त 2022

बिहार : तीसरे अविश्‍वास प्रस्‍ताव पर होगी स्‍पीकर की पहली विदाई

  • 1960 और 1970 में भी अध्‍यक्ष के खिलाफ आया था अविश्‍वास प्रस्‍ताव

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बिहार विधान सभा के अध्‍यक्ष विजय कुमार सिन्‍हा के खिलाफ 24 अगस्‍त अविश्‍वास प्रस्‍ताव पर चर्चा का समय निर्धारित है। यदि इससे पहले उन्‍होंने इस्‍तीफा दे दिया तो इसकी नौबत नहीं आयेगी। यदि अविश्‍वास प्रस्‍ताव सदन में चर्चा के लिए पेश होता है तो अध्‍यक्ष पद से विजय सिन्‍हा की विदाई तय है। वजह साफ है कि अविश्‍वास प्रस्‍ताव का नोटिस सत्‍ता पक्ष ने दिया है और सरकार को 164 सदस्‍यों का समर्थन प्राप्‍त है। इससे पहले 1960 और 1970 में विपक्ष की ओर से अविश्‍वास का नोटिस दिया गया था। दोनों बार अध्‍यक्ष की कुर्सी पर कोई आंच नहीं आयी थी।   पहले हम बात करते हैं 7 अप्रैल,1960 को तत्कालीन अध्‍यक्ष विंध्‍येश्‍वरी प्रसाद वर्मा के खिलाफ लाये गये अविश्‍वास प्रस्‍ताव की। उस दिन सदन की कार्यवाही अध्‍यक्ष श्री वर्मा की अध्‍यक्षता में शुरू हुई। प्रश्‍नोत्‍तर काल की समाप्ति के बाद अध्‍यक्ष ने कहा कि अब अध्‍यक्ष के संबंध में अविश्‍वास प्रकट करने का संकल्‍प है। संविधान के अनुसार उपाध्‍यक्ष को बुलाता हूं और इस सभा में एक स्‍थान पर बैठ जाऊंगा। इसके बाद उपाध्‍यक्ष प्रभुनाथ सिंह आसन पर आते हैं और अविश्‍वास का संकल्‍प पढ़ते हैं। उन्‍होंने कहा कि हम इसके द्वारा संकल्‍प करते हैं कि यह सभा संकल्‍प रखती है कि अध्‍यक्ष को उनके पद से हटाया जाए। इस अविश्‍वास प्रस्‍ताव पर काफी लंबी बहस हुई। इस बहस में डा. श्रीकृष्‍ण सिंह, नवल किशोर प्रसाद सिंह, रमाकांत झा, कपिलदेव सिंह, रामजनम ओझा, विनोदानंद झा, रामानंद तिवारी, रामचरित्र सिंह, महेश्‍वर प्रसाद नारायण सिंह, रामेश्‍वर प्रसाद महथा, शकुंतला अग्रवाल, वीरचंद पटेल, कार्यानंद शर्मा, जिआउर रहमान, विनोदानंद झा, कृष्‍णकांत सिंह, भूपेंद्र नारायण मंडल आदि सदस्‍यों ने हिस्‍सा लिया था। अविश्‍वास प्रस्‍ताव चर्चा के बाद अस्‍वीकार हो गया था। अध्‍यक्ष के खिलाफ दूसरी बार अविश्‍वास प्रस्‍ताव का नोटिस मई-जून 1970 में लाया गया था। इस नोटिस पर चर्चा 8 जून, 1970 को हुई थी। उस समय राम नारायण मंडल विधान सभा के अध्‍यक्ष थे, जबकि उपाध्‍यक्ष का पद रिक्‍त था। सदन में चर्चा अध्‍यक्ष के खिलाफ अविश्‍वास प्रस्‍ताव पर होनी थी, इसलिए सदन के संचालन का जिम्‍मा वरिष्‍ठ सदस्‍य राधानंदन झा को सौंपा गया था। चर्चा के दौरान आसन पर राधानंदन झा ही थे, जो बाद में 1980 में स्‍पीकर भी बने थे। स्‍पीकर के खिलाफ अविश्‍वास का नोटिस श्‍यामसुदंर दास ने दिया था। श्‍याम सुदंर दास सीतामढ़ी से संसोपा के विधायक थे। उस समय मुख्‍यमंत्री दारोगा प्रसाद राय थे। सदन की कार्यवाही शुरू होने के बाद अविश्‍वास प्रस्‍ताव की नोटिस देने वाले विधायक ने कहा कि हमने वर्तमान अध्‍यक्ष को हटाने के संबंध में एक प्रस्‍ताव दिया था। आज चौदहवां दिन है। हम प्रस्‍ताव वापस लेने की सूचना दे रहे हैं। दरअसल अविश्‍वास प्रस्‍ताव की नोटिस सदन में रखे जाने से पहले ही वापस ले ली गयी थी, इस कारण अविश्‍वास प्रस्‍ताव पर चर्चा की नौबत नहीं आयी। लेकिन नोटिस देने और वापस लेने को लेकर शयाम सुंदर दास ने अपना पक्ष सदन में रखा था। इसके औचित्‍य को लेकर भी सवाल उठाये गये, लेकिन सभापति ने कहा कि मामला समाप्‍त हो गया है। स्‍पीकर के खिलाफ तीसरी बार अविश्‍वास प्रस्‍ताव का नोटिस सत्‍ता पक्ष ने दिया है। इस कारण यदि अविश्‍वास प्रस्‍ताव सदन में चर्चा के लिए आता है तो उसका स्‍वीकार हो जाना स्‍वाभाविक है। इस प्रकार तीसरे अविश्‍वास प्रस्‍ताव पर स्‍पीकर की पहली विदाई तय है।  




--- वीरेंद्र यादव, वरिष्‍ठ संसदीय पत्रकार, पटना ----

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