हिमालयी राज्यों के विकास के लिए बने विशेष मॉडल : धामी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 7 अगस्त 2022

हिमालयी राज्यों के विकास के लिए बने विशेष मॉडल : धामी

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नई दिल्ली 07 अगस्त, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि हिमालय राज्यों की भौगोलिक संरचना, पारिस्थितिकी और जनसंख्या घनत्व जैसी कई संवेदनशील स्थितियों को देखते हुए प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में इन राज्यों के विकास के लिए गोष्ठी आयोजित कर विशेष कार्य योजना बनाई जानी चाहिए। श्री धामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में रविवार को यहां आयोजित नीति आयोग की शासी परिषद की 7वीं बैठक में हिस्सा लेते हुए यह गोष्ठी उत्तराखंड में आयोजित करने का आग्रह किया और कहा “ हिमालयी राज्यों की परिस्थितिकी, जनसंख्या धनत्व, बढ़ती आबादी तथा पर्यावरणीय संवेदनशीलता को देखते हुए ही विकास का ऐसा मॉडल बनाया जाए ,जो विज्ञान-प्रौद्योगिकी पर आधारित हो। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में हिमालयी राज्यों के विकास के लिए एक विशेष गोष्ठी आयोजित हो जिसका आयोजन उत्तराखण्ड में हो।” उन्होंने कहा कि श्री मोदी की अपेक्षा के अनुसार 21वी शताब्दी का तीसरा दशक उत्तराखण्ड का दशक बने इसके लिये राज्य सरकार ने 'आदर्श उत्तराखण्ड 2025' को अपना मंत्र बनाकर त्वरित गति से कार्य प्रारम्भ किया है। उनका कहना था कि आजादी के अमृत काल में अगले 25 वर्ष की योजना बनाना भी उनकी प्राथमिकता है। उत्तराखण्ड में विकास की नीतियों पर उन्होंने कहा कि केन्द्र पोषित योजनाओं को राज्य की विशिष्ट भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखकर सुचारू बनाया ज रहा है। पर्यटन, वानिकी तथा सुगन्ध पौध आधारित योजनाओं को राज्य के लिए खुशहाली लाने वाली योजना बताते हुए उन्होंने कहा कि जल धारा पुनर्जीवीकरण के तहत छोटे बांध एवं छोटे-छोटे जलाशय बनाकर राज्य के विकास को गति दी जा सकती है जिसमे राज्य को केंद्र से तकनीकी एवं वित्तीय सहयोग की विशेष ज़रुरत होगी। उन्होंने चार धाम यात्रा, कावड़ियों की लगातार बढ़ रही संख्या को देखते हुए विशेष व्यवस्था करने की जरूरत पर बल दिया। उनका कहना था कि सड़कों, रेलमार्गो, स्वास्थ्य सेवाओं एवं विभिन्न केन्द्र पोषित योजनाओं से राज्य प्रगति कर रहा है। बद्रीनाथ, केदारनाथ के मास्टर प्लान के अनुरुप पुनः निर्माण कार्य तीव्र गति से चल रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा राज्य में मंडुआ, झिंगोरा, मादिरा, रामदाना, पर्वतीय दलहन जैसे गहथ, राजमा आदि तथा सुगंध एवं औषधीय पौधों को निरन्तर बढ़ावा दिया जा रहा है। सेब तथा उच्च मूल्य वाले कीवी फल के क्षेत्रफल और खाद्य प्रसंस्करण क्षमता को विस्तारित किया जा रहा है। 

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