भारत ने दुनिया को सभ्यता-संस्कृति औैर शांति दी है : लेखी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 11 सितंबर 2022

भारत ने दुनिया को सभ्यता-संस्कृति औैर शांति दी है : लेखी

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माउंट आबू 11 सितंबर, केंद्रीय विदेश और संस्कृति राज्यमंत्री मीनाक्षी लेखी ने राजयोग को मन-विचार की शांति के लिए आवश्यक बताते हुए कहा कि इसके माध्यम से ही भारत ने दुनिया को सभ्यता, संस्कृति औैर शांति दी है। श्रीमती लेखी ने यह विचार रविवार को माउंट आबू में ब्रह्माकुमारीज संस्थान द्वारा आयोजित चार दिवसीय वैश्विक शिखर सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि जिसके विचारों, मन और भाव में सुख नहीं है, वह दुनिया में क्या सुख बांटेगा। सुख पाने के लिए मन-मस्तिष्क का सही होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि समाज में व्याप्त बुराइयां व्यक्ति के दिमाग की उपज हैं। रक्षा, सुरक्षा, चिकित्सा जो भी शब्द शक्ति से भरपूर हैं वह कहीं न कहीं नारी शक्ति से जुड़े हैं। हमारी मूल सभ्यता-संस्कृति शांति की रही है। चारों ओर शांति होगी, सबका भला होगा तो उसमें ही हमारा सुख और शांति है। उन्होंने मीडिया से आह्नान किया कि जब बुराई दिखाना जरूरी है तो जो लोग समाज में भला काम कर रहे हैं वह दिखाना भी जरूरी है, ताकि लोग अच्छे कार्य से प्रेरणा लेकर आगे बढ़ सकें। उन्होंने ब्रह्माकुमारीज संस्थान में बहनों की खुले दिल से तारीफ की। समाज की सेवा में जुटी ब्रह्माकुमारीज एकमात्र ऐसी संस्था है जो महिलाओं द्वारा चलाई जा रही हैं। हमारे वेदों में भी महिलाओं को समाज की ऋचाओं को लिखने का कार्य, गुरु होने का उल्लेख किया है। आजादी की लड़ाई में भी साधु-संत, महात्माओं का योगदान रहा है। सम्मेलन में उच्चतम न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश और राज्यसभा सांसद न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने कहा कि ब्रह्माकुमारीका वंडलफुल आर्गेनाइजेशन है। यहां से लोगों को मूल्य, सभ्यता, संस्कृति, योग, आध्यात्म की शिक्षा दी जा रही है। आज के युग में ऐसे कार्यों की बहुत जरूरत है। ब्रह्माकुमारीका कर्मयोग में विश्वास रखती है। यहां से प्रैक्टिकल में समाज को ज्ञान दिया जा रहा है। योग से ही दुनिया में बदलाव आएगा। योग-आध्यात्म से ही दुनिया में शांति आएगी। यहां से आत्मा के ज्ञान द्वारा दुनिया को शांति का संदेश दिया जा रहा है। विशिष्ट अतिथि के तौर पर आये हरियाणा सरकार में सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री ओम प्रकाश यादव ने कहा कि मानव सेवा, गरीब की सेवा, गौसेवा से बड़ी कोई सेवा नहीं है। कोरोना काल में जहां उन्नतशील देश घबरा गए थे वहीं भारत वर्ष ने सबसे पहले कोरोना वैक्सीन की खोज की। हमारे संस्कारों में मानवमात्र के कल्याण का भाव रहा है। इसी उद्देश्य को लेकर ब्रह्माकुमारी भाई-बहनों देश के कोने-कोने में इस मिशन को चला रहे हैं। यहां की शांति, सुंदरता और सफाई अद्भुत है। संस्थान की मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी ने कहा कि शांति के सागर, सुखदाता परमपिता शिव परमात्मा के घर में विश्वभर से पधारे सभी भाई-बहनों का स्वागत है। स्वर्णिम भारत की एक झलक देखने के लिए आज पूरा विश्व आतुर है। हम सभी एक परमात्मा की संतान आपस में भाई-बहन हैं।

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