कविता : नारी शक्ति - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 29 अक्तूबर 2022

कविता : नारी शक्ति

मैं कोई पूर्ण विराम नहीं।


सृष्टि सृजन करती लड़की हूं।।


पिंजरे में बंद पक्षी नहीं।


प्रजा की सोई अभिलाषा को।


आशा रूपी दीपक से जगा सकती हूं।


सत्ताधारियों के लिए दया, धर्म का संदेश हूं।।


मुझे साबित करने की जरूरत नहीं।


मैं निर्भर खुद में सम्पूर्ण हूँ।


अबला से सबला हुई है, आज अनेकों नारियां।


शीतल छाया की आशा हूं।


मनोहर प्रेम की परिभाषा हूं।।


नारियों की धैर्य सीमा और शुद्ध आत्मा से उठी पुकार हूं।


कभी ऊंची आवाज तो कभी, छोटे लिबास हूं।।


मैं कोई कठपुतली नहीं, सृष्टि की आवाज हूँ।


मैं जागृत चेतना हूँ, मैं नारी शक्ति हूं।। 




Chandni-parihar-poem

चांदनी परिहार

जखेड़ा, गरुड़

बागेश्वर, उत्तराखंड

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