कविता : नन्हीं सी जान थी वो भी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 8 अक्तूबर 2022

कविता : नन्हीं सी जान थी वो भी

नन्हीं सी जान थी वो भी।

प्यारी सी मुस्कान थी उसकी भी।

प्यारी प्यारी लगती थी वो भी।।

एक दिन चल पड़ी थी वो भी।

अपने सपनों को पूरा करने।

छूना चाहती थी वो भी आसमां।।

खुद कुछ करना चाहती थी वो भी।।

एक पल में हो गए उसके सपने चूर चूर।।

लड़ न सकी वो अपने लिए।

फिर हो गई वो इस दुनिया से दूर।।

 




Mahima-singh-poem

महिमा सिंह

चोरसौगरुड़

बागेश्वरउत्तराखंड

चरखा फीचर

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