झारखंड : वंचित समुदाय के आरक्षण को बढ़ाने का फैसला स्वागतयोग्य: माले - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 14 नवंबर 2022

झारखंड : वंचित समुदाय के आरक्षण को बढ़ाने का फैसला स्वागतयोग्य: माले

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रांची. बिहार से अलग करके झारखंड राज्य की स्थापना 15 नवंबर 2000 को हुई.अभी झारखंड में एसटी को 26, एससी को 10 और पिछड़ों को 14 फीसदी आरक्षण मिल रहा है.इस विधेयक के कानून बनने और नौंवीं अनुसूची में शामिल होने के बाद एसटी को 28, एससी को 12 तथा पिछड़ों को 27 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा.इसमें अत्यंत पिछड़ा वर्ग( एनेक्सर-1) को 15 तथा पिछड़ा वर्ग (एनेक्सर-2) को 12 फीसदी आरक्षण मिलेगा. आर्थिक रूप से कमजोर को आरक्षण को शामिल कर राज्य में 77 प्रतिशत आरक्षण लागू होगा. भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने झारखंड विधानसभा द्वारा एसी/एसटी/ओबीसी/ईबीसी जातियों को राज्य के सरकारी पदों व सेवाओं में आरक्षण के दायरे को बढ़ाने को लेकर पारित किए गए आरक्षण (संशोधन) विधेयक 2022 का स्वागत किया है। जानने वाली बात है कि झारखंड सरकार की ओर से शुक्रवार को विधानसभा में रखे गये दो विधेयकों को सदन की मंजूरी मिल गयी.अब इन विधेयकों के साथ आगे क्या होगा, कानून बनेंगे या लागू हो पाएंगे कि नहीं, यह जानना सबके लिए जरूरी है.इस संदर्भ में र्विधायी और संवैधानिक विशेषज्ञ अयोध्या नाथ मिश्र ने बताया कि विधेयकों को कई चरणों से गुजरते हुए कानून का रूप लेना है.फिर नौवीं अनुसूची में शामिल होने के बाद ही सरकार इसे लागू करेगी.नौवीं अनुसूची में डालने की लंबी प्रक्रिया है. विधेयकों के हिन्दी और अंग्रेजी संस्करण की अलग-अलग प्रतियां बनाकर राजभवन भेजी जाएंगी.  स्थानीयता की परिभाषा वाले विधेयक में संशोधन प्रस्ताव भी लाया गया है, इसलिए सरकार के विधि विभाग की ओर से संशोधन जोड़कर विधेयक की नई प्रतियां विधानसभा भेजी जायेंगी.विधानसभा दोनों पारित विधेयकों को राज्यपाल की मंजूरी के लिए राजभवन भेजेगा. भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने झारखंड विधानसभा द्वारा एसी/एसटी/ओबीसी/ईबीसी जातियों को राज्य के सरकारी पदों व सेवाओं में आरक्षण के दायरे को बढ़ाने को लेकर कल पारित किए गए आरक्षण (संशोधन) विधेयक 2022 का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि अब बिहार सरकार को भी विधानसभा के शीतकालीन सत्र में दलितों-पिछड़ों के आरक्षण के दायरे को बढ़ाने का प्रस्ताव लेकर आना चाहिए. कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी इस आशय का बयान दिया था. हमने पहले भी कहा है कि संविधान की मूल भावना से खिलवाड़ करते हुए आर्थिक तौर पर कमजोर वर्ग के नाम पर 10 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है, जिसमें दलितों-अतिपिछड़ों-पिछड़ों के गरीबों को शामिल नहीं किया गया है. इसलिए अब वक्त की मांग है कि वंचित समुदाय के लिए जारी आरक्षण की सीमा बढ़नी चाहिए और इस मामले में बिहार सरकार को तत्काल पहल लेनी चाहिए.

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