बिहार : पार्टी की राज्य कमिटी ने भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 5 नवंबर 2022

बिहार : पार्टी की राज्य कमिटी ने भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की

  • भाकपा-माले के वरिष्ठ नेता व खेग्रामस के राज्य उपाध्यक्ष का. लक्ष्मी पासवान का निधन

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पटना। भाकपा (माले) दरभंगा के वरिष्ठ नेता और खेग्रामस के राज्य उपाध्यक्ष कामरेड लक्ष्मी पासवान का आज दोपहर समस्तीपुर के एक निजी अस्पताल में  देहांत हो गया। 70 वर्षीय काॅ. लक्ष्मी पासवान इधर कुछ दिनों से वे बीमार चल रहे थे। कामरेड लक्ष्मी पासवान की राजनीतिक यात्रा 74 आंदोलन से शुरू हुई थी और इस आंदोलन के वे दरभंगा जिला में लोकप्रिय चेहरा थे। जेल भी गए, लेकिन समाजवादी नेताओं, खासकर हुकुमदेव नारायण यादव के आचरण और दोहरेपन से उनका मोहभंग हो गया। वे कामरेड उमाधर सिंह के नेतृत्व वाली एमएल पार्टी पीसीसी से जुड़ गए। इनके नेतृत्व में कई सफल भूमि संघर्ष हुए जिसपर आज भी अनेक परिवार दरभंगा के अगल-बगल बसे हुए हैं। 1980 में भाकपा (माले) लिबरेशन की जब गतिविधियां तेज हुई तो वे इसके स्थापित नेता के बतौर उभरे। आइपीएफ के लगातार जिला अध्यक्ष रहे और दरभंगा जिला में पार्टी को स्थापित-विस्तारित करने में उनकी अहम भूमिका थी। दरभंगा जिला के दलितों-गरीबों के बीच दशकों से स्थापित नेता का चले जाना पार्टी और जनता के लिये बड़ी क्षति है। वे सम्पूर्ण मिथिलांचल में क्रांतिकारी सामाजिक न्याय के स्थापित चेहरा थे। 5 दशकों के राजनीतिक जीवन में 5 साल से ज्यादा दिनों तक जेल में रहे और सामंती-कुलक हिंसा का लगातार शिकार रहे। चुनाव नहीं लड़ने देने के लिये जमींदारों की मिलीभगत व साजिश के तहत उनके साथ दर्जनभर नेताओं-कार्यकर्ताओं को हत्या के झूठे मुकदमा में फंसाया गया। दर्जनों मुकदमे और हमले को झेलते हुए वे आज भी दलित-गरीबों के संघर्षों की मशाल बने हुए थे। खेग्रामस सदस्यता अधिक से अधिक बनाने का रिकॉर्ड उन्हीं के नाम जाता था। भाजपा-आरएसएस की राजनीति-सिद्धान्त के कट्टर आलोचक के बतौर उनकी पहचान थी। उसके प्रति और उसके लुभावने नारे के प्रति छोटी सी नरमी को भी वे बर्दाश्त नहीं करते थे। उनके निधन से पार्टी ने अपना एक स्थापित, अनुभवी और वरिष्ठ नेता खो दिया है। राज्य कमिटी उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करती है और उनके शोक संतप्त परिवार के प्रति गहरी सहानुभूति व्यक्त करती है।

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