- कृषि अनुसंधान परिसर पटना द्वारा मनाया गया प्रक्षेत्र दिवस सह जागरूकता दिवस
- महिला कृषको एवं युवाओं ने बढ़ चढ़ कर की भागीदारी
बाकला प्रजनक एवं प्रधान वैज्ञानिक डॉ. अनिल कुमार सिंह नेकिसानों को गेहूँ, चना, मसूर एवं बाकला की उन्नत खेती के विभिन तकनीकों से अवगत कराया गया| डॉ. सिंह नेवैज्ञानिक खेती के तौर तरीको को सम्पूर्ण रूप से अपनाने पर जोर दिया जिससे गुणवत्तापूर्ण उपज के साथ अधिक आय की प्राप्ति हो सके। पोषक तत्व प्रबंधन, जल प्रबंधन एवं फसल प्रबंधन पर विशेष बल दिया जिससे लागत कम और उत्पादन ज्यादाप्राप्त हो सके | परियोजना के प्रधान अन्वेषक डॉ.बिकास सरकार (प्रधान वैज्ञानिक) ने उन्नत कृषि प्रौद्योगिकियों के महत्व पर चर्चा की जिससे किसानों की आजीविका में सुधार हो सके। तदुपरांत डॉ. पवन जीत (वैज्ञानिक) ने उत्पादकता बढ़ाने के लिए जल प्रबंधन के तकनीकों की बारे में जानकारी दी एवंअंत में डॉ. गोविंद मकराना (वैज्ञानिक) ने किसानों से खेती में फसलों की उन्नत किस्मों के महत्व पर चर्चा की एवं उन्नत किस्मों को खेती में अपनाने का आग्रह किया।
ज्ञात हो कि इस कार्यक्रम का आयोजन अनुसूचित जातीय उप-योजना (एस.सी.एस.पी.) के तहत किया गया था | अनुसूचित जातीय उप-योजना (एस.सी.एस.पी.) के लिए विशेष केन्द्रीय सहायता अनुसूचित जातीय उप-योजना (एस.सी.एस.पी.) के लिए विशेष केन्द्रीय सहायता स्कीम एक केन्द्रीय स्कीम है जिसके तहत राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को उनकी अनुसूचित जातीय उप-योजना (एस.सी.एस.पी.) के अतिरिक्त 100 प्रतिशत अनुदान प्रदान किया जाता है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों की आजीविका में सुधार एवं गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन करने वाली अनुसूचित जातियों को संसाधन प्रदान करके इनके आर्थिक विकास की परिवार केन्द्रित योजनाओं पर विशेष ध्यान देना है, ताकि इस भारत सरकार की इस महत्त्वाकांक्षी योजना को अधिक सार्थक बनाया जा सके।
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