--- वीरेंद्र यादव न्यूज ---
शुक्रवार 4 नवंबर को विधान सभा की दर्जन भर से अधिक कमेटियों की बैठक थी। भारत भूषण मंडल के सभापतित्व वाली याचिका समिति में काफी देर तक विभागीय समीक्षा हुई और कई विभागों से जुड़ी याचिका पर चर्चा हुई। लेकिन आज की खास मुलाकात रही नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा के साथ। काफी देर तक बातचीत हुई। सत्ता और विपक्ष, दोनों बेंचों की। इससे पहले उनसे हमारी मुलाकात 24 अगस्त को हुई थी, जब वे स्पीकर पद से इस्तीफा देने की घोषणा करके के बाद विपक्ष की लॉबी में आये थे। इसके बाद भाजपा कार्यालय में सांसद रविशंकर प्रसाद और परिषद में नेता प्रतिपक्ष सम्राट चौधरी की मौजूदगी में हुई थी। दोपहर में हम पोर्टिको से बाहर निकल रहे थे कि नेता प्रतिपक्ष की गाड़ी पोर्टिको में प्रवेश की। हल्की मुलाकात के बाद वे अंदर गये और हम बाहर। थोड़ी देर बाद हम नेता प्रतिपक्ष के चैंबर में पहुंचे। नेता प्रतिपक्ष के चैंबर में पहली मुलाकात थी। चैंबर की सीटिंग व्यवस्था पूर्ववत थी। लेकिन दो चीजें खास दिखीं। नेता प्रतिपक्ष के माथे के ऊपर पहले चार तस्वीर लगी हुई थी, उसमें से एक तस्वीर हट चुकी थी। संभवत: हटायी गयी तस्वीर लोहिया की रही होगी। डॉ भीम राव अंबेदकर, महात्मा गांधी और जननायक कर्पूरी ठाकुर की तस्वीर यथावत अपनी जगह पर थी। इसके साथ उस चैंबर में टीवी के ऊपर भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित हो गयी थी। यह दोनों बदलाव विचार और आस्था से जुड़ा मामला है। बातचीत आगे बढ़ती जा रही थी। उन्होंने कहा कि स्पीकर के रूप में हमने प्रतिपक्ष को काफी सम्मान और मौका दिया। इसको लेकर सत्तापक्ष के लोग नाराजगी भी जताते थे। इसके बावूजद हमारा मानना है कि सदन में विपक्ष को पूरा का मौका मिलना चाहिए। विपक्ष मजबूत होगा, तभी सत्ता पक्ष भी स्वस्थ रहेगा। उन्होंने कहा कि हमने सभी पदों की जिम्मेवारी पूरी ईमानदारी और निष्ठा से निभाया। सरकार में मंत्री थे तो सरकार की नीतियों के साथ थे, विधान सभा के स्पीकर थे तो सदन की गरिमा के साथ थे और अब नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी पर हैं तो जनता के हित और सरोकार के साथ हैं। विजय सिन्हा ने कहा कि हम नकारात्मक राजनीति में विश्वास नहीं करते हैं। जनहित के मुद्दे और सरोकार हमारे लिए महत्वपूर्ण हैं। हम उसके लिए संघर्ष करेंगे। स्पीकर के रूप में सभी जिलों में समाज सुधार अभियान चलाया। जिलों में आयोजित सभी कार्यक्रमों में सभी पार्टियों के विधायक और जनप्रतिनिधियों को आमंत्रित करते थे। अब नेता प्रतिपक्ष के रूप में बिहार भर का दौरा कर रहे हैं। जनता के मुद्दों को लेकर संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने अपनी राजनीतिक यात्रा के संबंध में कहा कि शुरुआत भाजपा के बूथ स्तरीय कार्यकर्ता से की और धीरे-धीरे यात्रा की आगे बढ़ती रही। विद्यार्थी परिषद से प्रारंभ से जुड़ाव रहा था। पहला चुनाव 2003 में मुंगेर स्थानीय प्राधिकरण कोटे से विधान परिषद के लिए लड़ा था। पहली जीत विधान सभा चुनाव में 2005 में मिली। जीत का यह सिलसिला आगे बढ़ता रहा। अध्यक्ष के रूप में अपनी उपलब्धि की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि एक साल के अंदर के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और लोकसभा अध्यक्ष का विधान सभा के तत्वावधान में आयोजित भवन शताब्दी समारोह में शामिल होना ऐतिहासिक घटना थी। किसी समारोह का शुभारंभ राष्ट्रपति द्वारा और समापन प्रधानमंत्री द्वारा करना देश की पहली परिघटना थी। बातचीत में विजय सिनहा ने अपने प्रारंभिक पारिवारिक और आर्थिक संघर्षों को भी साझा किया।
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