कविता : चलो आज कुछ बैठकर बातें करें - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 25 दिसंबर 2022

कविता : चलो आज कुछ बैठकर बातें करें


चलो आज कुछ बैठकर बातें करें।


थोड़ा रो ले, थोड़ा हँस ले, मन बस हल्का करें।।


दोस्ती की कुछ हदें गढ़े।


चलो मिलकर हम लिखे पढ़े।।


कल है क्या, ये किसे पता।


जिंदगी एक बेल है जिसमें है लता।।


इन लताओं से चलो कुछ बुनें।


आज बैठकर मन पसंद गाने सुनें।।


जीवन में है सुबह, तो कभी काली रात।


मन में अपनी गाँठ बांध और सुन मेरी बात।।


कभी खुशी कभी हंसी, जिंदगी इसी में है फंसी।


यारों सूरज सा चमकना है तो उसके जैसा जलना होगा।।


ये जीवन है इसमें कभी हसना, तो कभी रोना होगा।


चलो आज अपने पिटारे से कुछ ताज़ा करें।।


अपनी कुछ यादों को मिलकर साझा करें।


फिर न जाने कब ये मौका मिले।।


रह ना जाए ये मन की बातें कहीं अधखिले।


माना कि हिम्मत टूट गई, आँखों में भी निराशा है।।


चलो मिलकर हल ढूंढे दिल से बुनी ये आशा है।।।







Prema-enthani

प्रेमा ऐठानी

कपकोट, बागेश्वर

उत्तराखंड

चरखा फीचर

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