--- वीरेंद्र यादव न्यूज ---
बांका जिले के बेलहर से जदयू के विधायक हैं मनोज यादव। विधान सभा के लिए 2020 में पहली बार निर्वाचित हुए हैं। इससे पहले 2009 और 2015 में विधान परिषद के लिए निर्वाचित हुए थे। दोनों सदनों के अनुभव को साझा करते हुए उन्होंने कहा कि विधान पार्षद की तुलना में विधायक होना ज्यादा महत्व रखता है। सैद्धांतिक रूप से विधान सभा और विधान परिषद दोनों विधानमंडल के अंग है, लेकिन व्यावहारिक रूप से काफी अंतर है। विधायी स्तर पर भी और राजनीतिक स्तर पर भी। वजह साफ है कि सरकार के बनने-बिगड़ने का गणित विधान सभा से तय होता है। अधिकारी भी एमएलसी की तुलना में एमएलए को ज्यादा तरजीह देते हैं। प्रशासनिक और राजनीतिक गलियारे में विधायक की बात भी ज्यादा सुनी जाती है। अपनी राजनीतिक यात्रा के संबंध वे कहते हैं कि छात्र जीवन से ही राजनीतिक क्षेत्र में कदम रखा था। प्रारंभ में राजद के साथ जुड़ाव रहा। सामाजिक आंदोलनों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते रहे। बांका जिले में सामाजिक सम्मान की लड़ाई में आगे रहते थे। इसी कारण जिले की राजनीति में सामाजिक स्वीकार्यता बढ़ती रही। उस समय के स्थापित नेताओं के बीच से अपनी पहचान बनाने में सफल रहे। 2006 में उनकी पत्नी बांका जिला परिषद के लिए निर्वाचित हुईं और जिला परिषद अध्यक्ष बनीं। उसी समय 2009 में मनोज यादव पहली बार एमएलसी जदयू के टिकट पर निर्वाचित हुए। वे कहते हैं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नीतियों एवं कार्यक्रमों में उनकी पूरी आस्था है और उनकी विकास योजनाओं को आम लोगों तक पहुंचाने का प्रयास करते रहे हैं। ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव को अपना अभिभावक बताते हुए वे कहते हैं कि उनके मार्गदर्शन में पार्टी के गतिविधियों में सक्रिय रहे हैं। मनोज यादव कहते हैं कि जनता के साथ उनका जुड़ाव रहा है और यही उनकी ताकत है।
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