बिहार आज वहीं खड़ा है, जहां 1991 में खड़ा था : प्रशांत किशोर - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 23 दिसंबर 2022

बिहार आज वहीं खड़ा है, जहां 1991 में खड़ा था : प्रशांत किशोर

  • शिवहर में प्रशांत किशोर का नीतीश कुमार और लालू यादव पर बड़ा हमला

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शिवहर, जन सुराज पदयात्रा के 82वें दिन की शुरुआत शिवहर के किसान मैदान स्थित पदयात्रा शिविर में सर्वधर्म प्रार्थना से हुई। इसके बाद प्रशांत किशोर ने स्थानीय मीडिया से बात की। प्रशांत अबतक पदयात्रा के माध्यम से लगभग 950 किमी से अधिक पैदल चल चुके हैं। इसमें 550 किमी से अधिक पश्चिम चंपारण में पदयात्रा हुई और पूर्वी चंपारण में अबतक 300 किमी और शिवहर में 100 किमी से अधिक पैदल चल चुके हैं। शिवहर में आज पदयात्रा का सातवां दिन है। वे शिवहर के अलग-अलग गांवों-प्रखंडों में जा रहे हैं और लोगों की समस्यायों को सुन रहे हैं। 


शिवहर में केवल 1 प्रतिशत कृषि भूमि सिंचित, 54% जिला बाढ़ से प्रभावित

मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने जन सुराज पदयात्रा का शिवहर जिले में हुए अनुभव सांझा किया। प्रशांत किशोर ने कहा कि शिवहर जिले में कृषि सबसे बड़ी समस्या उभर के निकली है। इस जिले में किसानों के पास कृषि संसाधन न होने के कारण यहां गरीबी का स्तर ज्यादा है। प्रशांत ने कहा कि पदयात्रा के दौरान हमने जाना कि शिवहर बिहार का एक मात्र जिला है जिसमें 1% जमीन ही सिंचित है। जबकि दूसरी बड़ी समस्या है कि यह जिला 54% बाढ़ प्रभावित है। आगे प्रशांत ने कहा कि पूर्वी और पश्चिम चंपारण के मुकाबले शिवहर की सामाजिक आर्थिक स्तिथि ज्यादा खराब है। 

 

बिहार में हर प्रखंड स्तर पर 2-3 विश्वस्तरीय विद्यालय बनना चाहिए

शिक्षा व्यवस्था में सुधार को लेकर प्रशांत किशोर ने कहा कि ऐसा लगता है जैसे राज्य में शिक्षा व्यवस्था में सुधार नीतीश सरकार की प्राथमिकता नहीं है। बीते 1 साल में शायद ही शिक्षा को लेकर कोई बड़ी बैठक या कोई बड़ा सुधार या कोई बड़ी योजना लागू की गई हो। प्रशांत ने कहा कि करीब 40 हजार करोड़ रुपये का शिक्षा बजट पानी की तरह बहाया जा रहा है, जबकि जरूरत है इस पैसे को सही व्यवस्थित ढंग से उपयोग किया जाए। बेहतर शिक्षा के समाधान पर बात करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि समतामूलक शिक्षा के नाम पर हर गांव में शिक्षा पेपर में देने के बजाय जमीन पर लागू किया जाए। इसके साथ ही प्रखंड स्तर पर एक ऐसा विद्यालय बनाया जाए जो विश्वस्तरीय हो। जो सभी मापदंडों में उच्चकोटि का हो। आगे प्रशांत ने कहा कि बिहार जैसे राज्य में जहां 60% लोग भूमिहीन है, वहां शिक्षा ही एकमात्र ऐसा जरिया जिससे लोग गरीबी से बाहर निकल सकते हैं। 


बिहार आज वहीं खड़ा है, जहां 1991 में खड़ा था

लालू यादव और नीतीश कुमार के कार्यकाल में बिहार में उद्योग धंधे और व्यापार की बुरी हालत पर बात करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार आज विकास  के मापदंडों पर वहीं खड़ा हैं जहां 1991 में खड़ा था। कैश डिपोजिट (सीडी) रेसियो का जिक्र करते हुए प्रशांत ने कहा,  "देश के अग्रणी राज्यों में सीडी रेसियो का अनुपात 90% तक है, जबकि बिहार में ये अनुपात 40% है। लालू यादव के मुख्यमंत्री बनने के समय यह 38% था और जब नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने तब यह 25% था। अभी नीतीश जी के शासनकाल में सीडी रेसियो 40% है। इसका मतलब है कि अगर बिहार में लोग 100 रुपए बैंक में जमा करते हैं तो उसमें से केवल 40 रुपए बिहार के लोग ऋण के तौर पर ले सकते हैं। इन दोनों के शासनकाल में बिहार का लाखों करोड़ रुपए दूसरे राज्यों में चला गया है। आज बैंकों से लोन भी लेने पर बैंकों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं।

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