मिथिला लोकतांत्रिक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज झा ने बिहार सरकार द्वारा बीपीएससी में बिहार की एकमात्र संवैधानिक भाषा मैथिली को कमजोर करने के षड्यंत्र को आठ करोड़ मिथिला भाषियों का अपमान बताया है। उन्होंने कहा है कि बिहार सरकार के ताजा निर्णय से एक बार फिर यह साबित हो गया है कि बिहार सरकार मैथिली भाषा को लेकर बिल्कुल भी गंभीर नहीं है बल्कि उसे खत्म करने को लेकर साजिश रच रही है। मोर्चा अध्यक्ष ने कहा है कि मैथिली बिहार की एक मात्र भाषा है जिसे भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में मान्यता प्राप्त है। हम लोग प्रारंभ से ही मैथिली भाषा को प्राथमिक शिक्षा में शामिल करने की मांग को लेकर आंदोलन करते रहे हैं। ऐसी परिस्थिति में हमारी इस मांग पर अमल करने की बजाय नीतीश सरकार ने बीपीएससी में शामिल मैथिली भाषा को ही अलग थलग कर कमजोर करने का निर्णय लेकर मिथिला क्षेत्र के साथ अन्याय किया है। सरकार के इस निर्णय को मैथिली विरोधी और मिथिलावासी छात्रों के भविष्य पर कुठाराघात बताते हुए मनोज झा ने कहा है कि बीपीएससी में पहले मैथिली भाषा साहित्य को 300 पूर्णांक के साथ वैकल्पिक विषय के तौर पर शामिल किया गया था जिसे सरकार के आयोग के ताजा फरमान के तहत काटकर 100 अंक के वैकल्पिक रुप में शामिल किया गया है। उन्होंने सरकार से अपनी मिथिला-मैथिली विरोधी नीतियों पर पुनर्विचार करने की मांग करते हुए इसके लिए जोरदार आंदोलन किए जाने की बात भी कही।
शुक्रवार, 23 दिसंबर 2022
बिहार: बीपीएससी में 'मैथिली' को कमजोर करने का षड्यंत्र अपमानजनक : मनोज
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