पटना. दीघा थाना क्षेत्र में है दीघा हाट.थाने से एक गाड़ी आकर दीघा हाट पर रुकती है.एक चालक और सिपाही गाड़ी बैठे रहे और दो पुलिसकर्मी बिजली संबंधित समान बेचने वाले की दुकान में जाकर समान खरीदने लगे. इस बीच किसी व्यक्ति ने दीघा मुसहरी में फोन कर दिया कि थाने की गाड़ी हाट पर लगी है. उसके बाद मुसहरी में सनसनी फैल गई. एक दूसरे को आगाह करते हुए लोग भागने लगे.मुसहरी को छोड़ बाल- बच्चाें के साथ सड़क पर आ गए. अपने घरेलू समानों को भगवान भरोसे छोड़कर केवल बच्चों को उठाकर बाहर भागते महादलितों ने बताया कि बिहार में शराबबंदी है.सरकार ने महादलितों को जीविकोपार्जन के लिए संसाधन दिए बिना ही शराबबंदी लागू कर दी.इसका नतीजा सामने है.महादलितों के नाम महुआ दारू बिकने लगा.सरकार और पुलिस के निशाने में मुसहर समुदाय आ गए.बेजुब़ान व आवाजहीन मुसहर समुदाय पर पुलिसिया अत्याचार बढ़ गया. महादलितों ने बताया कि विभिन्न मुसहरियों में अन्य समुदाय के लोग शराब बेचने का धंधा करते करते मुसहरी में दबंग बन गये है.उनकी दबंगता पुलिस भी मानती है.उनके इशारे पर महादलितों पर पुलिसिया कार्रवाई होती है.इसी के कारण हम महादलितों को यहां-वहां भागने के लिए मजबूर होना पड़ता है.महादलित कहते हैं कि आप शराब पी लो और न पीए हैं.अगर पुलिस मुसहरी में आ जाए तो वह किसी को भी पकड़ कर जेल भेज देती है.किसी जगह से बरामद शराब को दिखाकर पुलिस उक्त व्यक्ति को शराब माफिया के श्रेणी में ला खड़ा कर देती है. महादलितों पर पुलिसिया खौफ कायम करने के लिए पुलिस के द्वारा थप्पड़ और डंडा मार अभियान चलाती है.सामने आने वाली महिलाओं को भी पुलिस धुनाई करने में पीछे नहीं रहती है. सवाल उठता है कि पुरुषों व महिलाओं पर थप्पड़ और डंडा मार अभियान कबतक चलती रहेगी?वहीं अनजान कॉल से पुलिस आ रही है मुसहरी खाली कर दो का सिलसिला जारी रहेगा?
बुधवार, 28 दिसंबर 2022

बिहार : पुलिस और पब्लिक के बीच आंख मिचौली
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