कविता : दिन भले ही मजे में गुजरे - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

शनिवार, 21 जनवरी 2023

कविता : दिन भले ही मजे में गुजरे

दिन भले ही मजे में गुजरे,


मस्ती में हो जाती कितनी रात,


और हुए कितने सवेरे,


खुली हवा में लेते सांस,


फल-फूलों से हर सुबह महकती,


है वो ये जगह जिसे सभी,


उत्तराखंड देवभूमि के नाम से जानते,


बर्फ से ढके जहाँ हिमालय,


जगह-जगह घुघुतिया बसे,


मंदिरों का है पिटारा,


शादियों में बजते जहां ढोल-नगाड़े,


हर त्योहार दिल से मनाते,


हर पल रहते जहां लोग खुश,


हर जगह प्यार से रिश्ते निभाते,


केदारनाथ की यात्रा करने,


जगह जगह से लोग यहां आते,


त्यौहार के दिन यहां,


अलग-अलग पकवान बनाते,


खुशी-खुशी निवासी यहां के,


लोक संस्कृति को निभाते,


जोड़ा-चाचरी घाघरा पिछोड़ी,


तरह-तरह की पहनावा करते।।





Tanuja-gadhiya

तनुजा गढ़िया

तोली, कपकोट

बागेश्वर, उत्तराखंड

चरखा फीचर

कोई टिप्पणी नहीं: