नेपाल के काली गंडकी नदी से प्राप्त दो शालिग्राम शिलाएं पूजन के बाद अयोध्या रवाना - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 29 जनवरी 2023

नेपाल के काली गंडकी नदी से प्राप्त दो शालिग्राम शिलाएं पूजन के बाद अयोध्या रवाना

  • उत्तर प्रदेश की सीमा में श्रीराम तथा माता सीता की मूर्ति के प्रवेश करने को लेकर तैयारियां हुई शुरू

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नई दिल्ली 29 जनवरी ।नेपाल की कालीगंडकी नदी से प्राप्त दो शालिग्राम शिलाएं पूजन के बाद अयोध्या के लिए रवाना हो गईं। इन शिलाओं से अयोध्या में निर्माणाधीन मंदिर में रामलला के श्री विग्रह यानि मूर्ति का निर्माण होगा। एक शिला का वजन 26 टन, जबकि दूसरी का वजन 14 टन है। रिपोर्ट्स के अनुसार, जनकपुर में 29 जनवरी को सुबह महा आरती और विजय महामन्त्र के जाप के साथ परिक्रमा कर इन शिलाओं को 30 जनवरी को अयोध्या के लिए रवाना किया जाएगा। 30 जनवरी को ही शिलाएं नेपाल-भारत की सीमा पर स्थित मधुबनी जिले से भारत में प्रवेश करेंगी।

  

उत्तर प्रदेश की सीमा में श्रीराम तथा माता सीता की मूर्ति के प्रवेश करने को लेकर तैयारियां शुरू

उत्तर प्रदेश की सीमा में श्रीराम तथा माता सीता की मूर्ति के प्रवेश करने को लेकर उपजिलाधिकारी तमकुहीराज व्यास नारायण उमराव व प्रभारी निरीक्षक तरयासुजान राजेन्द्र कुमार सिंह तमकुहीराज प्रभारी निरीक्षक निरज राय के नेतृत्व में सीमा क्षेत्र के सलेमगढ टोल प्लाजा पर स्वागत की तैयारी शुरू कर दी गई हैं। बताते चलें कि सरकार के मंशा के अनुरूप जिलाधिकारी कुशीनर रमेश रंजन व पुलिस अधीक्षक कुशीनगर धवल जयसवाल के दिशा-निर्देश में आज दिनांक 29-1-2023 दिन रविवार के दिन लग भग 10 बजे उपजिलाधिकारी तमकुहीराज, प्रभारी निरीक्षक तरयासुजान, प्रभारी निरीक्षक तमकुहीराज ने सीमा क्षेत्र के सलेमगढ टोल प्लाजा पर जगह का निरीक्षण किया गया। जहां नैपाल से आ रही भगवान श्रीराम तथा माता सीता के पावन प्रतिमा का स्वागत भब्य आयोजन के साथ किया जायेगा। इस संबंध में उपजिलाधिकारी तमकुहीराज महोदय ने बताया कि हम सब बड़े ही भाग्यशाली हैं कि उत्तर प्रदेश के सीमा प्रवेश कर रही भगवान श्रीराम तथा माता सीता की मूर्ति का पहला दर्शन हम सभी को होगा तथा उतर प्रदेश के सीमावर्ती इलाकों के जनता भी भाग्यशाली हैं कि उन्हें भी प्रदेश के अन्दर प्रवेश होने पर पहला दर्शन प्राप्त होगा। यह कार्यक्रम इतना महत्वपूर्ण है कि इतिहास के पन्नों में दर्ज होगा। 30 जनवरी 2023 को रात्रि में ही स्वागत की सारी तैयारियां पूरी कर ली जायेंगी क्योंकि 31-1-2023 को सुबह ही प्रतिमा की उतर प्रदेश की सीमा में प्रवेश कर जाने कि सम्भावना है।


छह: करोड़ साल पुरानी शीला से बनेगी श्री राम- सीता की मूर्ति, अयोध्या पहुंचने से पहले 51 जगहों पर इसकी पूजा व अर्चना

आपको बता दें कि अयोध्या में राम मंदिर बनाए जाने की तैयारी जोरों पर है। मंदिर का 40% निर्माण कार्य पूरा हो चुका है श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्यों की माने तो इस साल के अंत तक निर्माण कार्य के 90% पूरा कर लिया जाएगा। इस बीच खबर सामने आई है कि भगवान श्रीराम और सीता के लिए जिस शिला से मूर्ति बनाई जानी है वह नेपाल के शालिग्राम नदी से लाई जा रही है। दावा है कि ये शिलाएं करीब 6 करोड़ साल पुरानी हैं। दो शिलाएं हैं जिसमें से एक शिला का वजन 26 टन जबकि दूसरे का 14 टन है। शिला को शालिग्राम नदी से निकाले जाने से पहले क्षमा- याचना की गई। जिसके फलस्वरूप पूजा व अनुष्ठान के बाद ट्रक में इसे लोड कर सड़क के रास्ते अयोध्या लाया जा रहा है। इसकी जानकारी के बाद रास्ते में इसके दर्शन व स्वागत के लिए लोगों की भारी भीड़ देखी जा रही है। 2 फरवरी तक इसके अयोध्या पहुंचने की संभावना जताई जा रही है।


विशेषज्ञों की राय के बाद इसे लाने का रास्ता हुआ साफ

प्राप्त जानकारी के अनुसार इसे लाने से पहले भारतीय जियोलॉजिकल और ऑर्किलॉजिकल विशेषज्ञों की टीम नेपाल के शालिग्रामी नदी जाकर शिला की जांच की। इसके बाद विशेषज्ञों की टीम के देखरेख में इसे नदी से निकाला गया। शुभ दिन तय कर शिला को बसंत पंचमी के दिन नेपाल से रवाना किया गया। शिला नेपाल से बिहार होते हुए 2 फरवरी को गोपालगंज होकर उत्तरप्रदेश में प्रवेश करेगी।


अयोध्या आगमन से पहले 51 जगहों पर इसकी पूजा- अर्चना

7 दिवसीय इस यात्रा के दौरान शिला के अयोध्या आगमन से पहले 51 जगहों पर पूजा व अर्चना की जाएगी। यह यात्रा 2 फरवरी को अयोध्या में प्रवेश करेंगी लेकिन इससे पहले नेपाल के गलेश्वर महादेव मंदिर में जिसके बाद जनकपुर सहित बिहार के कई धार्मिक जगहों पर पूजा व अनुष्ठान के बाद 31 जनवरी को गोपालगंज होकर उत्तर प्रदेश में प्रवेश करेंगी। इस यात्रा में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य, कारसेवक व नेपाल के कई गणमान्य अतिथि सहित 100 से ज्यादा साधु-संत साथ चल रहें हैं।

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