- सीतामढ़ी में मोटे अनाज के उत्पादन की बहुत संभावनाएं हैं, इसके उत्पादन में अगर तेजी आएगी तो आम लोग भी इसका प्रयोग और अधिक करेंगे- सच्चिदानंद प्रसाद, कृषि वैज्ञानिक, कृषि विकास केंद्र
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सच्चिदानंद प्रसाद, कृषि वैज्ञानिक, कृषि विकास केंद्र, सीतामढ़ी ने कहा कि वर्ष 2023 को विश्व स्तर पर अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है, भारत ने इसका प्रस्ताव दिया था और इसे संयुक्त राष्ट्र महासभा ने अनुमोदन किया है । सीतामढ़ी में मोटे अनाज के उत्पादन की बहुत संभावनाएं हैं । इसके उत्पादन में अगर तेजी आएगी तो आम लोग भी इसका प्रयोग तेजी से करेंगे. इसके लिए भारत सरकार मोटे अनाज के उत्पादन के लिए कई योजनाएं लेकर आ रही है, इस तरह के जागरूकता अभियान से मोटे अनाज के प्रति लोगों में जागरूकता पैदा होगी। नीरज कुमार झा, जिला उद्यान पदाधिकारी, सीतामढ़ी ने कहा कि इस तरह के आयोजन के माध्यम से बच्चों में भारत सरकार द्वारा चलाए जा रहे अभियानों के प्रति जागरूकता आती है। इस आयोजन में जिन प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया उसके सभी विजेताओं के साथ-साथ इस में भाग लेने वाले सभी बच्चों को उन्होंने शुभकामनाएं दी। अपने संबोधन में रजनीकांत भारती, उप परियोजना निदेशक, आत्मा, सीतामढ़ी ने कहा कि इस कार्यक्रम से बच्चों में एक भावना जागृत हुई है और मोटे अनाज के प्रति जागरूकता बढ़ेगी। इस कार्यक्रम में प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया और विजेताओं को अतिथियों द्वारा पुरस्कृत किया गया साथ ही चित्रकला प्रतियोगिता के विजेताओं को भी पुरस्कृत किया गया। मंत्रालय के पटना स्थित पंजीकृत सांस्कृतिक दल द्वारा मोटा अनाज पर नुक्कड़ नाटक का भी आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में अपना खेत संस्था के सहयोग से मोटे अनाज की प्रदर्शनी लगायी गयी थी साथ ही अतिथियों को मोटे अनाज से बने पैकेट उपहार स्वरुप भेंट किया गया। इस कार्यक्रम के पूर्व जागरूकता रैली का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में बच्चों ने भाग लिया. यह रैली लक्ष्मी नगर से बांध होते हुए सरस्वती विद्या मंदिर में समाप्त हुई। कार्यक्रम का विषय प्रवेश क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी जावेद अंसारी ने किया । धन्यवाद ज्ञापन चंद्र मोहन यादव, प्राचार्य, सरस्वती विद्या मंदिर और कार्यक्रम का संचालन व्यास अख्तर ने किया । इस कार्यक्रम को सफल बनाने में बालमुकुंद, बिहारी जी, सुशांत कुमार, रवि कुमार आदि ने योगदान दिया, केंद्रीय संचार ब्यूरो के संजय राय और राकेश कुमार ने योगदान दिया।
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