- ग्लोबल साउथ के देशों द्वारा जलवायु संकट से निपटने के लिए दक्षिण-दक्षिण सहयोग के महत्व को रेखांकित किया गया
- एसआईडीएस देशों के सामने आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए आईआरआईएस-सीडीआरआई को लॉन्च करने में भारत की पहल को रेखांकित किया गया
- दुनिया भर में बड़े पैमाने पर लाइफ से जुड़ी गतिविधियां इस धरती को बचाने में महत्वपूर्ण सकारात्मक योगदान दे सकती हैं: श्री भूपेंद्र यादव
- जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिए विकसित देशों से तत्काल वित्तीय और तकनीकी सहायता की जरूरत पर बल दिया गया
केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री ने जोर देकर कहा कि दुनिया भर में बड़े पैमाने पर पर्यावरण के अनुकूल गतिविधियां (लाइफ से जुड़ी गतिविधियां) हमारी साझा और एकमात्र धरती को बचाने में महत्वपूर्ण सकारात्मक योगदान दे सकती हैं। उन्होंने जलवायु परिवर्तन की वैश्विक समस्या से निपटने में मिशन लाइफ (लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट) के महत्व पर प्रकाश डाला। ग्लोबल साउथ के मंत्रियों ने छोटे द्वीपीय विकासशील देशों (एसआईडीएस) के समक्ष आने वाली विभिन्न समस्याओं को उठाया। उनके द्वारा उठाए गए कुछ साझा मुद्दों में खाद्य सुरक्षा, समुद्र स्तर में वृद्धि, तटीय क्षरण, कोविड-19 महामारी के कारण आर्थिक मंदी आदि शामिल थे। विकासशील तटीय देशों ने भी जलवायु परिवर्तन के भयावह प्रभावों के बारे में चर्चा की। कई विकासशील देशों ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए विकसित की जा रही अनुकूलन नीतियों की भूमिका पर प्रकाश डाला। विकासशील दक्षिणी देशों द्वारा उल्लिखित कुछ साझा प्रयासों में हरित ऊर्जा, नवीकरणीय ऊर्जा, परिपत्र अर्थव्यवस्था, सतत विकास, जैव विविधता संरक्षण का उपयोग शामिल था। कई देशों ने ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के लिए अपने राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) लक्ष्यों और पहल पर प्रकाश डाला। सभी देशों ने भारत को जी20 की अध्यक्षता के लिए बधाई दी और ब्लू इकोनॉमी, सर्कुलर इकोनॉमी तथा भूमि क्षरण से संबंधित विषयों पर सकारात्मक परिणाम की उम्मीद की। मंत्रियों ने इस बात का उल्लेख किया कि जलवायु परिवर्तन की समस्या विकसित या विकासशील सभी देशों के लिए साझा है, लेकिन विकासशील देशों के लिए समाधान आसान नहीं है क्योंकि उनके पास तकनीकी और वित्तीय सहायता का अभाव है। उन्होंने जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने में दक्षिण-दक्षिण सहयोग की भूमिका को रेखांकित किया।
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