अन्ना आंदोलन के कारण यूपीए सरकार सत्ता से बाहर हुई, लेकिन फिर भी देश से भ्रष्टाचार खत्म नहीं हुआ
जन सुराज पदयात्रा के दौरान सिवान के दोन बुजुर्ग पंचायत में पत्रकारों को संबोधित करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि लोगों के मन में एक घबराहट है कि कल कोई मंगल ग्रह से आएगा और परसों आंदोलन करके 3 दिनों मे बिहार को सुधार देगा। सबसे पहले लोगों को इस मानसिकता से निकलना होगा, जन सुराज कोई सामाजिक आंदोलन नहीं है और ना ही दल बनाकर वोट लेने का अभियान है। जन सुराज समाज को जगाकर, समझकर समाज की मदद से एक नई राजनैतिक व्यवस्था बनाने का प्रयास है। इस काम मे 1 साल लगे 2 साल लगे या 5 साल, ये किसी को नहीं पता। आंदोलन और क्रांति तेज हथियार की तरह है, इससे आप किसी सत्ता को उखाड़ सकते हैं, तेज हथियार से बड़े-बड़े पड़ को काटा जा सकता है, लेकिन तेज हथियार से आप पौधे को पेड़ नहीं बना सकते हैं। उन्होंने कहा की लोग कहते हैं कि जेपी आंदोलन से बिहार नहीं सुधरा तो आगे कैसे सुधरेगा तो पहली बात तो ये है कि जेपी का आंदोलन बिहार को सुधारने के लिए था ही नहीं। जेपी का आंदोलन उस समय की केंद्र सरकार के खिलाफ था और जेपी उसमें कामयाब भी हुए और इंदिरा गांधी की सरकार को बदल दिया गया। उस आंदोलन का न तो बिहार से कोई लेना देना था और न ही उससे बिहार में कोई बदलाव हुआ। इसी तरह अन्ना हजारे का आंदोलन से यूपीए सरकार को हटाने में मदद मिली लेकिन उससे देश में भ्रष्टाचार खत्म नहीं हुआ, भ्रष्टाचार किसी आंदोलन से खत्म भी नहीं होगा लोगों को जागरूक होना होगा।
मुखिया के लिए अगर आप 500 रुपए लेकर वोट करेंगे तो वो मुखिया कभी आपके लिए विकास का काम नहीं करेगा
प्रशांत किशोर ने भ्रष्टाचार पर बात करते हुए कहा कि भारत दुनिया के सबसे भ्रष्ट देशों की सूची में है। जिन देशों ने भ्रष्टाचार के मामले पर जीत हासिल की है अगर उनकी बात की जाए तो उन्होंने अपनी व्यवस्था में व्यवस्थित तरीके से 10 से 15 साल 'चार' काम किए। पहला स्वच्छ प्रतिनिधियों का चुनाव किया, दूसरा सत्ता और संसाधनों का विकेन्द्रीकरण किया, तीसरा जन भागीदारी, जिसमें जनता को पता हो कि उसके क्या अधिकार हैं? उनको मालूम होना चाहिए कि कौन सी योजना उनके लिए है, और चौथा तकनीकीकरण का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग। बिहार में अगर भ्रष्टाचार कम करना है तो इन्हीं चार पहलुओं पर काम करना होगा। अगर आप 500 रुपये लेकर मुखिया को वोट दे देंगे तो आप कैसे सोच सकते हैं कि वो ईमानदारी से काम करेगा, तो जड़ ये है की हमको अपने वोट करने का तरीका सुधारना होगा, नहीं तो बिहार मे भ्रष्टाचार हो या विकास उस दिशा में आगे नहीं बढ़ पाएंगे।
1200 से अधिक गांवों में पैदल घूमने के बाद मैंने पाया कि बिहार में प्रखंड और ग्रामीण स्तर पर स्वास्थ्य व्यवस्था है ही नहीं
बिहार की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था का जिक्र करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि जब से मैं पदयात्रा कर रहा हूं अब तक मैंने एक भी बार स्वास्थ्य पर कोई चर्चा या टिप्पणी नहीं की, क्योंकि मैंने स्वास्थ्य व्यवस्था से जुड़े अस्पताल, डॉक्टर कुछ देखा ही नहीं। अगर मैं देखता तो इस मामले में जरूर अपनी राय रखता। गांव-टोला में जिस स्तर पर मैं पैदल चल रहा हूं तो मुझे देखने को मिल रहा है कि गांव में स्वास्थ्य व्यवस्था के नाम पर कुछ है ही नहीं अगर होता तब तो बताते कि अच्छा है या बुरा। स्वास्थ्य के लिए लोग पूरे तरीके से ग्रामीण चिकित्सकों और निजी क्लीनिकों पर आश्रित हैं। जो सीमावर्ती क्षेत्र हैं, वहां के लोग इलाज कराने उत्तर प्रदेश जाते हैं। 12 सौ गांवों में पैदल यात्रा करने पर अभी तक मुझे ऐसा कोई सरकारी स्वास्थ्य केंद्र नहीं दिखा जहां बिल्डिंग हो, डॉक्टर बेठै हो या मरीजों की भीड़ हो। इसलिए बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था के बारे में बात करना बेकार है।
बिहार में आधार कार्ड बनवाने के लिए ढाई हजार तक घूस देना पड़ता है, जबकि आधार कार्ड मुफ्त में बनना लोगों का अधिकार है
आधार कार्ड बनवाने में व्याप्त भ्रष्टाचार का जिक्र करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए स्वच्छ प्रतिनिधि चुनना जितना जरूरी है उतना ही जरूरी है कि सत्ता और संसाधनों का विकेन्द्रीकरण। हर फैसले मुख्यमंत्री और उसके चार अफसर व चार वरिष्ठ मंत्री न करें। पंचायतों को भी ये अधिकार दिए जाएं। अब इसका मतलब ये नहीं है कि पंचायतों में भ्रष्टाचार नहीं है, जैसे नल जल योजना मे चोरी हुई तो पिछले चुनाव मे 96 प्रतिशत वार्ड सदस्य चुनाव हार गए और 85 प्रतिशत मुखिया चुनाव हार गए। जनता जैसे ही किसी को कुर्ता पाजामा पहने देखती है, उससे जाकर अपनी समस्या सुना देती है। जैसे आधार कार्ड नहीं बन रहा है जबकि जनता को मालूम होना चाहिए की आधार कार्ड तो उनका अधिकार है लेकिन आधार कार्ड के लिए भी 25 सौ रुपये की घुस ली जा रही है।
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