सात राज्यों के 26 रेडियो स्टेशन अभियान में शामिल: श्रीमती अर्चना कपूर ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग के इस विशेष अभियान में सात राज्यों के 26 सामुदायिक रेडियो स्टेशनों के आरजे (रेडियो जॉकी) फाइलेरिया रोधी दवा खाने के लिए स्थानीय भाषा में "फरवरी दस, याद रखना बस" कहकर लोगों को प्रोत्साहित कर रहे हैं, जिसमें बिहार, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश शामिल हैं।
स्मार्ट एनजीओ सहायता कर रहा है: दिल्ली स्थित स्मार्ट एनजीओ देश भर में कई सामुदायिक रेडियो के साथ काम कर रहा है। फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम में भी उपरोक्त सभी राज्यों के 26 सामुदायिक रेडियो स्टेशनों को हर संभव सहायता प्रदान कर रहा है। रेडियो स्टेशनों के प्रबंधकों और आरजे को सामग्री के साथ-साथ अन्य सहायता प्रदान करने के अलावा स्मार्ट एनजीओ द्वारा प्रशिक्षित किया गया है।
एक माह तक चलेगा जागरुकता अभियान: स्मार्ट एनजीओ की संस्थापक एवं प्रमुख श्रीमती कपूर ने बताया कि सामुदायिक रेडियो पर फिलेरिया जागरूकता अभियान 1 से 28 फरवरी तक विभिन्न रूपों में चलेगा।
फाइलेरिया की दवाएं जरूर खाएं: फाइलेरिया के संबंध में श्रीमती कपूर ने कहा कि फाइलेरिया शरीर को कमजोर और कुरूप बनाने वाली एक खतरनाक बीमारी है। यह दीर्घकालिक विकलांगता का प्रमुख कारण है। इस बीमारी के लक्षण दिखने में 5 से 15 साल लग जाते हैं। हाथी पांव रोग का कोई इलाज नहीं है, इसलिए फाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन करना बेहतर है। इस लिये अपने क्षेत्र की सामुदायिक रेडियो सुनते रहें, और फाइलेरिया के संबंध में बाखबर रहें।
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