बिहार : बिजली दर पड़ोसी राज्यों से अधिक है : सिटीजन्स फोरम - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 28 फ़रवरी 2023

बिहार : बिजली दर पड़ोसी राज्यों से अधिक है : सिटीजन्स फोरम

  • सिटीजन्स फोरम, पटना ने विद्युत् नियमाक  आयोग  के समक्ष विद्युत् दर व फिक्सड चार्ज  में वृद्धि  का विरोध  किया 

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पटना, 28 फ़रवरी . नागरिक  सरोकारों  व जनतान्त्रिक अधिकारों  के लिए प्रतिबद्ध संस्था ' सिटीजन्स फोरम', पटना की ओर से आज बिहार राज्य विधुत विनियामक आयोग  द्वारा विधुत दर वृद्धि के प्रस्ताव पर आयोजित जनसुनवाई में विधुत दर  में चालीस  प्रतिशत की बढ़ोतरी  तथा  फिक्सड चार्ज में ढाई  गुणा वृद्धि को आम उपभोक्ताओं  पर बोझ बताया. विद्युत् भवन  में बिहार विधुत विनियामक आयोग द्वारा आयोजित  जनसुनवाई  में ' सिटीजन्स फोरम' के कई  सदस्यों ने हिस्सा सिटीजन्स फोरम लिया. ' सिटीजन्स फोरम' की ओर से एक मेमोरेंडम भी आयोग  के समक्ष प्रस्तुत किया गया.  आयोग के तरफ से आज  आयोग  के अध्यक्ष शिशिर सिन्हा व सदस्य एस. सी चौरसिया सुनवाई कर रहे थे।


' सिटीजन्स फोरम' के संयोजक  अनीश  अंकुर ने  आयोग के समक्ष कहा "   बिहार कम्पनियाँ बिजली  दर प्रतिदिन के आधार पर वसूलने का दावा करती है , लेकिन असलियत में बिजली की दर  मासिक आधार पर निर्धारित कर देती है। यह कानून का उल्लंघन है।  मान  लें यदि 10 यूनिट खपत कर रहा है तो उसे 100 यूनिट के अंदर वाला रेट लगना चाहिए । लेकिन उसकी मासिक खपत 300 यूनिट है,  अतः सरकार उससे मासिक दर के आधार पर बिल वसूल कर लेती है। " ' सिटीजन्स फोरम'  के एक अन्य सदस्य कमलकिशोर  ने आयोग  के समक्ष कहा "   इलेक्ट्रिसिटी  एक्ट -2003 की धारा 61 में कहा  गया है कि बिजली दर में बढ़ोतरी  करते वक़्त उपभोक्ताओं  का अधिक  से अधिक  ख्याल रखा जाना चाहिए.बिहार में बिजली  दर पड़ोसी  राज्यों के मुकाबले ज्यादा है. यह विसंगति दूर करनी चाहिए. " फोरम के सदस्य उदयन  ने  कहा  " इसके साथ  यह भी जोड़ा गया कि " 7801 करोड़ रू० बिजली  कम्पनी को दिये जा रहे अनुदान को प्रस्तावित बिजली रेट बढ़ोत्तरी डाटा में क्यों नहीं दर्शाया गया है? बिहार की बिजली कम्पनियों द्वारा सभी तरह के खर्च (स्थापना से लेकर लाईन मेन्टेनेन्स तक आदि) प्रस्तावित बिजली रेट बढ़ोत्तरी डाटा में दर्शाया गया तब फिक्सड चार्ज अलग से क्यों लिया जा रहा है.  बिहार की बिजली कम्पनियाँ विधायक एवं विधान  पार्षद को तीस हजार यूनिट बिजली प्रति वर्ष मुफ्त देती है तब आम उपभोक्ता को मुफ्त बिजली क्यों नहीं?"' सिटीजन्स फोरम' के जिन सदस्यों ने जनसुनवाई  में हिस्सा लिया उनमें प्रमुख  थे. नंदकिशोर  सिंह, सुनील  सिंह, विश्वजीत  कुमार, जयप्रकाश  ललन,  देवरतन प्रसाद, मोहन प्रसाद आदि.

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