पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना का 23वाँ स्थापना दिवस हर्षोल्लास के साथ मना - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 22 फ़रवरी 2023

पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना का 23वाँ स्थापना दिवस हर्षोल्लास के साथ मना

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पटना, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना का 23वाँ स्थापना दिवस दिनांक 22.02.2023 को हर्षोल्लास के साथ धूम-धाम से मनाया गया | कार्यक्रम की शुरूआत दीप प्रज्ज्वलन एवं आईसीएआर गीत के साथ हुई, जिसके बाद संस्थान के निदेशक डॉ. अनूप दास ने मुख्य अतिथि. एन. सरवन कुमार, सचिव (कृषि विभाग), बिहार सरकार; बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. रामेश्वर सिंह;  डॉ. बी. एस. महापात्रा, कुलपति बिधान चन्द्र कृषि विश्वविद्यालय, पश्चिम बंगाल; डॉ. ए. विलास टोनापी, पूर्व निदेशक, भारतीय कदन्न संस्थान, हैदराबाद; डॉ. बिकास दास, निदेशक, भाकृअनुप-राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केन्द्र, मुजफ्फरपुर; डॉ. अंजनी कुमार, निदेशक, भाकृअनुप- अटारी, पटना; श्री अनिल कुमार झा, भा.प्र.से., संयुक्त सचिव (कृषि विभाग), बिहार सरकार; श्री संजय कुमार सिंह, भा.प्र.से., संयुक्त सचिव (कृषि विभाग), बिहार सरकार एवं अन्य गणमान्य अतिथियों का स्वागत किया| इस अवसर पर निदेशक ने संस्थान द्वारा पिछले एक वर्ष में अर्जित की गयी उपलब्धियों के बारे में विस्तृत जानकारी दी | उन्होंने बताया कि हमारे संस्थान के प्रयास से ही धान- गेहूँ फसल चक्र में संरक्षित कृषि का उपयोग लगातार बढ़ता ही जा रहा है | वर्तमान में प्राकृतिक एवं जैविक खेती, समेकित कृषि प्रणाली,जलवायु अनुकूल पौष्टिक अनाजों पर भी संस्थान द्वारा शोध कार्य किया जा रहा है | जलवायु अनुकूल प्रजातियों का भी विकास अनवरत जारी है | धान की पांच एवं बाकले की दो प्रजातियों का विकास इसी कड़ी का एक हिस्सा है| संस्थान के मखाना अनुसंधान केन्द्र, दरभंगा द्वारा प्रदेश की मखाना की पहली प्रजाति “स्वर्ण वैदेही” निकाली गई तथा सिंघाड़ा की काँटारहित प्रजाति निकाली गई | हमारे संस्थान के राँची केन्द्र से सब्जियों की कई नई प्रजातियां विकसित की गई जोकि उच्च उत्पादन एवं गुणवत्ता से लबरेज  है | खनिज मिश्रण की कमी को पूरा करने के लिए संस्थान द्वारा क्षेत्र विशिष्ट खनिज मिश्रण “स्वर्णमिन” को बनाया गया है | आईसीएआर के नस्ल पंजीकरण समिति द्वारा “मैथिलि” बतख की प्रजाति तथा “पूर्णिया गाय” को पंजीकृत किया जाना संस्थान की प्रमुख उपलब्धियों में से एक है | डॉ दास ने संस्थान में योगदान कर चुके पूर्व एवं सेवानिवृत्त कर्मचारियों को भी उनकी सेवाओं के लिए याद किया | डॉ. दास ने इस बात पर विशेष बल दिया कि हमें पूर्वी क्षेत्र के कृषकों के लिए  राज्य कृषि विश्वविद्यालयों, अनुसंधान एवं प्रोद्योगिकी संस्थानों, राज्य सरकार के विभिन्न संस्थानों, गैर सरकारी संगठन एवं के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करना है |  मुख्य अतिथि डॉ. एन. सरवन कुमार, सचिव (कृषि विभाग), बिहार सरकार ने अपने अभिभाषण में संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए शोध कार्यों को सराहा और बदलते जलवायु के पृष्ठभूमि में कृषि में जल की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला, लगे हाथ भविष्य की चुनौतियों हेतु शोध करने हेतु सलाह भी दिया |  इस अवसर पर बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. रामेश्वर सिंह जी ने पूर्वी क्षेत्र के विकास के लिए संस्थान द्वारा किए गए कार्यों की प्रशंसा की तथा भविष्य की चुनौतियों के बारे में चर्चा की |  डॉ. बी.एस. महापात्रा, कुलपति बिधान चन्द्र कृषि विश्वविद्यालय, पश्चिम बंगाल ने कृषि एवं पशुधन के क्षेत्र में किसान हितकारी शोध किए जाने पर बल दिया | इसके पूर्व सुबह के सत्र में डॉ. ए. विलास टोनापी, पूर्व निदेशक, भारतीय कदन्न संस्थान, हैदराबाद द्वारा मिलेट्स के महत्त्व एवं उपयोगिता पर सारगर्भित व्याख्यान दिया गया | अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स (मोटा अनाज) वर्ष 2023 के उपलक्ष्य में इस व्याख्यान का आयोजन किया गया | इस अवसर पर बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, पूर्वी उत्तर प्रदेश, असम एवं ओडिशा के प्रगतिशील किसान भी सम्मिलित हुए तथा कुछ प्रगतिशील कृषकों को उनके उत्कृष योगदान हेतु सम्मानित भी किया गया | संस्थान के विभिन्न वर्गों के कर्मियों तथा कृषि क्षेत्र से जुड़े मीडियाकर्मी भी सम्मानित किये गए | इस दौरान, संस्थान की हिंदी पत्रिका “अक्षय खेती” तथा अन्य प्रकाशनों का भी विमोचन किया गया | वैज्ञानिक-कृषक संगोष्ठी के मुख्य अतिथि दीघा विधानसभा क्षेत्र के माननीय विधायक डॉ. संजीव चौरसिया जी ने अभिभाषण में कृषक बंधुओं से यह अपील की कि आप लोग कृषि वैज्ञानिकों के शोध एवं उनके अनुभवों का भरपूर लाभ उठायें | उन्होंने किसानों से उत्पादकता और आय बढ़ाने के लिए खेती में वैज्ञानिक पद्धतियों को अपनाने का आग्रह किया। माननीय विधायक ने युवाओं को इस क्षेत्र में लाने और किसानों की आजीविका में सुधार के लिए कृषि में उद्यमिता विकास की आवश्यकता पर जोर दिया। कृषक-वैज्ञानिक संगोष्ठी में संस्थान के वैज्ञानिकों एवं प्रगतिशील कृषकों ने बढ़-चढ़  कर भाग लिया | आयोजन सचिव डॉ. उज्ज्वल कुमार, प्रभागाध्यक्ष, सामाजिक-आरती एवं प्रसार द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ  | 

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