मधुबनी, होली के समापन बाद बढ़ती गर्मी के कारण बीच में वर्षा नहीं होने के कारण पानी का लेयर निचे जाने के कारण शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में चापकल पानी देना कम कर दिया है। शहरी क्षेत्रों में तो लोग मोटर से पानी ग्यारह बजे से पूर्व ही निकल कर रख लेते है, जबकि जलसंग्रह से अनभिज्ञ ग्रामीण परिवेश में निवास करने वाले लोगों को सामने पेयजल संकट उत्पन्न हो गया है। कहने को तो बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सम्पूर्ण राज्य में पेयजल संकट से छुटकारा दिलाने एवं गुणवत्ता युक्त पानी उपलब्ध कराने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना में करोड़ रुपए खर्च कर पंचायत प्रतिनिधियों को हर हाल में लोगों को पानी की समस्या से निजात दिलाने का प्रयास किया। परंतु पंचायत प्रतिनिधि एवं पीएचडी विभाग के अधिकारियों के मनमानी के कारण लोगों को करोड़ों रुपए खर्च कर बनाया गया, मुख्यमंत्री हर घर नल का जल योजना समय से पूर्व ही दम तोड़ दिया। तकनीकी सहायक, लेखपाल, डाटा ऑपरेटर एवं प्रखंड विकास पदाधिकारी ने मुखिया एवं आपूर्ति कर्ता सह संवेदक से गठजोड़ कर नल से एक बूंद पानी निकाले ही योजना को सरकार के वेवसाईट पर पूर्ण दिखाकर मोटी रकम लेकर अपने कर्तव्य का निर्वाह कर लिया। नव निर्वाचित जनप्रतिनिधियों ने प्रभार लेने से पहले ही नल जल योजना की पूर्ण नहीं होने की शिकायत दर्ज कराया, परंतु अधिकारी कमिशन पा लेने के कारण जांच के जगह प्रभार लेने का दबाव देकर प्रभार लेने पर मजबूर कर दिया। इधर नल जल योजना का शुभारंभ होने के साथ ही विभाग, विधायक एवं सांसद पूराने चापाकल जो आंशिक मरम्मत के कारण बंद है और फूटी कौड़ी नहीं खर्च कर रहा। सम्प्रति लोगों को पेयजल संकट से जूझना पड़ रहा है। कमोबेश जिले के हर जगह पर ये समस्या उत्पन्न हो चुकी है।
सोमवार, 13 मार्च 2023

बिहार : गर्मी चढ़ते ही चापाकल एवं जल के स्रोतों ने छोड़ा साथ, जल संकट शुरू
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