- परिवर्तनशील जलवायु में कृषि जल प्रबंधन पर पटना में राष्ट्रीय कार्यशाला
- कुशल बाढ़ एवं जल प्रबंधन हेतु नदियों को आपस में जोड़ना होगा : डॉ. रामकर झा
पटना, जलवायु परिवर्तन एवं जल की उपलब्धता का कृषि पर पड़ने वाले प्रभाव पर विचार-मंथन करने हेतु भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना में “परिवर्तनशील जलवायु में कृषि जल प्रबंधन” विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का सफलतापूर्वक आयोजन हुआ, इसमें सौ से ज्यादा वैज्ञानिकों एवं प्रगतिशील कृषकों ने भाग लिया| डॉ. सुरेश कुमार चौधरी, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन प्रभाग, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के माननीय उप महानिदेशक ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में जल के कृषि में उपयोग पर प्रकाश डाला एवं आधुनिक तकनीक जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, आईओटी, सेंसर आधारित सिंचाई पद्धति के बारे में बताया | जल की उपलब्धता दिनोंदिन कम होती जा रही है अतः, उन्होंने सिंचाई की आधुनिक तकनीक का उपयोग करने पर बल दिया | मुख्य अतिथि डॉ. आलोक कुमार सिक्का, (IWMI में भारत के प्रतिनिधि) किसानों को संबोधित करते हुए बाढ़ एवं सुखाड़ प्रबंधन के बारे में बताया | उन्होंने जल का कम उपयोग कर अधिक फसल का उत्पादन कैसे कर सकते हैं इस पर भी चर्चा की साथ ही साथ सेंसर आधारित कृषि एवं सिंचाई के बारे में बताया | उन्होंने ऊर्जा संरक्षण की महत्ता के बारे में बताया एवं जल के संरक्षण एवं भंडारण के बारे में भी बताया | कार्यशाला का आयोजन दो सत्रों में हुआ | प्रथम सत्र के अध्यक्ष डॉ. मान सिंह, प्रोफ़ेसर एवं पूर्व परियोजना निदेशक, जल प्रोद्योगिकी केंद्र, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली एवं उपाध्यक्ष डॉ. ए. सारंगी, निदेशक, भारतीय जल प्रबंधन संस्थान, भुवनेश्वर थे | द्वितीय सत्र में डॉ. पी.के. घोष, निदेशक, राष्ट्रीय जैविक स्ट्रेस प्रबंधन संस्थान, रायपुर ने अध्यक्षता की एवं डॉ. के. जी. मंडल, निदेशक, महात्मा गांधी समेकित कृषि अनुसंधान संस्थान, मोतिहारी उपाध्यक्ष के रूप में मौजूद थे | डॉ. मान सिंह, प्रोफ़ेसर एवं पूर्व परियोजना निदेशक, जल प्रोद्योगिकी केंद्र, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नयी दिल्ली ने अपने अभिभाषण में बताया कि देश में सक्षम जल प्रबंधन को दुरुस्त करने के लिए दस लाख करोड़ रुपये के निवेश की आवश्यकता है | अब इस बात की आवश्यकता महसूस की जा रही है कि वाटर फर्स्ट एंड फार्मर फर्स्ट के नारे पर काम करना होगा | डॉ. के. जी. मंडल, निदेशक, महात्मा गांधी समेकित कृषि अनुसंधान संस्थान, मोतिहारी ने बताया कि देश का करीब 411 लाख हेक्टेयर भूभाग जलाक्रांत की विभिन्न समस्याओं से ग्रस्त है | देश के कुल बाढ़ ग्रसित भूभाग का 17 प्रतिशत क्षेत्र बिहार में है | इस पर ध्यान देने की विशेष जरूरत है |डॉ. रामकर झा, राष्ट्रीय प्रोद्योगिकी संस्थान, पटना ने नदियों को जोड़ने पर विशेष बल दिया | साथ ही साथ उन्होंने नदियों की गाद की सफाई का बाढ़ प्रबंधन में इसके योगदान पर भी चर्चा की | डॉ. अंजनी कुमार, निदेशक, अटारी, पटना ने कृषि जल प्रबंधन पर किसानों के बीच कृषि विज्ञान केन्द्रों द्वारा किये जा रहे कार्यों की जानकारी साझा की | संस्थान के निदेशक डॉ. अनुप दास ने कार्यशाला की रूपरेखा एवं सभी महत्त्वपूर्ण बिंदुओं पर प्रकाश डाला | डॉ. दास ने उत्तर पूर्वी राज्यों में कृषि जल प्रबंधन पर विस्तार से चर्चा की एवं समेकित कृषि प्रणाली पर विशेष बल दिया | डॉ. आशुतोष उपाध्याय ने जलवायु परिवर्तन के परिप्रेक्ष्य में समेकित जल संसाधन प्रबंधन रणनीति पर चर्चा की | परिचर्चा में डॉ. एस. के. अम्बस्ट, संयुक्त निदेशक (शिक्षा), राष्ट्रीय जैविक स्ट्रेस प्रबंधन संस्थान, रायपुर अध्यक्ष के रूप में मौजूद थे एवं डॉ. डी.जे. राजखोवा, पूर्व संयुक्त निदेशक, भा.कृ,अनु,प. का उत्तर पूर्वी पर्वतीय क्षेत्र क्षेत्रीय केंद्र, नागालैंड उपाध्यक्ष के रूप में उपस्थित थे | इन सत्रों में डॉ. बिश्वजीत चक्रबर्ती, वैज्ञानिक-G एवं प्रधान, राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान, पटना; डॉ. पी.आर. भटनागर, प्रधान वैज्ञानिक, केन्द्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान, करनाल; डॉ, अम्बरीश कुमार, अधिष्ठाता, कृषि प्रोद्योगिकी महाविद्यालय, डॉ, राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा; प्रधान वैज्ञानिक डॉ. अजय कुमार, प्रधान वैज्ञानिक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना; डॉ. मनोज कुमार, वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रभागाध्यक्ष, मखाना अनुसंधान केंद्र, दरभंगा; डॉ. रचना दूबे, वैज्ञानिक ने अपने विचार व्यक्त किये | डॉ. आर. डी. सिंह, पूर्व प्रधान वैज्ञानिक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना एवं डॉ. एस.के. सिंह, पूर्व प्रधान वैज्ञानिक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना ने अपने-अपने विचार व्यक्त किये | डॉ. अनिल कुमार सिंह सहित संस्थान के सभी विभागाध्यक्ष एवं वैज्ञानिकगण परिचर्चा में भाग लिए | कार्यशाला के आयोजन सचिव का दायित्व डॉ. अकरम अहमद, वैज्ञानिक, मंच का संचालन डॉ. शिवानी, प्रधान वैज्ञानिक, एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. आशुतोष उपाध्याय, प्रभागाध्यक्ष, भूमि एवं जल प्रबंधन एवं सोनका घोष, वैज्ञानिक ने किया।
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