- बोले - शिक्षा पर आज बिहार में 40 हजार करोड़ रुपए खर्च हो रहे, लेकिन 40 बच्चे भी ठीक से पढ़कर नहीं निकल रहे
शिक्षा पर आज बिहार में 40 हजार करोड़ रुपए खर्च हो रहे, लेकिन 40 बच्चे भी ठीक से पढ़कर नहीं निकल रहे
जन सुराज पदयात्रा के दौरान वैशाली के पातेपुर में एक आमसभा को संबोधित करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि गरीब का बच्चा जब सरकारी स्कूल में जाता है तो वहां पढ़ाई नहीं होती है। वो केवल पिलुआ वाला खिचड़ी खाकर वापस आ जाता है। जिन लोगों के बच्चे प्राइवेट स्कूलों में पढ़ रहे हैं, वो कहते हैं कि सरकारी स्कूलों से उनको कोई मतलब नहीं है लेकिन उन्हें शायद पता होना चाहिए कि उनके बच्चें आखिर में कॉलेज जहां पढ़ने जाएंगे वो सरकारी ही होगा। आज स्कूलों में खिचड़ी और कॉलेजों में डिग्री बांटी जा रही है, इससे ज्यादा कुछ नहीं हो रहा है। पढ़ाई दोनों में कहीं नहीं हो रहा है। बिहार के लोगों को सोचने की जरूरत है कि अगर आपके बच्चे पढ़ेंगे ही नहीं तो कलेक्टर की जगह मजदूर ही बनेंगे। इस गरीब बिहार में हर साल बिहार सरकार का 40 हजार करोड़ रुपये शिक्षा के नाम पर खर्च हो रहा है, लेकिन इतना भ्रष्टाचार है कि 40 बच्चें भी ठीक से पढ़कर नहीं निकल रहे हैं।
बिहार की भूमि पर दुनिया के लोग पढ़ने आते थे, आज हमारे बच्चों को पढ़ने के लिए दुनिया भर में दर दर भटकना पड़ रहा है
जन सुराज पदयात्रा के दौरान वैशाली के पातेपुर में एक आमसभा को संबोधित करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार के बच्चें बिहार से बाहर जाते हैं। कोई पढ़ने के लिए, कोई मजदूरी के लिए और वहां जिनका मन होता है वो बिहार के बच्चों को मार देता है, जिसका मन होता है वो गाली दे देता है। उनको लगता है बिहारी मतलब बेवकूफ, बिहारी मतलब मूर्ख क्या हम सब मूर्ख हैं? नहीं! यहां के नेताओं ने हम लोगों को मूर्ख बना कर रखा हुआ है। ये वो जमीन है जहां पूरी दुनिया से लोग पढ़ने आते थे, बिहार से पूरे भारत की शासन व्यवस्था चलती थी। आज हम लोगों की दुर्दशा ऐसी है कि हम लोगों के बच्चों को पढ़ने के लिए रोजगार के लिए दर-दर की ठोकरे खानी पड़ रही है, तो संकल्प कीजिए कि इस बार वोट जाति पर नहीं, भारत-पाकिस्तान पर नहीं और नाली-गली पर नहीं, इस वोट अपने बच्चों की पढ़ाई और रोजगार के नाम पर देंगे।
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