मेरी जिंदगी कुछ ऐसी थी,
न ही दिन का खाना था,
न रात का ठिकाना था,
बचपन का जमाना था,
जब लड़की और लड़के में भेदभाव होता था,
मगर हमें कहां पता होता था।।
राह में चलते लोग मुझे,
गुड़िया कह कर पुकारते थे,
मगर पता नहीं था कि,
बड़े होकर लोग मुझे,
पराये घर की कहकर पुकारेंगे।।
मैं संसार की हर ताकत में थी,
मैं संसार की हर झंकार में थी,
बस एक ही उस नाम पर थी,
जिस पर लड़का नहीं,
मैं एक लड़की थी।।
नंदिनी
कक्षा - 12वीं
कपकोट, बागेश्वर
उत्तराखंड
चरखा फीचर
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