- बुकर पुरस्कार से सम्मानित लेखक गीतांजलि श्री ने किया लोकार्पण
- घुमक्कड़ लेखक अजय सोडानी ने विमल दे से उनकी किताब पर बातचीत की।
लोकार्पण कार्यक्रम में राजकमल प्रकाशन समूह के कमीशनिंग एडिटर धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, “अनजानी जगहों के प्रति जिज्ञासा और साईकिल से कैसे दुनिया को जाना जा सकता है, यह बिमल दे ने अपनी इस पुस्तक में बहुत दिलचस्प तरीके से लिखा है।" घुमक्कड़ लेखक अजय सोडानी ने कहा, “जब मैंने पांच साल पहले यह पुस्तक पढ़ी तो लगा यह कोई इंसान नहीं कर सकता है, यह किसी महामानव का काम है। मैं अक्सर सोचा करता था, कैसे होते होंगे ये लोग कैसे दिखते होंगे, क्या खाते होंगे, कैसे लिखते होंगे और जब मैंने बिमल दे को देखा तो पता लगा ये तो आम इंसान की ही तरह हैं। लेकिन फर्क था दिलो दिमाग में, जो इनके पास अलग है और इन्हें मानव से महामानव बना रहा है।" लेखक बिमल दे ने साइकिल से दुनिया की यात्रा के दौरान के दिलचस्प किस्सों, घटनाओं का अनुभव उपस्थित पाठकों से साझा किया। उन्होंने कहा कि जब उन्होंने दुनिया की सैर करने का फैसला किया तो उनके जेब में केवल 16 रुपए थे। उन्हें पता नहीं था कि यह कैसे संभव हो पायेगा। लेकिन अगर आपके इरादे नेक और ईमानदार हो तो भगवान भी आपकी हेल्प करता है। भारत एक ऐसा देश है जहाँ हर जगह प्यार है, जो मुझे भी मिला, धीरे-धीरे लोग मेरे सपोर्ट में आये। मैं दुनिया को अपनी नजरों से देखना चाहता था। यह इच्छाशक्ति, ज्ञानशक्ति और क्रियाशक्ति के कारण ही संभव हो पाया। आगे उन्होंने दुनिया की अपनी सैर के दौरान आये रोमांचित क्षणों एवं कठिनाईयों को भी साझा किया।

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