जलवायु परिवर्तन से निपटने की जितनी तात्कालिकता आज के दौर में महसूस होती है, उतनी पहले कभी नहीं रही। और वक़्त के साथ इस विषय की प्रासंगिकता बढ़ती ही जाएगी। क्योंकि यह समस्या मानव जनित है, इसका समाधान भी मानव जनित ही होगा। सरल शब्दों में जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए जन सहभागिता बेहद ज़रूरी है। और जन सहभागिता के लिए जन जागरण महत्वपूर्ण है। बस यहीं पर मीडिया की भूमिका उभर कर सामने आती है। और इन बातों के दृष्टिगत अगर कल जिनके हाथ मीडिया की बागडोर होगी, उन्हें आज ही इस विषय के प्रति जागरूक और संवेदनशील बनाया जाये तो इससे अच्छी पहल और क्या हो सकती है। इसी क्रम में दिल्ली स्थित सेंटर फार मीडिया स्टडीज (सीएमएस) नाम की प्रतिष्ठित संस्था ने मीडिया और कम्यूनिकेशन के छात्रों को लो कार्बन सस्टेनेबल डेवलपमेंट या कम कार्बन सघनता वाले टिकाऊ विकास के बारे में जानकारी देने और उनकी पेशेवर क्षमता बढ़ाने के इरादे से एक कार्यक्रम की शुरुआत की है, जिसके अंतर्गत यह संस्था देश के चार बड़े राज्यों में मीडिया छात्रों के इस क्षमता संवर्धन पर काम करेगी। कार्यक्रम के तहत, स्नातकोत्तर मीडिया छात्रों के लिए उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, और हरियाणा चार राज्य स्तरीय प्रशिक्षण कार्यशालाएं आयोजित की जाएंगी। इस कार्यक्रम का पहला मीडिया छात्र ट्रेनिंग प्रोग्राम लखनऊ स्थित एमिटी यूनिवर्सिटी कैंपस में बीती 3अगस्त को आयोजित किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए मोबिस फाउंडेशन के सीईओ डॉ. राम भुज ने कहा, "टिकाऊ विकास के लिए संसाधनों की बरबादी पर लगाम लगानी होगी।“ उनकी बात को आगे बढ़ाते हुए सीएमएस एडवोकेसी की निदेशक सुश्री अन्नू आनंद का कहना था कि “ऐसे युग में जहां जलवायु परिवर्तन के प्रभाव बड़े पैमाने पर हैं और टिकाऊ विकास को प्राथमिकता बनाना एक आवश्यकता बन गया है, मीडिया पेशेवरों की भूमिका पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गयी है। जलवायु परिवर्तन और स्थायी मुद्दों पर सटीक और जिम्मेदारी से जानकारी प्रसारित करने में भविष्य के मीडिया प्रोफेशनल्स की अहम् भूमिका को नकारा नहीं जा सकता।”
बुधवार, 9 अगस्त 2023
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विशेष : “जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कुछ करने को सक्षम हम आखिरी पीढ़ी हैं”
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