- बिहार से निकला विपक्ष की व्यापक एकता का सूत्र लगातार बढ़ रहा आगे, महागठबंधन सरकार का एक साल - जनता के कई मुद्दों का हुआ समाधान
- ‘इंडिया’ के संकल्प के अनुसार आगे बढ़े बिहार सरकार, 2024 में भाजपा का सफाया तय
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पटना 9 अगस्त, बिहार में महागठबंधन सरकार के आज एक साल पूरे हो गए. इस मौके पर माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा कि इस एक साल की सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही कि षड्यंत्रकारी भाजपा पर महागठबंधन सरकार ने मजबूती से नकेल कसी है. लाख कोशिशों के बाद भी भाजपा की विभाजनकारी व नफरत की राजनीति को बिहार में कोई जगह नहीं मिल रही है. बिहार की सत्ता से बाहर होने के बाद भाजपा द्वारा बिहार को लगातार अस्थिर करने की ही कोशिश की गई. रामनवमी में बिहारशरीफ से लेकर सासाराम और फिर मुहर्रम में भी हर जगह सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की साजिशें रची गईं, लेकिन उनकी ऐसी हर साजिशों को नाकाम किया गया है. उन्मादी-उत्पाती संगठनों की शिनाख्त कर उनपर कड़ी कार्रवाई करने की जरूरत है ताकि बिहार में सांप्रदायिक सौहार्द बना रहे. कई जिलों में प्रशासन ने इस तरह की अपनी पहलकदमी बढ़ाई है. विगत एक साल का समय इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि यहीं से विनाशाकारी-फासीवादी भाजपा के खिलाफ विपक्ष की व्यापक एकता का सूत्र निकला जो आज लगातार विस्तार पा रहा है. भाकपा-माले के महाधिवेशन से निकला सूत्र अब ठोस आकार ग्रहण कर चुका है. पटना में विपक्षी दलों की पहली बैठक हुई और फिर बेंगलुरू में ‘इंडिया’ बनाया गया. विपक्ष के मोर्च के निर्माण में एक साल से राज्य के अंदर चल रहीं प्रक्रियाएं बेहद महत्वपूर्ण हैं. कई जनमुद्दों पर भी सरकार ने सकारात्मक पहलकदमी ली है. खासकर शिक्षक समुदाय को लेकर चल रहे आंदेलन पर अंततः सरकार ने सकारात्मक रूख दिखाया और बातचीत की प्रक्रिया आगे बढ़ी है. लेकिन अभी भी कई ऐसे मुद्दे हैं, जिनपर सरकार को गंभीरता दिखलानी है. आशाकर्मियों के लिए न्यूनतम मानदेय, विस्थापन पर रोक, दलित-गरीबों व जरूरतमंदों के लिए नया वास-आवास कानून, मनरेगा में मजदूरी, टाडाबंदियों की रिहाई आदि मुद्दों पर सरकार को गंभीरता से विचार करना चाहिए. हमारी राय है कि सरकार बेंगलुरू में ‘इंडिया’ के संकल्प के अनुसार काम करे और जनाकांक्षाओं को पूरा करने का प्रयास करे, ताकि भाजपा को बिहार में एक ईंच की भी जगह नहीं मिल सके.
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