मधुबनी : जयनगर अनुमंडल में बढ़ा लंपी वायरस का प्रकोप, तमाम दावे साबित हो रहे विफल - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 2 अगस्त 2023

मधुबनी : जयनगर अनुमंडल में बढ़ा लंपी वायरस का प्रकोप, तमाम दावे साबित हो रहे विफल

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जयनगर/मधुबनी, जिले के जयनगर अनुमंडल सहित पूरे प्रखंड एवं सीमावर्ती क्षेत्र मे मवेशियों मै फेल रहा है। लंपी रोग दवा बाजार में नहीं मिल पा रहा है। सीमावर्ती नेपाल के इलाके सहित जयनगर प्रखंड के देवधा, उसराही, बरही, डोरवार, गोबरही, बेला, इनरवा, कुंआड़, परवा सहित दर्जनों गांव में एवं सीमावर्ती क्षेत्र नेपाल के दूहबी, महीनाथपुर,  बिशनपुरा, रमोल, वैदेही सहित अन्य जगहों पर मवेशियों खासकर  गाय, उसके बछड़े, भेस पर लंपी रोग काफी तेजी से फेल रहा है। वहीं दूसरी ओर इस बीमारी की सीमावर्ती क्षेत्र नेपाल एवं जयनगर प्रखंड में पशुओं में लंपी  बीमारी की एंटीबायोटिक, पेरासिटामोल,मिनरल्स,एंडोमेट्रियल,  पेंसिल इन अमोक्सिसिल्लिन, एंटी एलर्जी, स्किन डिजीज ग्रुप की दवाओं की भारी किल्लत होने के कारण पशुपालक बाजार से निराश होकर लौट रहे हैं। ग्रामीण चिकित्सकों के अनुसार रिप्रानोल, एसीटी, डिसी, वैक्सीन फोर्ट, एनाल्जेसिक, एक्ट लार्सन, टाइबर मेलोनेक्स सहित दर्जनों उपयोग में आने वाली सुई एवं गोली मार्केट से गायब हो गए हैं। पशु दवा दुकानदारों की मानें, तो अचानक से फैले बीमारी के कारण इन सभी दवाओं की शॉर्टेज हो गया है।  अचानक से आ रही दवाइयों की डिमांड के कारण शॉर्टेज हो गया है। वहीं दूसरी ओर पशुपालकों की माने तो यह रोग छुआछूत का रोग है। एक दूसरे से काफी तेजी से यह फैल रहा है। जिस ढंग से यह फैल रहा है, लंपी 1000 से ऊपर मवेशियों को अपनी चपेट में लेता जा रहा है। वही आधा दर्जन मवेशी की मौत भी हो गई है।  सरकारी अस्पताल में कोई सुविधा नहीं है एवं दो-तीन प्रकार की सिर्फ नाम की दवाइयां हैं वहां जाने पर सिर्फ जागरूक होने की जानकारी दी जाती है।


स्थानीय ग्रामीण एवं दर्जनों किसानों ने बताया की अचानक से 12 दिन के अंदर मवेशियों को शरीर में चेचक जैसे दाने निकलने लगे। उसके निकलते ही मवेशियों ने खाना पीना छोड़ दिया और बीमार रहने लगे। उनके चेचक फुटकर घाव का रूप लेने लगते हैं और बुखार आने लगता है। सरकारी पशु अस्पताल में इलाज का कोई सुविधा एवं दवा उपलब्ध नहीं होने के कारण ग्रामीण क्षेत्र के प्रैक्टिशनर से वह इलाज करवा रहे हैं, उनकी दवाइयां मार्केट में नहीं मिल पा रही है, जिस कारण इलाज में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। इस बार किसानों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। इस बार अपने पंचायत में सही ढंग से पानी ना होने के कारण एक खेती की समस्या उत्पन्न हो गई है, वहीं दूसरी ओर मवेशियों में लंपी फैल जाने की बीमारी से मानसिक एवं आर्थिक समस्या उत्पन्न हो गई है। इस बीमारी को रोकने के लिए सरकार के द्वारा मवेशियों में जो टीकाकरण कराया गया था उसका कोई फायदा नहीं हो पा रहा है।  वही, इस संबंध में पशु चिकित्सा पदाधिकारी ने बताया कि प्रखंड में पहला मामला 10 जुलाई को आया था। उसके बाद से वह लगातार पूरे प्रखंड में लगभग 600 से ऊपर गायों का इलाज कर चुके हैं। अस्पताल में जो दवाइयां हैं, उसी के सहारे बीमारी का इलाज किया जा रहा है। सभी प्रकार की दवाइयां एवं बीमारी पीड़ित मवेशी को रखने का इंतजाम अस्पताल परिसर में नहीं है संसाधन की कमी है, अस्पताल कर्मचारियों के साथ प्रखंड के विभिन्न गांव में बीमारी से बचने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। यह भीषण गर्मी के कारण यह बीमारी पनप रहा है। इस समय साफ सफाई एवं पान का पत्ता, काला मिर्च, हल्दी, गुड की 10 ग्राम मात्रा के साथ 21 दिन तक प्रभावित पशुओं को देना है। वहीं दूसरी ओर हजारों पशुओं का टीकाकरण किया जा चुका है, मगर टीकाकरण के बाद भी यह बीमारी फेल रहा है।

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