श्री मंडल ने कहा कि भाजपा लगातार केवल ढोंग करती रही है ,जबकि वह जाति गणना ही नहीं बल्कि जनगणना के भी विरोधी हैं पिछले डेढ़ सौ बरसों के इतिहास में हिंदुस्तान में पहली बार 10 वर्षीय जनगणना नहीं कराई गई ।जैसा की ज्ञात हो कि देश में आखिरी जनगणना वर्ष 2011 में हुई थी, इसके बाद 2021 में जनगणना होना तय था । लेकिन मोदी सरकार ने कोरोनावायरस का बहाना बनाकर जनगणना को टालने की साजिश की जबकि इस कोरोनाकाल के दौरान वर्ष 2020 से लेकर आज तक दुनिया के 80 से अधिक देशों ने अपने अपने देश में जनगणना का कार्य पूर्ण कर लिया है । आश्चर्य की बात यह है कि पाकिस्तान जैसे गरीब और पिछड़ा देश ने भी अपने देश में जनगणना कार्य करा लिया । अमेरिका ने भी वर्ष 2021 में जनगणना का कार्य करवा लिया है। प्रदेश उपाध्यक्ष श्री मंडल ने बताया कि भारत सरकार द्वारा अब तक जनगणना का कार्य पूर्ण नहीं कराने के कारण देश में संवैधानिक संकट उत्पन्न होने वाली है ।जैसा कि ज्ञात हो कि वर्ष 2026 में परिसीमन होना तय है। परिसीमन जनगणना के आधार पर होता है। समय पर जनगणना नहीं हो पाने के कारण देश में दूसरी संवैधानिक संकट उत्पन्न होने वाली है। परिसीमन नहीं होने से sc-st वर्गों को लोकसभा ,राज्यसभा ,विधानसभा इत्यादि में उनके जनसंख्या के आधार पर मिलने वाला आरक्षण से वंचित होना पड़ेगा । श्री मंडल ने कहा कि अगर भाजपा की मानसिकता अगर जाति गणना के पक्ष में होती तो क्यों नहीं आज तक अपने शासित प्रदेशों में जाति गणना कराने का फैसला लिया ? अब तक जाति आधारित गणना देश के जिन 3 राज्यों में हुई या प्रक्रिया में है उन तीनों राज्यों में उस समय गैर भाजपा की सरकार थी ।भाजपा शासित प्रदेशों में जातीय गणना तो दूर ,इसकी मांग तक भी नहीं उठी। अगर भाजपा जातीय गणना के पक्ष में होती तो कर्नाटक में कराई गई जातीय गणना की रिपोर्ट को अपने शासनकाल में क्यों नहीं सार्वजनिक किया?
अगर भाजपा जाति आधारित गणना के पक्ष में थी तो वर्ष 2011 में केंद्र सरकार द्वारा कराए गए सामाजिक आर्थिक जाति गणना को आज तक सार्वजनिक क्यों नहीं किया ?भाजपा जाति आधारित गणना से डरती है। बिहार में जाति आधारित गणना को लेकर अगस्त 2022 में बिहार सरकार द्वारा कैबिनेट की मंजूरी दी गई उस समय बिहार भाजपा राज्य सरकार के साथ समर्थन में खड़े होने का दिखावा कर रही थी और बाद में जातीय गणना को रोकने के लिए साजिश के तहत याचिका दायर करवाई । जबकि बिहार में 80% गणना का कार्य पूर्ण हो चुका था तथा इस पर सरकार की काफी राशि व्यय हो चुकी थी । भाजपा के इस दउमउंहए कृत्य से इनके दोहरे चरित्र एवं अनुसूचित जाति पिछड़ा अति पिछड़ा एवं अन्य कमजोर वर्गों के विरोधी होने की मानसिकता को परिलक्षित करती है । मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी की सदैव सकारात्मक दृष्टि है कि जातीय गणना कराने से उनके सही आकलन एवं उनके सही आर्थिक स्थिति की जानकारी प्राप्त हो सकेगी। जबकि भाजपा इसका शुरू से ही सख्त विरोधी रही है। भाजपा गरीबों के उत्थान का विरोधी है, लेकिन वह जातीय गणना के संबंध में हमेशा स्वयं को इसका पक्षधर बताते हुए आम जनों में भ्रम फैलाने का कुत्सित प्रयास करती रही है,जो कि अब उजागर हो चुका है। भाजपा को यह स्पष्ट करना चाहिए कि अगर वह जातीय गणना के पक्ष में थी तो माननीय न्यायालय में इसके विरुद्ध दायर याचिका के खिलाफ इंटरवेनर क्यों नहीं बनी? इन सभी बातों से यह स्पष्ट होता है कि भाजपा की मानसिकता अनुसूचित जाति ,अत्यंत पिछड़ा वर्ग ,पिछड़ा वर्ग एवं गरीब विरोधी है। देश के लोगों की वास्तविक स्थिति सार्वजनिक होने से भाजपा डर रही है ।लेकिन बिहार सहित देश की जनता ने भाजपा के चालबाजियों को भांप लिया है और आगामी 2024 के चुनाव में भाजपा की इन सारी कुत्सित कारगुजारियों का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए जनता कमर कसकर तैयार है।

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