- कावड यात्रा हुई कुंभ में तब्दील सीवन नदी तट से कुबेरेश्वरधाम पर रात्रि बारह बजे से दूसरे दिन तक लगा रहा सडक़ पर भक्तों का सैलाब
- हेलीकाप्टर से हुई फूलों की वर्षा, हर तरफ हर-हर महादेव, बम-बम भोले की गूंज
- रास्तेभर होती रही कावडिय़ा पर पुष्प वर्षा, 11 किमी तक 300 से अधिक स्थानों पर दिल खोकर क्षेत्रवासियों ने किया स्वागत
11 किलोमीटर डीजे, ढोल के साथ निकली यात्रा
कावड़ यात्रा 11 किलोमीटर तक निकाली गई। इस दौरान 300 से अधिक स्थानों पर कावड़ यात्रा की भव्य अगवानी की गई। कावड़ यात्रा को लेकर भव्य तैयारियां भी की गई थीं। यात्रा में शामिल होने के लिए दो-तीन दिन पहले से ही कुबेरेश्वर धाम पर कावडिय़ों का जमावड़ा भी लगने लगा था। दूर-दूर से कावड़ लेकर यात्री यहां पहुंचे। इसके बाद सभी कावड़ यात्रा में शामिल हुए। कावड़ यात्रा में डीजे, ढोल, बग्गी, घोड़े भी शामिल रहे। इस दौरान कावड़ यात्रियों पर हेलीकाप्टर से फूलों की वर्षा की गई। इस दौरान नजारा देखने ही लायक था। हर कोई इस नजारों को अपने मोबाइल के कैमरों में कैद करने में जुट गया तो वहीं हर-हर महादेव के जयकारों के साथ पूरा वातावरण शिवमय हो गया।
जीवनदायिनी मां सीवन नदी का उत्थान
कावड़ यात्रा के अवसर पर पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि कावड़ यात्रा का उद्देश्य जहां सीहोर नगर की जीवनदायिनी मां सीवन नदी का उत्थान है तो वहीं पवित्र मास सावन में अमावस्या पर कावड़ से भगवान शिव पर जल चढ़ाने का महत्व भी है। पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि 16 अगस्त को अद्भुत संयोग पर निकली कावड़ यात्रा भक्ति का सैलाब है। अधिक मास की अमावस्या और सावन का जो मिलन हुआ है। यह काफी दिव्य योग है। उन्होंने कहा कि सभी भक्त कम से कम एक लौटा जल अपने- अपने गांव, अपने-अपने शहर, अपने-अपने घरों में स्थित शिवलिंग पर जरूर चढ़ाए। उन्होंने कहा कि जो भी भक्त श्रद्धाभाव से भगवान भोलेनाथ शिव बाबा की पूजा-अर्चना करते हैं, जल चढ़ाते हैं उन पर बाबा अवश्य कृपा करते हैं। इस संबंध में जानकारी देते हुए समिति के मीडिया प्रभारी प्रियांशु दीक्षित ने बताया कि यात्रा को लेकर पंडित प्रदीप मिश्रा के निर्देशानुसार क्षेत्रवासी और सभी समाजजन अपने-अपने स्तर से लगे रहे। कावड़ यात्रा में अनेक साधु-संत, जनप्रतिनिधि सहित हजारों की संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। यात्रा के आयोजन को कर पंडित विनय मिश्रा, समीर शुक्ला सहित समिति के लोग कावड़ यात्रा को सकुशल संपन्न कराने के लिए जोर-शोर से तैयारियों में लगे रहे। सभी के सहयोग से भव्य कावड़ यात्रा ने इतिहास बनाया।
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