- पीएम विश्वकर्मा योजना प्रधानमंत्री की दूरदर्शी सोच का परिणाम, समाज के अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति को आत्मनिर्भर बनाने का होगा साधन उपलब्ध : केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह योजना पूरे भारत में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के कारीगरों और शिल्पकारों को सहायता प्रदान करेगी।पीएम विश्वकर्मा के अंतर्गत अठारह पारंपरिक शिल्पों को शामिल किया गया है। इनमें, बढ़ई, नौका निर्माता,शस्त्रसाज,लोहार, हथौड़ा और टूल किट निर्माता,ताला बनाने वाला, सुनार, कुम्हार, मूर्तिकार, पत्थर तोड़ने वाला, मोची (जूता/जूता कारीगर), राजमिस्त्री, टोकरी/चटाई/झाड़ू निर्माता/कॉयर बुनकर, गुड़िया और खिलौना निर्माता (पारंपरिक), नाई, माला बनाने वाला, धोबी, दर्जी और मछली पकड़ने का जाल बनाने वाले शामिल हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी का पारंपरिक शिल्प में लगे लोगों को सहायता प्रदान करने पर निरंतर ध्यान केन्द्रित रहा है।यह योजना केवल कारीगरों और शिल्पकारों को आर्थिक रूप से सहायता प्रदान करने ही नहीं बल्कि स्थानीय उत्पादों, कला और शिल्प के माध्यम से सदियों पुरानी परंपरा, संस्कृति और विविध विरासत को जीवित और समृद्ध बनाए रखने में अहम भूमिका निभाएगी। मौक़े पर पूर्व केंद्रीय मंत्री रामकृपाल यादव, विधायक सर्वश्री सम्राट चौधरी, नितिन नवीन, संजीव चौरसिया ने अपने संबोधन में पीएम विश्वकर्मा योजना को सामाजिक और आर्थिक विकास के लिये महत्वूर्ण कदम बताया। कार्यक्रम के स्वागत संबोधन में दानापुर रेलवे मंडल के डीआरएम जयंत चौधरी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी के इस ऐतिहासिक पहल से भारतीय रेल भी बहुत जुड़ाव महसूस कर रहा है। भारतीय रेल एवं शिल्पकारों व कारीगरों का गहरा नाता है। रेलवे में रख रखाव की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी शिल्पकारों व कारीगरों जैसे – लोहार, हैमरमैन, राजमिस्त्री, बेल्डर, बढ़ई जैसे पदों पर कार्यरत कर्मचारियों की होती है और पीएम विश्वकर्मा योजना से जब समाज में शिल्पकारों व कारीगरों का कला निखरेगा एवं जब कुशल शिल्पकारों व कारीगरों की संख्या में बढ़ोतरी होगी तो इसका फायदा प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से भारतीय रेल को भी मिलेगा। कार्यक्रम के दौरान एमएसएमई से जुड़े शिल्पकार और कारीगर बड़ी संख्या में मौजूद रहे।
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