- अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन (ऐपवा) के द्वारा विरोध

पटना. आज सुबह-सुबह लगभग 6 बजे वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह, वकील और मानव अधिकार कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़, लेखिका गीता हरिहरन, उर्मिलेश , अभिसार शर्मा समेत कई जन पक्षधर पत्रकारों और विभिन्न माध्यमों से जनता के पक्ष से सरकार से सवाल पूछने की हिम्मत करने वालों के घरों पर यूएपीए और कई अन्य धाराओं के तहत पुलिस ने छापामारी की, उनके तमाम इलेक्ट्रोनिक उपकरण जब्त कर उन्हें थाने ले गई . तमाम मुद्दों पर खुलकर खबरें और राय व्यक्त करने वाली वेबसाइट 'न्यूज़क्लिक' के लगभग सभी स्तर के कर्मचारियों के फोन, लैपटॉप आदि जब्त कर लिए गए.इनमें से कई लोगों को थाने पर पूछताछ के लिए ले जाया गया. गौरतलब है कि यूएपीए जैसे क्रूर क़ानूनों के जरिये लोकतान्त्रिक आवाजों को बंद करने की इस तरह की कोशिशें इस सरकार में नई नहीं हैं. ऐपवा को आशंका है कि पुलिस द्वारा इन पत्रकारों के फोन और लैपटॉप में छेड़छाड़ किया जा सकता है और इन पत्रकारों के खिलाफ कोई गहरी साजिश रची जा सकती है. विश्वास से परे है कि अपराधियों और बलात्कारियों का यह सरकार सारे क़ानूनों को धता बताते हुए सारे सुबूतों के बावजूद खुलेआम बचाव करती दिखती है और दूसरी ओर संवैधानिक मूल्यों के प्रतिबद्ध, गंभीरता से अपना काम करने वाले लेखकों, पत्रकारों पर आरोप मढ़ने, उन्हें किसी भी तरह देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त दिखाने की कोशिशों में जी-जान से जुटी दिखती है. अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन (ऐपवा) राष्ट्रीय महासचिव मीना तिवारी द्वारा कहा गया कि अभी दो दिन पहले 30 सितंबर को भाषा सिंह ने ऐपवा के राष्ट्रीय सम्मेलन को सम्बोधित किया था और सरकार की महिला विरोधी नीतियों का विरोध किया था. ऐपवा भाषा सिंह समेत सभी पत्रकारों के प्रति एकजुटता व्यक्त करता है. ऐपवा पुलिस छापेमारी की कड़े शब्दों में निंदा करता है और सरकार से मांग करता है कि जांच के नाम पर ऐसी पक्षपातपूर्ण और दुर्भावना प्रेरित कार्रवाइयों के द्वारा लोकतान्त्रिक आवाजों को बदनाम करने की साजिशें बंद करे.
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