आलेख : 2024 : श्रीराम व गारंटी के जवाब में कांग्रेस का हिजाब? - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 24 दिसंबर 2023

आलेख : 2024 : श्रीराम व गारंटी के जवाब में कांग्रेस का हिजाब?

2024 की जंग जीतने के लिए ’मोदी की गारंटी’ व राष्ट्रवाद की आड़ में भाजपा हिन्दुत्व कार्ड खेलने की तैयारी में है? इसके जवाब में हवा-हवाई हो चुके जातीय जनगणना की तिलांजलि देते हुए तेलांगना व हिमांचल की जीत से इतराई कांग्रेस एकबार फिर तुष्टीकरण को ही अपनी जीत का हथियार बनाया है? ’कांग्रेस ने शरिया कानून के तहत तेलांगना में शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने पर जारी प्रतिबंध को खत्म कर दिया है. इसी के साथ हिजाब पर प्रतिबंध हटने से सियासत तेज हो गई है. बीजेपी इसे कांग्रेस का एजेंडा करार देने में जुट गयी है। जवाब में सिद्धरमैया ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा ‘वे कहते हैं ‘सबका साथ, सबका विकास’ लेकिन टोपी, बुर्का पहनने वालों और दाढ़ी रखने वालों को दरकिनार कर देते हैं. क्या उनका यही मतलब है? दोनों के बयान का मकसद जो भी हो, लेकिन सच तो यही है कांग्रेस ने 2024 के लिए भाजपा को बैठे-बिठाएं बड़ा मुद्दा दे दिया है। लेकिन बड़ा सवाल तो यही है क्या ‘हिजाब’ के सहारे कांग्रेस का मिशन आगे बढ़ेगा? क्या कांग्रेसी तुष्टिकरण का खेल अयोध्या में डिरेल होगा?

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फिरहाल, 22 जनवरी को रामलला निर्माणाधीन भव्य मंदिर के गर्भगृह में विराजमान होगे, इसे भुनाने के लिए भाजपा ने पूरी ताकत झोंक रखी है। समारोह के दौरान पीएम मोदी मौजूद रहेंगे. 16 जनवरी से कार्यक्रम शुरू होंगे और 21 जनवरी तक चलेंगे. राम भक्तों में मंदिर को लेकर काफी उत्साह देखने को मिल रहा है. उसके इस उत्साह में कर्नाटक के कांग्रेसी मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने स्कूल-कॉलेज में हिजाब पहनने पर लगा प्रतिबंध हटाकर छौंका लगाने का काम किया है। मतलब साफ है भाजपा के हिन्दुत्व कार्ड के जवाब में कांग्रेस ने तुष्टीकरण की चाल चलकर उसके एजेंडे को ही आगे बढ़ाया है। सीएम सिद्धारमैया के इस फैसले के खिलाफ भाजपा ने बड़ा मुद्दा बना दिया है।


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माना जा रहा है भाजपा के हिन्दुत्व कार्ड व मोदी की गारंटी में कांग्रेस का हिजाब वाला मुद्दा तड़का का काम करेगा। इस मुद्दे को लेकर पक्ष और विपक्ष आमने सामने आ गए हैं. सीएम सिद्धारमैया ने बीजेपी पर हमला करते हुए कहा-पीएम मोदी का सब का साथ, सबका विकास फर्जी है। बीजेपी लोगों और समाज को कपड़े, पहनावे और जाति के आधार पर बांट रही है। जबकि हर किसी को अपनी पसंद के मुताबिक कपड़े पहनने का अधिकार है. कांग्रेस के इस फैसले को लोकसभा चुनाव 2024 से जोड़कर से जोड़कर देखा जा रहा है. बता दें, अभी तो 22 जनवरी आने वाली है. असली माहौल तो 22 जनवरी के बाद बनना शुरू होगा। आरएसएस और विश्व हिंदू परिषद ने 22 जनवरी के बाद का भी प्रोग्राम बना लिया है। एक एक कर हर राज्य के हिंदुओं को अयोध्या लाया जाएगा। बता दें, अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले सभी पार्टियां तैयारियों में जुट गई हैं. एक तरफ बीजेपी 2024 का आम चुनाव 400 सीटें जीतने के लक्ष्य के साथ केंद्र में तीसरी बार पूर्ण बहुमत की सरकार बनाना चाहती है तो वहीं विपक्षी दल हर हाल में बीजेपी को सत्ता से बाहर करने की कोशिश में लगे हैं. इसके लिए एक ओर कांग्रेस बेरोजगारी और जातीय गणना जैसे मुद्दे उठा रही है. वहीं, दूसरी ओर बीजेपी राम मंदिर और हिंदुत्व के साथ ही मांदी की गारंटी जैसे मुद्दे पर चुनाव लड़ेगी। तीन राज्यों की जीत में पार्टी ने बड़े फैसलों को सफलतापूर्वक टेस्ट कर लिया है। केंद्र में तीसरी बार सरकार के लिए बीजेपी 22 जनवरी के बाद एक के बाद एक फैसले लेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की अगुवाई में इन फैसलों के लेने का टाइम भी सेट कर दिया गया है। 2024 के आगाज के साथ बीजेपी पूरी तरह से चुनावी मोड में आ जाएगी। जबकि इंडिया अलांयस के दल सीट शेयरिंग और बीजेपी के रोकने की मंथन के साथ ही बेरोजगारी, जातीय गणना, काला धन के साथ ही हिजाब को मुद्दा बनायेंगी।


कटेंगे भाजपा सांसदों के टिकट

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सूत्रों की मानें तो लोकसभा चुनावों में पार्टी जो बड़े प्रयोग करना चाहती है। उनको छोटे स्तर पर पार्टी ने पांच राज्यों के चुनावों में आजमा चुकी है। पार्टी ने पिछले चुनावों में 303 सीटें हासिल की थीं। पार्टी इस बार 400 पार का संकल्प लेकर आगे बढ़ रही है। ऐसे में पार्टी किसी भी स्तर पर कोई कोताही नहीं बरतने के मूड में है। इसके लिए पार्टी ने बड़े फैसलों के साथ जनता के बीच जाने का प्लान तैयार किया है। पार्टी जो बड़े फैसले ले सकती है। उनमें बड़े पैमाने पर मौजूदा सांसदों के टिकट कट सकते हैं। इसके लिए पार्टी का जन मन सर्वे जारी है। सूत्रों की मानें तो 50 फीसदी तक टिकट कट सकते हैं और माननीयों को घर पर बैठना पड़ सकता है। पार्टी 2024 के चुनावों युवाओं और नए चेहरों के साथ उतरने की तैयारी कर रही है। इस सब के बीच दूसरी बड़ी तैयारी यह है कि पार्टी करीब दो दर्जन यानी कि 24 राज्य सभा सांसदों को भी चुनावी रण में उतार सकती है। पार्टी के ऐसे नेता जो दो-दो और इससे भी अधिक टर्म से उच्च सदन में है। उन्हें 2024 के दंगल में उतारा जा सकता है। पार्टी ने इसके लिए जरूरी होम वर्क और फैसले के रोडमैप को तैयार कर लिया है, लेकिन के तमाम फैसलों का ऐलान और पार्टी की सक्रियता 22 जनवरी को अयोध्या राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के बाद बढ़ेगी।


श्रीराम जन्म भूमि

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अवध नगरी अयोध्या मूलरूप से मंदिरों का शहर रहा है. इसे भगवान श्रीराम के पूर्वज विवस्वान (सूर्य) पुत्र वैवस्वत मनु द्वारा बसाया गया था. इसलिए अयोध्या नगरी में सूर्यवंशी राजाओं का राज महाभारत काल तक रहा. अयोध्या नगरी के दशरथ महल में ही प्रभु श्रीराम का जन्म हुआ. धन्य-धान्य और रत्न-आभूषणों से भरी इस नगरी की अतुलनीय छटा और खूबसूरत इमारतों का वर्णन वाल्मीकि रामायण में भी मिलता है. इसलिए तो महर्षि वाल्मीकि ने रामायण में अयोध्या नगरी की शोभा की तुलना करते हुए इसे दूसरा इंद्रलोक कहा. लेकिन भगवान श्रीराम के जल समाधि लेने के बाद अयोध्या कुछ समय के लिए उजाड़ हो गई थी. कहा जाता है कि, रामजी के पुत्र कुश ने फिर से अयोध्या का पुनर्निर्माण कराया और इसके बाद सूर्यवंश की अगली 44 पीढ़ियों तक इसका अस्तित्व चरम पर रहा. इसके बाद महाभारत काल में हुए युद्ध के बाद भी अयोध्या फिर से उजाड़ हो गई. पौराणिक कथा-कहानियों के अनुसार प्राचीन काल में भगवान श्री राम के जल समाधि लेने के बाद और महाभारत युद्ध के बाद अयोध्या के उजाड़ होने और फिर से बसने का वर्णन मिलता है. लेकिन श्रीराम जन्म भूमि अयोध्या और यहां बने श्रीराम मंदिर को एक नहीं बल्कि कई बार आक्रमणों का सामना करना पड़ा. अयोध्या को नष्ट करने के लिए मुगलों द्वारा कई अभियान भी चलाए गए, मंदिर में बाबरी ढांचा खड़ा किया, भव्य मंदिर तोड़ मस्जिद बनवाए गए. लेकिन प्रभु श्रीराम की जन्मभूमि कभी नष्ट न हो सकी. वैसे तो अयोध्या नगरी का इतिहास त्रेतायुग से भी पुराना है.


अयोध्या का इतिहास

अयोध्या राम जन्म भूमि देश के सबसे लंबे चलने वाले केस में एक है. राम जन्मभूमि का इतिहास बहुत पुराना है. 1528 से लेकर 2023 तक श्रीराम जन्म भूमि के पूरे 495 वर्षों के इतिहास में कई मोड़ आए. इसमें 9 नवंबर 2019 का दिन बेहद खास रहा, जब 5 जजों की संवैधानिक बेंच ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया.

1528 : मुगल बादशाह बाबर के सिपहसालार मीर बाकी ने विवादित जगह पर मस्जिद का निर्माण कराया. इस स्थान को लेकर हिंदू समुदाय के लोगों द्वारा यह दावा किया कि, यहां भगवान राम की जन्मभूमि है और इस स्थान पर एक प्राचीन मंदिर भी था. हिंदू पक्ष के लोगों ने, मस्जिद में बने तीन गुंबदों में एक गुंबद के नीचे भगवान राम का जन्मस्थान बताया.

1853-1949 : श्रीराम जन्म भूमि पर जहां मस्जिद का निर्माण किया गया, वहां के आसपास के कई स्थानों पर पहली बार 1853 में दंगे हुए. इसके बाद 1859 में अंग्रेजी प्रशासन ने विवादित स्थान के पास बाड़ लगा दी और मुसलमानों को ढांचे के अंदर वहीं हिंदुओं को बाहर चबूतरे के पास पूजा करने की इजाजत दे दी.

1949 : अयोध्या श्रीराम जन्म भूमि का असली विवाद 23 सितंबर 1949 को तब हुआ, जब मस्जिद में भगवान राम की मूर्तियां मिलीं. इसे लेकर हिन्दू समुदाय के लोग कहने लगे कि, यहां साक्षात भगवान राम प्रकट हुए हैं. वहीं मुस्लिम समुदाय के लोगों ने आरोप लगाया कि, किसी ने चुपके से यहां मूर्तियां रखीं. ऐसे में यूपी सरकार ने तुरंत मूर्तियों को वहां से हटाने के आदेश दिए. लेकिन जिला मैजिस्ट्रेट (डीएम) केके नायर ने धार्मिक भावना को ठेस पहुंचने और दंगों भड़कने के डर से इस आदेश में असमर्थता जताई. इस तरह से सरकार द्वारा इसे विवादित ढांचा मानकर ताला लगा दिया गया.

1950 : फैजाबाद के सिविल कोर्ट में दो अर्जी दाखिल हुई. इसमें एक तो विवादित भूमि पर रामलला की पूजा की इजाजत और दूसरी मूर्ति रखे जाने की इजाजत पर थी.

1961 : यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड ने एक अर्जी दाखिल की और विवादित भूमि पर पजेशन और मूर्तियों को हटाने की मांग की.

1984 : 1 फरवरी 1986 में यूसी पांडे की याचिका पर फैजाबाद के जिला जज केएम पांडे ने हिंदुओं को पूजा करने की इजाजत दे दी और ढांचे पर लगे ताले को हटाने का आदेश दिया.

1992 : का आंदोलन एतिहासिक रहा. 6 दिसंबर 1992 को वीएचपी और शिवसेना समेत कई हिंदू संगठन के लाखों कार्यकर्ताओं ने विवादित ढांचे को गिरा दिया. इससे देशभर में सांप्रदायिक दंगे हुए और हजारों की तादाद में लोग मारे गए.

2002 गोधरा ट्रेन जोकि हिंदू कार्यकर्ताओं को लेकर जा रही थी, उसमें आग लगा दी गई और करीब 58 लोग मारे गए. इसे लेकर गुजरात में भी दंगे की आग भड़क गई और दो हजार से अधिक लोग इस दंगे में मारे गए.

2010 : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसले पर विवादित भूमि को सुन्नी वक्फ बोर्ड, रामलला विराजमान और निर्मोही अखाड़ा के बीच तीन बराबर हिस्सों में बांटने का आदेश दिया.

2011 : अयोध्या विवाद पर इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी.

2017 : सुप्रीम कोर्ट ने आउट ऑफ कोर्ट सेटलमेंट का आह्वान किया और भाजपा के कई नेताओं पर आपराधिक साजिश आरोप बहाल किए गए.

2019 : 8 मार्च 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने मामले को मध्यस्थता के लिए भेजा और 8 सप्ताह के भीतर कार्यवाही को खत्म करने के आदेश दिए. इसके बाद 1 अगस्त को मध्यस्थता पैनल ने रिपोर्ट पेश की और 2 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट मध्यस्थता पैनल मामले में समाधान निकालने कामयाब नहीं रहें. इस बीच सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले को लेकर प्रतिदिन सुनाई होने लगी और 16 अगस्त 2019 को सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रखा गया.

2019, 09 नवंबरः सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की बेंच ने श्रीराम जन्म भूमि के पक्ष में फैसला सुनाया. वहीं 2.77 एकड़ विवादित भूमि हिंदू पक्ष को मिली और मस्जिद के लिए अलग से 5 एकड़ जमीन मुस्लिम पक्ष को मुहैया कराने का आदेश दिया गया.

2020 : 25 मार्च 2020 को पूरे 28 साल बाद रामलला टेंट से निकलकर फाइबर मंदिर में शिफ्ट हुए और इसके बाद 5 अगस्त को भूमि पूजन किया गया.

2023 : अब एक बार फिर से श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या में रामलला का भव्य मंदिर बनकर तैयार हो चुका है. 22 जनवरी 2024 को रामलला के भव्य मंदिर का अभिषेक होगा. इस तरह से सालों साल चले इस विवाद का अंत होगा और रामलला की पूजा-अराधना की जाएगी.


22 जनवरी को भव्य राम मंदिर का अभिषेक

करीब 500 साल के लंबे इंतजार और कड़ी लड़ाई के बाद आखिरकार 22 जनवरी 2024 को श्रीराम जन्म भूमि अयोध्या में भव्य राम मंदिर का अभिषेक समारोह आयोजित किया जाएगा. यह सनातन प्रेमियों के लिए भक्ति, खुशी और उत्साह का पल होगा. यह अवसर एक त्योहार के समान होगा. 22 जनवरी को राम मंदिर के अभिषेक व प्राण प्रतिष्ठा के बाद 24 जनवरी 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मंदिर का उद्घाटन किया जाएगा. फिर सभी भक्तगण मंदिर में रामलला के दर्शन कर पाएंगे.सनातन परिवार या जरूरी अधिकार


पूरी हो रही मोदी की तपस्या

रामलला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को भव्य बनाने के लिए तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. बता दें कि अयोध्या में 2.7 एकड़ में राम मंदिर बन रहा है. इसकी ऊंचाई लगभग 162 फीट की होगी. इस पूरे मंदिर परिसर में भगवान राम के मंदिर के साथ ही और भी 6 मंदिर बनाए जा रहे हैं. मंदिर के मुख्य द्वार को सिंह द्वार के नाम से जाना जाएगा. प्रप्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के बाद जब आम जनता के लिए मंदिर को खोला जाएगा तो हर दिन डेढ़ लाख श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद की जा रही हैं. साथ ही अयोध्या को भी रामायण के प्रतीक के रूप में सजाया जा रहा है. ऐसे में रामायण काल की सबसे बड़ी साक्षी राम की पैड़ी को सुंदर तरीके सजाया जा रहा है ताकि भक्त इस जगह के बारे में ऐतिहासिक दृष्टिकोण से जान सकें.


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सुरेश गांधी

वरिष्ठ पत्रकार

वाराणसी

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