पटना : अब तक 5 बार आ चुकी है स्‍पीकर के खिलाफ अविश्‍वास की नोटिस - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 12 फ़रवरी 2024

पटना : अब तक 5 बार आ चुकी है स्‍पीकर के खिलाफ अविश्‍वास की नोटिस

  • शिवचंद्र और विजय ने नोटिस पर चर्चा से पहले ही दे दिया था इस्‍तीफा

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पटना, आज यानी 12 फरवरी को विधान सभा में अध्‍यक्ष अवध विहारी चौधरी के राजनीतिक भविष्‍य का फैसला होना है। विधान सभा में सरकार के विश्‍वास मत से पहले अध्‍यक्ष के खिलाफ दी गयी अविश्‍वास की नोटिस पर चर्चा होने की संभावना है। इस संदर्भ में अध्‍यक्ष की भूमिका महत्‍वपूर्ण हो जाएगी। अध्‍यक्ष के पास दो विकल्‍प है। पहला नोटिस हाउस में रखे जाने के पहले ही इस्‍तीफा देने की घोषणा कर सकते हैं। दूसरा विकल्‍प है कि नोटिस को चर्चा के लिए हाउस में रखें और उसे स्‍वीकार होने के बाद अविश्‍वास प्रस्‍ताव का सामना करते हुए वोटिंग की प्रक्रिया से गुजरें। वोटिंग में यदि अविश्‍वास प्रस्‍ताव पास हो गया तो उनकी कुर्सी स्‍वत: चली जाएगी। यदि अविश्‍वास प्रस्‍ताव गिर जाता है तो उनकी कुर्सी बरकरार रहेगी। यह भी संयोग है कि आज स्‍पीकर की कुर्सी और मुख्‍यमंत्री की कुर्सी का अंतर्संबंध हो गया है। स्‍पीकर की कुर्सी बच गयी तो मुख्‍यमंत्री को कुर्सी गंवानी होगी और स्‍पीकर की कुर्सी गयी तो मुख्‍यमंत्री की कुर्सी बची रहेगी।


विधान सभा में अब तक पांच स्‍पीकरों को अविश्‍वास की नोटिस का सामना करना पड़ा है। इसमें से दो स्‍पीकर ने नोटिस पर हाउस में चर्चा के पूर्व ही अपने पद से इस्‍तीफा दे दिया। एक मामले में हाउस में नोटिस पर चर्चा के दिन ही नोटिस देने वाले विधायक ने नोटिस वापस लेने की घोषणा की। एक स्‍पीकर पर नोटिस के आलोक में अविश्‍वास प्रस्‍ताव पर चर्चा भी हुई और मतदान में अविश्‍वास प्रस्‍ताव खारिज हो गया। पांचवीं नोटिस पर आज फैसला होना है। लगभग डेढ़ साल पहले 24 अगस्‍त, 2022 को स्‍पीकर विजय कुमार सिन्‍हा ने अविश्‍वास प्रस्‍ताव की नोटिस पर चर्चा से पहले ही अपने पद से इस्‍तीफे की घोषणा कर दी थी। सरकार बदलने के बाद सत्‍ता पक्ष ने ही 10 अगस्‍त, 2022 को स्‍पीकर के खिलाफ अविश्‍वास की नोटिस थमाया था। इससे पहले 1989 में स्‍पीकर शिवचंद्र झा के खिलाफ भी अविश्‍वास की नोटिस आयी थी। 11 जनवरी, 1989 को विपक्ष की ओर से अविश्‍वास की नोटिस दी गयी थी। उस समय भी सत्‍ता पक्ष कांग्रेस इनकी कार्यशैली नाराज थी, लेकिन नोटिस विपक्ष की ओर से दिलवायी गयी थी। नोटिस पर चर्चा 25 जनवरी को होनी थी, लेकिन इससे पहले ही 23 जनवरी,1989 को उन्‍होंने स्‍पीकर पद से इस्‍तीफा दे दिया था। 8 जून, 1970 स्‍पीकर राम नारायण मंडल के खिलाफ भी अविश्‍वास की नोटिस पर चर्चा होनी थी, लेकिन चर्चा होने से पहले ही नोटिस देने वाले सीतामढ़ी से संसोपा विधायक श्‍याम सुंदर दास ने अपनी नोटिस वापस लेने की घोषणा कर दी। 26 मई, 1970 को उन्‍होंने अविश्‍वास प्रस्‍ताव की नोटिस दी थी। 


बिहार के संसदीय इतिहास में पहली और अंतिम बार स्‍पीकर के खिलाफ अविश्‍वास प्रस्‍ताव पर सदन में चर्चा 7 अप्रैल,1960 को हुई थी। यह अविश्‍वास प्रस्‍ताव चर्चा के बाद हुई वोटिंग में गिर गया था। 7 अप्रैल,1960 को स्‍पीकर विंध्‍येश्‍वरी प्रसाद वर्मा के खिलाफ अविश्‍वास प्रस्‍ताव पर चर्चा हुई थी। चर्चा के दौरान स्‍पीकर आसन छोड़ कर नीचे बैठ गये थे और उपाध्‍यक्ष प्रभुनाथ सिंह सदन का संचालन कर रहे थे। अविश्‍वास प्रस्‍ताव पर हुई चर्चा में श्रीकृष्‍ण सिंह, नवल किशोर प्रसाद सिंह, रमाकांत झा, कपिल देव सिंह, रामजनम ओझा, विनोदानंद झा, रामानंद तिवारी, भूपेंद्र नारायण मंडल, कृष्‍णकांत सिंह आदि सदस्‍यों ने हिस्‍सा लिया था। चर्चा के बाद अवश्विास प्रस्‍ताव अस्‍वीकार हो गया था। पांचवीं बार से पहले स्‍पीकर के खिलाफ दी गयी चार अविश्‍वास की नोटिस में से सिर्फ एक पर हाउस में चर्चा हुई। एक मात्र नोटिस को 1960 में सदन में चर्चा के लिए स्‍वीकार किया गया और वह भी खारिज हो गयी। आज एक बार फिर अविश्‍वास प्रस्‍ताव के संदर्भ में इतिहास में एक नयी कड़ी ज़ुड़ जाएगी।





--- वीरेंद्र यादव, वरिष्‍ठ पत्रकार, पटना ---

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