- आज किया जाएगा कन्याओं को हलवे की प्रसादी का वितरण
जिला संस्कार मंच के मनोज दीक्षित मामा ने बताया कि मानव की सुख-समृद्धि के लिए नौ दिन नवरात्रि, वरदान स्वरूप हैं, इन नौ दिनों में शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चन्द्रघण्टा, कूष्माण्डा, स्कन्दमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री, भगवती के नौ रूपों की पूजा का विधान है जिसके द्वारा भक्त अपने तन, मन और धन को देवी शक्ति को समर्पित कर चाहेंगे, नवरात्रि का त्योहार नौ दिन तक चलता है, इन नौ दिनों में नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। मंगलवार की सुबह देवी माता का आह्वान के साथ ही नवग्रह, कलश स्थापना के अलावा साढ़े सात बजे हवन पूजन का आरंभ किया गया। इसके पश्चात साढ़े आठ बजे आरती की गई और नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा अर्चना की। देवी शैलपुत्री स्वरूप की उपासना की जाती है। पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण इन्हें शैलपुत्री कहा जाता है, पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, पूर्वजन्म में शैलपुत्री का नाम सती था और ये भगवान शिव की पत्नी थीं, सती के पिता दक्ष प्रजापति ने भगवान शिव का अपमान कर दिया था और तब सती ने अपने आपको यज्ञ अग्नि में भस्म कर लिया था। अगले जन्म में यही सती शैलपुत्री स्वरूप में प्रकट हुईं और भगवान शिव से फिर विवाह किया। बुधवार को दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना की जाएगी और उसके पश्चात यहां पर कन्याओं के लिए हलवे की प्रसादी का वितरण किया जाएगा।
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