सीहोर : मरीह माता मंदिर पर फहराई धर्म ध्वजा, श्रद्धालुओं ने किया हवन पूजन - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 9 अप्रैल 2024

सीहोर : मरीह माता मंदिर पर फहराई धर्म ध्वजा, श्रद्धालुओं ने किया हवन पूजन

  • आज किया जाएगा कन्याओं को हलवे की प्रसादी का वितरण

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सीहोर। हर साल की तरह इस साल भी शहर के विश्रामघाट मां चौसट योगिनी मरीह माता मंदिर में आस्था के साथ चैत्र नवरात्रि का पर्व मनाया जा रहा है। इस मौके पर देवी के साधकों के द्वारा पूर्ण विधि-विधान से हर दिन मां की पूजा अर्चना की जा रही है। सुबह मंदिर में हवन और शाम को प्रसादी का वितरण किया जा रहा है। नवरात्रि के प्रथम दिन मंदिर परिसर में धर्म ध्वजा फहराई के अलावा अखंड ज्योत प्रज्जवलित की गई। इस मौके पर  मंदिर के प्रबंधक गोविन्द मेवाड़ा, रोहित मेवाड़ा, राहुल सिंह जितेन्द्र तिवारी, मनोज दीक्षित मामा, पंडित उमेश दुबे, पंडित गणेश शर्मा, सुनिल चौकसे, सुभाष कुशवाहा, सुमित भानू उपाध्याय, रामू सोनी सहित अन्य के द्वारा किया जाएगा। यहां पर सुबह हवन-पूजन के अलावा नौ दिन मां का अलग-अलग स्वरूपों में सुंदर श्रृंगार किया जाएगा। इसके अलावा परम्परा अनुसार इस वर्ष भी महाष्टमी की रात्रि बारह बजे निशा आरती और उसके पश्चात भव्य भंडारे का आयोजन किया जाएगा। मंगलवार से आरंभ होने वाली नवरात्रि के पर्व का समापन 17 अपै्रल को किया जाएगा। वहीं आगामी 16 अपै्रल को रात्रि बारह बजे महानिशा आरती का आयोजन किया जाएगा।


जिला संस्कार मंच के मनोज दीक्षित मामा ने बताया कि मानव की सुख-समृद्धि के लिए नौ दिन नवरात्रि, वरदान स्वरूप हैं, इन नौ दिनों में शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चन्द्रघण्टा, कूष्माण्डा, स्कन्दमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री, भगवती के नौ रूपों की पूजा का विधान है जिसके द्वारा भक्त अपने तन, मन और धन को देवी शक्ति को समर्पित कर चाहेंगे, नवरात्रि का त्योहार नौ दिन तक चलता है, इन नौ दिनों में नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। मंगलवार की सुबह देवी माता का आह्वान के साथ ही नवग्रह, कलश स्थापना के अलावा साढ़े सात बजे हवन पूजन का आरंभ किया गया। इसके पश्चात साढ़े आठ बजे आरती की गई और नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा अर्चना की। देवी शैलपुत्री स्वरूप की उपासना की जाती है। पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण इन्हें शैलपुत्री कहा जाता है, पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, पूर्वजन्म में शैलपुत्री का नाम सती था और ये भगवान शिव की पत्नी थीं, सती के पिता दक्ष प्रजापति ने भगवान शिव का अपमान कर दिया था और तब सती ने अपने आपको यज्ञ अग्नि में भस्म कर लिया था। अगले जन्म में यही सती शैलपुत्री स्वरूप में प्रकट हुईं और भगवान शिव से फिर विवाह किया। बुधवार को दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना की जाएगी और उसके पश्चात यहां पर कन्याओं के लिए हलवे की प्रसादी का वितरण किया जाएगा। 

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