सीहोर : मरीह माता मंदिर में नवरात्रि के अंतिम दिन भंडारे में उमड़ा आस्था का सैलाब - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 17 अप्रैल 2024

सीहोर : मरीह माता मंदिर में नवरात्रि के अंतिम दिन भंडारे में उमड़ा आस्था का सैलाब

  • महिलाओं को सुहाग की सामग्री का वितरण
  • लगातार आठ घंटे चले भव्य भंडारे में 10 क्विंटल आट की पूडी, दो क्विंटल खीर और एक क्विंटल नुक्ती का किया गया वितरण

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सीहोर। शहर के विश्रामघाट स्थित चौसट योगिनी मरीह माता मंदिर में चैत्र नवरात्रि के अंतिम दिन है और इस दिन मां भगवती की 9वीं शक्ति मां सिद्धिदात्री देवी की पूरे विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की ऐसा विश्वास है कि इनकी पूजा पूरे विधि विधान के साथ करने वाले उपासक की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। नवरात्रि का पर्व आस्था और उत्साह के साथ मनाया, इस मौके पर बुधवार की सुबह चार बजे से ही यहां पर भक्तों के आने का सिलसिला शुरू हो गया था, जो देर रात्रि तक जारी रहा। नवरात्रि के अंतिम दिन यहां पर मौजूद श्रद्धालुओं के द्वारा मां दुर्गा की नौवीं शक्ति मां सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना की गई और सुबह दस बजे यहां पर जारी यज्ञ में पूर्णाहुति दी गई। इसके बाद भंडारे का शुभारंभ किया। लगातार आठ घंटे तक चले इस भव्य भंडारे में शहर सहित आस-पास से आए करीब आठ हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने प्रसादी ग्रहण की। मंदिर के प्रबंधक गोविन्द मेवाड़ा, रोहित मेवाड़ा, जितेन्द्र तिवारी, मनोज दीक्षित मामा, पंडित उमेश दुबे, ज्योतिषाचार्य पंडित गणेश शर्मा आदि ने  कन्याओं को चुनरी भेंट की और महिलाओं को सुहाग आदि की सामग्री प्रदान की। भंडारे का आयोजन सभी के सहयोग से किया गया था, वहीं देर रात्रि को महा अष्टमी के पावन अवसर पर हर साल की तरह महानिशा आरती का आयोजन भी किया गया था। अब गुरुवार को देवी का विशेष श्रृंगार किया जाएगा। व्यवस्थापक रोहित मेवाड़ा ने बताया कि मरीह माता मंदिर वर्षों से श्रद्धालुओं की आस्था का केन्द्र है, मंदिर परिसर में हर नवरात्रि पर पूजा अर्चना की जाती है। उन्होंने बताया कि साल में चार नवरात्रि पर कन्याओं की पूजन की जाती है और भंडारे का आयोजन दो नवरात्रि चैत्र और शरदीय पर होता है। करीब 150 साल से यहां पर पूजा अर्चना का क्रम जारी है।


मां सिद्धिदात्री अष्ट सिद्धि से युक्त हैं

जिला संस्कार मंच के संयोजक मनोज दीक्षित मामा ने बताया कि राम नवमी के दिन मां दुर्गा की नौवीं शक्ति मां सिद्धिदात्री की पूजा होती है। चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी पर नवरात्रि का समापन होता है, साथ ही इस दिन राम नवमी का त्योहार भी मनाया जाता है। मां सिद्धिदात्री अष्ट सिद्धि से युक्त हैं, मान्यता है कि नवरात्रि के आखिरी दिन दुर्गा नवमी पर मां सिद्धिदात्री की पूजा करने वालों समस्त सिद्धियों का ज्ञान प्राप्त होता है, बुद्धि और विवेक में वृद्धि होती है। गंधर्व, किन्नर, नाग, यक्ष, देवी-देवता और मनुष्य सभी इनकी कृपा से सिद्धियों को प्राप्त करते हैं। इस दिन माता की पूजा के बाद हवन, कन्या पूजन किया जाता है और फिर नवरात्रि व्रत का पारण करते हैं। मां भक्तों को हर प्रकार की सिद्धि प्रदान करती हैं। उनको मां दुर्गा की 9 वीं शक्ति माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि जो भी पूरी विधि से उनकी साधना करता है उसे पूर्ण सृष्टि का ज्ञान प्राप्त होता है और उसमें ब्रह्मांड पर विजय प्राप्त करने की क्षमता आ जाती है। देवी सिद्धिदात्री का वाहन सिंह है। वह कमल पुष्प पर भी आसीन होती हैं। भगवान शिव ने भी सिद्धिदात्री देवी की कृपा से तमाम सिद्धियां प्राप्त की थीं। इनकी कृपा से ही शिवजी का आधा शरीर देवी का हुआ था। इसी कारण शिव अर्द्धनारीश्वर नाम से प्रसिद्ध हुए। मां सिद्धिदात्री को मां सरस्वती का भी स्वरुप माना जाता है।


आहुतियां के पश्चात भंडारे का आयोजन

मरीह मंदिर में लगातार नौ दिनों तक देवी की आराधना का क्रम जारी रहा। बुधवार की सुबह हवन में करीब 31 हजार से अधिक देवी के मंत्रों के साथ आहुतियां दी गई और उसके पश्चात भंडारे का क्रम शुरू किया। इस मौके पर मंदिर के प्रबंधक गोविन्द मेवाड़ा, रोहित मेवाड़ा, जितेन्द्र तिवारी, मनोज दीक्षित मामा, यश अग्रवाल, पंडित उमेश दुबे, पंडित गणेश शर्मा, अनिल राय, सुनिल चौकसे, सुभाष कुशवाहा, पंकज झंवर सुमित भानू उपाध्याय, रामू सोनी, चिन्दू, प्रवेश, राजेश कुशवाहा, राजकुमार कुशवाहा, संदीप कुशवाहा, प्रवीण और सुनील सहित अन्य शामिल थे।

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