नाम वापसी के बाद जिला निर्वाचन अधिकारी एस राजलिंगम ने फाइनल लिस्ट जारी की है। जिसमें नरेन्द्र मोदी भाजपा - कमल, अजय कांग्रेस - हाथ, अतहर जमाल लारी बसपा हाथी, गगन प्रकाश - लिफाफा, कोली शेट्टी - रोलर, संजय कुमार - बांसुरी तथा दिनेश कुमार को डंबल्स चुनाव चिन्ह मिला है। देखा जाएं वाराणसी सीट पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जीत की हैट्रिक लगाने के लिए तीसरी बार चुनाव मैदान में है। उनका मुकाबला अस्तित्व बचाने खातिर फिर से साथ आएं दो लड़कों की जोड़ी के महागठबंधन कांग्रेस व बसपा से है। या यूं कहे मोदी के खिलाफ कांग्रेस के अजय राय व बसपा के अतहर जमाल लारी मैदान में है। हालांकि अजय राय 2014 व 2019 में भी तीसरे नंबर पर थे। जबकि 2014 में आप के अरविन्द केजरीवाल व 2019 में सपा-बसपा की शालिनी यादव दुसरे नंबर पर थी, जो अब भाजपा के साथ मोदी की जीत का मार्जिन बढ़ाने के लिए काशी की गलियों में घूम रही है। यह अलग बात है कि इस बार एआइएमआइएम चीफ असुदुद्दीन ओवैसी का पीडीएम यानी पिछड़ा, दलित और मुस्लिम गठबंधन का भी प्रत्याशी गगन मैदान में है। मतलब साफ है वोटों के बिखराव के बीच विपक्षी लोकसभा में मोदी को टक्कर दे पायेंगी या नहीं ये तो 4 जून को पता चलेगा, लेकिन बाजी किसके हाथ लगेगी इसकी बहस तेज हो गयी है। सबसे दिलचस्प बात यह है कि चार-चार सत्ता संभाल चुकी सपा-बसपा का यहां खाता नहीं खुला है। सूबे के स्टांप शुल्क पंजीयन राज्य मंत्री रवीन्द्र जायसवाल कहते है बात जीत का नहीं, जीत के अंतर का है। यहां मुद्दा इस बार भाजपा का हैट्रिक लगेगा या विरोधियों के जमानत जब्त होगा, का हो गया है। बता दें, 2019 में वाराणसी सीट पर मोदी 6,74,664 वोट पाकर सपा को पौने पांच लाख से ज्यादा वोटों के अंतर से हराकर जीत का रिकार्ड बनाया था। जबकि 2014 में मोदी 5,81,022 वोट हासिल कर आप के अरविंद केजरीवाल को पौने चार लाख वोट से हराया। मतलब साफ है इस बार जीत की हैट्रिक लगाने के लिए मोदी को सात लाख से अधिक वोट पाने होंगे
बता दें, मोदी के सामने छह अन्य उम्मीदवार भी मैदान में हैं। इनमें अजय नेशनल इंडियन कांग्रेस, अतहर जमाल लारी बहुजन समाज पार्टी, गगन प्रकाश यादव-अपना दल (कमेरावादी), कोली शेट्टी शिवकुमार युग तुलसी पार्टी, संजय कुमार तिवारी-निर्दल तथा दिनेश कुमार यादव निर्दल है। इन सभी को चुनाव चिन्ह का आवंटन कर दिया गया। क्रमशः नरेन्द्र मोदी भारतीय जनता पार्टी कमल, अजय नेशनल इंडियन कांग्रेस हाथ, अतहर जमाल लारी बहुजन समाज पार्टी हाथी, गगन प्रकाश यादव अपना दल (कमेरावादी) लिफाफा, कोली शेट्टी शिवकुमार युग तुलसी पार्टी रोड रोलर, संजय कुमार तिवारी निर्दल बांसुरी तथा दिनेश कुमार यादव निर्दल डंबल्स चुनाव चिन्ह दिया गया है। दरअसल, वाराणसी की राजनीति से न सिर्फ उत्तर प्रदेश बल्कि पूरा देश प्रभावित होता है. दरअसल, कमलापति त्रिपाठी से लेकर राज नारायण और वर्तमान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत की सियासत के ऐसे दिग्गज हैं, जिन्होंने वाराणसी सीट पर चुनाव लड़ कर ही सफलता पाई और उनका राजनीतिक ग्राफ ऊपर गया. मतलब साफ है वाराणसी पहले से ही भारत की विरासत में एक विशेष स्थान के रूप में स्थापित होकर इतिहास रचने के लिए तैयार है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार ने इस प्राचीन केंद्र को दुनिया के सामने पृथ्वी पर सबसे स्वच्छ और संरक्षित स्थानों में से एक के रूप में प्रदर्शित करने के लिए विशेष प्रयास किए हैं। स्वच्छ भारत मिशन के तहत एक प्रमुख अभियान पहले से ही परिणाम दिखा रहा है। प्रमुख घाटों पर वाईफाई कनेक्टिविटी एक वास्तविकता है और जापानी शहर की क्योटो के साथ एक विशेष साझेदारी समझौते से वाराणसी को भारत जापान संबंधों और इसके मानवीय आयाम की विविधता और गहराई को प्रदर्शित करने में मदद मिलेगी। प्रधानमंत्री ने भारतीय रेलवे की मदद से कपड़ा और साड़ी उद्योग को पुनर्जीवित करके क्षेत्र में रोजगार सृजन पर भी बड़ा जोर दिया है। पीएम मोदी के नाम से ही यह सीट हाई प्रोफाइल और वीवीआईपी सीट बन गई है। ऐसे में बीजेपी को उम्मीद है कि इस लोकसभा चुनाव में भी पीएम मोदी भारी मतों से इस सीट पर जीत दर्ज करेंगे।
वैसे भी पूर्वांचल में वाराणसी लोकसभा सीट हमेशा से अहम मानी जाती रही है. इस सीट पर कई शानदार चुनावी मुकाबले हुए हैं. इस बार भी पीएम मोदी यहां से मैदान में है. देखा जाएं तो पिछले 10 साल में पीएम मोदी ने बतौर सांसद 43 बार अपने संसदीय क्षेत्र का दौरा किया है। इस बार भी भाजपा पूर्वांचल से बिहार और पूर्वी भारत तक की सियासत को पीएम मोदी के जरिये भाजपा वाराणसी से ही साधने का प्रयास करेगी। आजादी के बाद यह पीएम मोदी के सामने उस रिकॉर्ड की बराबरी का भी मौका होगा, जब काशी से लगातार तीन बार सांसद हो सकते हैं। इससे पहले कांग्रेस के रघुनाथ सिंह और भाजपा के शंकर प्रसाद जायसवाल के लगातार तीन बार वाराणसी सांसद का रिकॉर्ड है। वाराणसी सीट पर पीएम मोदी से पहले भाजपा के दिग्गज नेता मुरली मनोहर जोशी का कब्जा था। 2014 में भाजपा ने प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी नरेंद्र मोदी को वाराणसी सीट से उतारकर देश भर में हिन्दुत्व के मसले को साधा था। तब आप आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने वाराणसी सीट से चुनाव लड़ा था। मोदी ने 3 लाख से ज्यादा वोटों से जीत हासिल की थी। केजरीवाल 2 लाख वोटों के साथ दूसरे नंबर पर रहे थे। देश की हिन्दू आस्था के बड़े केंद्र काशी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर का निर्माण करवाकर दक्षिण से उत्तर और पूरब से पश्चिम तक के मतदाताओं में जगह बनाई। 2019 में दोबारा पीएम मोदी वाराणसी से चुनावी रण में उतरे तो नामांकन के बाद वे एक बार भी प्रचार करने नहीं आए। इसके बावजूद उन्होंने अपने ही रिकार्ड को तोड़कर बड़ी जीत हासिल की। उन्होंने सपा की शालिनी यादव को करीब पांच लाख मतों से पराजित किया था। कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व सांसद श्याम लाल यादव की बहू शालिनी यादव ने पिछले दिनों भाजपा में शामिल हो गई है। ऐसे में जीत की मार्जिन और बढ़ेगी से इनकार नहीं किया जा सकता।
कुल मतदाता
वाराणसी सीट पर पांच विधानसभा क्षेत्र रोहनिया, सेवापुरी, शहर दक्षिणी, शहर उत्तरी और कैंट हैं। इस बार चुनाव में कुल 19,62,948 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। इनमें 31,538 ऐसे युवा मतदाता हैं जो पहली बार लोकसभा के चुनाव में वोटर होंगे। इसके अलावा 25,984 ऐसे मतदाता हैं, जिनकी उम्र 80 साल या उससे अधिक है। इस सीट पर 10,65,485 पुरुष और 8,97,328 महिला मतदाता हैं। थर्ड जेंडर वोटर्स की संख्या 135 है। आंकड़ों की बात करें तो रोहनिया विधानसभा क्षेत्र में 4,12,612 मतदाता हैं। इनमें पुरुष मतदाता 2,26,220 और महिला मतदाता 1,86,365 हैं। थर्ड जेंडर वोटर 27 हैं। सेवापुरी विधानसभा क्षेत्र में 1,91,259 पुरुष और 1,63,034 महिला वोटर्स हैं। यहां थर्ड जेंडर वोटर्स की संख्या 20 है। इस प्रकार इस विधानसभा क्षेत्र में कुल मतदाताओं की संख्या 3,54,323 है। शहर दक्षिणी में कुल 3,11,213 मतदाता हैं। इनमें पुरुष 1,70,068, महिला 1,41,118 और थर्ड जेंडर 27 हैं। शहर उत्तरी विधानसभा में कुल 4,31,051 मतदाता हैं। इनमें पुरुषों की संख्या 2,34,182 और महिला वोटरों की संख्या 1,96,826 है। यहां सबसे अधिक 43 थर्ड जेंडर वोटर्स हैं। सर्वाधित मतदाता कैंट विधानसभा में हैं। इनकी कुल संख्या 4,53,749 है। यहां 2,43,746 पुरुष और 2,09,985 महिला मतदाता हैं। यहां सबसे कम केवल 18 थर्ड जेंडर वोटर हैं।
जातीय समीकरण
वाराणसी लोकसभा में शहर उत्तरी, दक्षिणी, कैंट, रोहनिया व सेवापरी विधानसभा शामिल हैं. इन विधानसभा क्षेत्रों में महिला मतदाताओं की भागीदारी बड़ी है. 2024 के लोकसभा चुनाव में यह युवा मतदाता विनिंग फैक्टर साबित हो सकते हैं. कहा जाता है कि यूथ का मूड जिस ओर होगा हवा की बयार भी उसी और वह चलती है. जातिगत लिहाज से इस सीट पर सवर्ण वोट बैंक असरदायक माना जाता है. नरेंद्र मोदी के प्रत्याशी हो जाने के बाद 2014 में जिस तरह से तस्वीर बदली, वह किसी से छुपी नहीं है. बीजेपी को वैश्य, बनियों और व्यापारियों की पार्टी मानी जाता है. वैश्य मतदाताओं की संख्या यहां पर लगभग साढ़े चार लाख के बीच है, जो सबसे ज्यादा है. लगभग ढाई लाख ब्राह्मण मतदाता हैं. तीन लाख के आसपास मुस्लिम मतदाता हैं. सवा लाख के आसपास भूमिहार मतदाता हैं. राजपूत मतदाताओं की संख्या भी एक लाख के आस पास है. यहां पर यादव मतदाताओं की संख्या ढेड़ लाख के आसपास है. पटेल बिरादरी जो कुर्मी बहुल क्षेत्र माना जाता है, उनकी संख्या भी दो लाख है. वाराणसी में चौरसिया मतदाताओं की संख्या अभी 80,000 से ऊपर है और लगभग 80,000 से 90,000 के बीच में दलित मतदाता भी हैं. इसके अलावा अन्य पिछड़ी जातियां हैं. जो किसी एक प्रत्याशी पर वोट कर दें तो जीत तय की जा सकती है. इनकी भी संख्या 70,000 से ऊपर है. आकड़े बताते हैं कि छोटी-छोटी जातियों के वोट बैंक बड़े मायने रखते हैं. 2014 एवं 2019 में बीजेपी के साथ अपना दल जैसे क्षेत्रीय छोटी पार्टियों का गठजोड़ उसकी कामयाबी की बड़ी वजह थी. लेकिन इस बार चुनौती बड़ी है. यह चुनौती मोदी को खुद अपने रिकार्ड तोड़ने की चुनौती है. कांग्रेस अपना दल के दूसरे गुट के सहारे कुर्मी वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश में है. ब्राह्मण और अति पिछड़ी जातियों पर भी उसकी नजर है. ऐसे में इस बार रिकार्ड तोड़ पाना उतनी आसान नहीं रहने वाली. खास यह है कि रोहनिया और सेवापुरी विधानसभा सीट पटेल बहुल मानी जाती है। सेवापुरी से भाजपा विधायक नीलरतन पटेल और रोहनिया से अपना दल एस के विधायक सुनील पटेल हैं।
सुरेश गांधी
वरिष्ठ पत्रकार
वाराणसी


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