पटना : जनवरी 2018 से फरवरी 2024 तक साढ़े सोलह हजार करोड़ इलेक्ट्रॉल बॉण्ड खरीदा गया - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 5 मई 2024

पटना : जनवरी 2018 से फरवरी 2024 तक साढ़े सोलह हजार करोड़ इलेक्ट्रॉल बॉण्ड खरीदा गया

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पटना. भारत में इलेक्ट्रॉल बॉण्ड घोटाले को लेकर आज बिहार के पटना स्थित बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन सभागार में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस को  सुप्रीम कोर्ट के जानेमाने वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण  एवं वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता अंजली भारद्वाज ने संयुक्त रूप से सम्बोधित किया.इलेक्ट्रॉल बॉण्ड घोटाला देश के ही नहीं बल्कि विश्वभर में अबतक हुए सभी घोटालों से बड़ा घोटाला है. सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि इलेक्ट्रॉल बांड का घोटाला विश्व का सबसे बड़ा घोटाला है.इस घोटाले की कोर्ट की निगरानी में विशेष टीम (एसआईटी) के माध्यम से जांच कराई जानी चाहिए.इस संबंध में सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की गयी है. प्रशांत भूषण शनिवार को बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन सभागार में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में ये बातें कही.

           

उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रॉल बांड के तहत 16,500 करोड़ के बांड खरीदे गए हैं. इनमें करीब 10 हजार करोड़ के बांड खरीद को लेकर लाखों करोड़ के कांट्रैक्ट दिए गए. आरोप लगाया कि दवा बनाने वाली वैसी कंपनियों को फायदा पहुंचाया गया, जिनकी दवा जीवन के लिए नुकसानदेह थी. उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के ऐतिहासिक फैसले के बाद चुनावी बांड का डाटा जो सार्वजनिक किया गया, उससे संकेत मिलता है कि जिन कंपनियों को परियोजनाएं मिली, उन्होंने सत्तारूढ़ दलों को बांड के माध्यम से बड़ी रकम दान की.प्रेस कॉन्फ्रेंस के तत्काल बाद एक सभा भी आयोजित की गयी, जिसमें श्री भूषण के साथ आरटीआई कार्यकर्ता अंजलि भारद्वाज व युवा हल्ला बोल के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुपम भी मौजूद थे.

     

जनवरी 2018 से फरवरी 2024 तक भारत का नागरिक या भारत में निगमित कोई निकाय बांड खरीदने के लिए पात्र थे. चुनावी बांड भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की निर्दिष्ट शाखाओं से 1,000, 10,000,1,00,000,10,00,000 और 1,00,00,000 के गुणकों में किसी भी मूल्य के लिए जारी/खरीदा गया.  केवल सीपीआई ही है जो चुनावी बांड योजना को गैर-पारदर्शी बताया और उन्होंने बांड के माध्यम से कोई चंदा स्वीकार नहीं किया है.सीपीआई ने 23 मई, 2019 के दस्तावेज़ में कहा, "हम आपको सूचित करना चाहेंगे कि हमारी पार्टी ने चुनावी बांड स्वीकार नहीं करने का फैसला किया है क्योंकि ये गैर-पारदर्शी हैं। हमें कोई चुनावी बांड नहीं मिला." भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने चुनावी बांड योजना की शुरुआत से ही इसका विरोध किया था। हमने चुनावी बांड के माध्यम से कोई भी दान स्वीकार नहीं करने का फैसला किया था.

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