जो लोग सिर्फ वीकेंड्स पर नशीली पदार्थों का सेवन करते हैं वो फिर भी कुछ हद तक खतरे से बाहर हैं लेकिन जो लोग रेगुलर बेसिस पर अन्हेल्थी खाना खाते हैं और स्मोकिंग करते हैं उनके लिए यह खतरा कई गुना बढ़ जाता है। खाने पीने के साथ सोने के समय से भी आपके फर्टिलिटी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। आजकल देर रात तक जग कर काम करना या फोन चलाना इतनी सामान्य सी बात हो गयी है कि एक ही घर में बैठे चार लोग आपस में बात न करके फोन में लगे रहते हैं और स्क्रॉल करते करते एक दो बजे तक सोते हैं। एक हेल्दी जीवनशैली किस हद तक आपको भविष्य में होने वाले खतरे से बचा सकती है इस बात का अंदाजा आप फर्टिलिटी सर्विस मार्केट की रिपोर्ट से लगा सकते हैं, जिसमे बताया गया है कि 2031 में फर्टिलिटी का मार्केट कुछ इस तरह बढ़ेगा कि 90.79 बिलियन लोग इनफर्टिलिटी की समस्या से जूझ रहे होंगे जो 2021 की तुलना में चार गुना ज्यादा है।
लोगों को यह बात समझनी होगी कि इनफर्टिलिटी के बढ़ते मार्केट को बूस्ट करने की जिम्मेदारी आपकी नहीं है बल्कि आपको उस भीड़ से बचने की कोशिश करनी है। क्यूंकि आज जो आदतें आपको अपनी ओर आकर्षित कर रही हैं कल उन्ही की वजह से अलग अलग डॉक्टर्स के चक्कर लगाने पड़ सकते हैं और उनके परामर्श पर थेरेपी, दवाई, सर्जरी आदि का सहारा लेना हो सकता है। वक़्त रहते अपनी आदतों में सुधार लाएं और अपने आहार में पौष्टिक चीजों को शामिल करें, नशीली पेय पदार्थों और धूम्रपान से परहेज करें। रात को समय पर सोने की कोशिश करें और नियमित रूप से योग, व्यायाम आदि करें। फर्टिलिटी के लिए सबसे सही उम्र 20 - 35 वर्ष की आयु है लेकिन आजकल करियर को लेकर युवक युवतिओं के अंदर जागरूकता बढ़ गयी है जिसकी वजह से कई बार शादी में देर हो जाती है और फिर बच्चे होने में भी। 35 की उम्र के बाद धीरे धीरे फर्टिलिटी कम होने लगती है और जोखिम बढ़ने लगते हैं ऐसे में स्पर्म और एग मिलने के बाद भी नैचुरली फर्टिलाइज़ नहीं हो पाते हैं इसलिए आपको अपनी जीवन शैली में बदलाव लाना होगा ताकि आप भविष्य की इन समस्यों से सफलतापूर्वक अपना बचाव कर सकें।
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